रानी लक्ष्मीबाई एवं गुरु नानक जयंती पर काव्य गोष्ठी सम्पन्न

 


सिकन्दराराऊ, विमल साहित्य संवर्धक संस्था के तत्वावधान में ग्लोबल इंडिया शिक्षा समिति के कार्यालय पर झांसी की रानी वीरांगना लक्ष्मीबाई जयंती एवं गुरु नानक प्रकाशोत्सव के पावन अवसर पर एक काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता समाजसेवी हरपाल सिंह यादव एवं सञ्चालन युवा कवि रंजीत पौरुष ने किया। 

          मुख्य अतिथि के रूप में भाईचारा सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश यादव संघर्षी व राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह उपस्थित रहे। इस अवसर पर कवियों के अलावा नारी शक्ति के रूप में छात्राओं को भी सम्मानित किया गया।


गोष्ठी का प्रारम्भ कविता और प्रियांशी छात्राओं द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक सरस्वती वंदना से हुआ। हरपाल सिंह यादव , संजय सिंह एवं महेश यादव संघर्षी ने गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि जहां रानी लक्ष्मीबाई देश प्रेम और वीरता का संदेश देती हैं, वहीं गुरु नानक सामाजिक समरसता, बन्धुता और अमन शांति का पैगाम देते हैं। दोनों ही विभूतियां समाज के लिए प्रेरणीय और वंदनीय हैं। हम सब इनसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ते रहें।


अवनीश यादव ने ओज स्वर में पढ़ा -

मां झांसी की रानी ने गोरों के छक्के छुड़ा दिए।

शीश काटकर शव उनके, उनके ही खून में बहा दिए।।


अवशेष कुमार विमल ने पढ़ा -

वैरियों का शीश चुन चुन काट देने वाली,

रानी लक्ष्मी की तलवार को नमन है।


रंजीत पौरुष ने पढ़ा -

कैसे कैसे मंजर देखे, दुश्मन के घर खंजर देखे।

दरियाओं की बात करें क्या सूखे हुए समंदर देखे।।


शायर शमशुल अहद शम्स ने पढ़ा-

नफ़रत का जहर गांव की नस नस में बस गया।

इस हाल में बताओ कि प्रधान क्या करे।


जमीरउद्दीन मुनीम जी ने शेर पढ़ा -

सब के हाथों में तिरंगा निशान हो।

सबसे आला मेरा हिंदुस्तान हो।।


प्रमोद विषधर ने पढ़ा-

राम का नाम ही सार का सार है ।

विश्व का राम ही सिर्फ आधार है।।


काव्यगोष्ठी में हिमांशु यादव, हरीश यादव, अश्वनी यादव, अर्चना देवी, हेमलता कुमारी, गौरी, तनु कुमारी,  सुरेंद्र कुमार, हेमंत शर्मा, अंकित यादव आदि उपस्थित रहे।

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