बाबरी मस्जिद का ताला खुलवाना मस्जिद के अंदर मूर्ति रखवाना और बाबरी मस्जिद को शहीद करने का काम कांग्रेस का था l

 बाबरी मस्जिद / क्या आपको मालूम है पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने बाबरी मस्जिद का ताला खुलवाया और राम मंदिर का शिलान्यास कराया
वो अलग बात है इन दिनों बाबरी मस्जिद का ताला खुलवाने बाले मामले में आपको कांग्रेसी मुस्लिम काले बन्दर की कहानी सुनाकर मुद्दे से भटकाने की कोशिश करेंगे बाबरी मस्जिद का ताला खुलवाने से लेकर बाबरी मस्जिद की शहादत तक काँग्रेस पार्टी ने क्या-क्या पैंतरे खेले और किस तरह हिंदुत्व की लहर पर सवार होने की कोशिश की आज हम आपको बताते हैं जवाहरलाल नेहरू ने बाबरी मस्जिद के भीतर 1949 में चुपके से मूर्तियाँ रखवाकर भजन-कीर्तन शुरू करवाया ये बात भूलने वाली नही है
सांप्रदायिक राजनीति के लिए संघ परिवार और भारतीय जनता पार्टी को ही ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि 1981 में मीनाक्षीपुरम में धर्मपरिवर्तन की घटना के बाद डॉक्टर कर्ण सिंह और दाऊदयाल खन्ना जैसे काँग्रेसी नेता और विश्व हिंदू परिषद एक साथ हिंदू समाज को एकजुट करने की मुहिम में जुट गए थे
जब बाबरी मस्जिद का ताला खुलवाने की कोई ज़रूरत नहीं थी, केंद्र सरकार के निर्देश पर स्थानीय प्रशासन ने अदालत को भरोसा दिलाया कि ताला खोलने से क़ानून-व्यवस्था ख़राब नहीं होगी, इसलिए ताला खोल दिया गया
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरबहादुर सिंह को दिल्ली से सीधे आदेश आ रहे थे और कमिश्नर से सीधे कहा जा रहा था कि इस बात के सभी उपाय किए जाएँ कि ताला खोलने की अर्ज़ी मंज़ूर हो."
इस पूरे विवाद के पीछे काँग्रेस मज़बूती से रही. काँग्रेस की नीति आज़ादी के बाद से ही मंदिर समर्थक की रही. 6 दिसंबर, 1992 को हुई बाबरी मस्जिद की शहादत के लिए बीजेपी से कहीं ज़्यादा केंद्र की कांग्रेस सरकार ज़िम्मेदार है."
जब बाबरी मस्जिद के भीतर चुपचाप और चालाकी से मूर्तियाँ रख दी गईं, उस वक़्त गोविंद बल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. और उन्होंने बाद में इन मूर्तियों को हटाने की हिम्मत नहीं की.
इमारत का ताला जब खुला तब राजीव गाँधी देश के प्रधानमंत्री थे. फिर 1989 में उनकी ही सरकार ने अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास करवाया और चुनाव प्रचार अयोध्या से शुरू करते हुए रामराज्य का वादा किया
6 दिसंबर 1992 को हमारी बाबरी मस्जिद भगवा आतंकियों द्वारा शहीद की गई उस वक़्त नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री थे
बाबरी मस्जिद की शहादत में पहले से ही उनकी भूमिका सवालों को घेरे में रही.

जाने माने पत्रकार कुलदीप नैयर ने अपनी आत्मकथा में लिखा है, ‘मेरी जानकारी है कि नरसिम्हा राव की बाबरी मस्जिद ढहाए जाने में भूमिका थी. जब कारसेवक मस्जिद ढहा रहे थे, तब वे पूजा में बैठे हुए थे. वे वहां से तभी उठे जब मस्जिद का आख़िरी पत्थर हटा दिया गया.’

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, घटना के बाद उनके कैबिनेट के सदस्य अर्जुन सिंह ने पंजाब से उनसे फोन पर बात करने की कोशिश की, लेकिन उनसे कहा गया कि प्रधानमंत्री किसी से बात करने के लिए उपलब्ध नहीं हैं. अर्जुन सिंह ने पूछा, ‘वे कब से फ़ोन नहीं ले रहे? वे दिल्ली में हैं भी या नहीं?’
जवाब आया, ‘वे दिल्ली में हैं. लेकिन उन्होंने अपने आपको एक कमरे में बंद कर रखा है. और हमें निर्देश हैं कि उन्हें किसी भी हाल में डिस्टर्ब न किया जाए.’
बीबीसी की रपट के मुताबिक, उस जमाने के कुछ अफसरों का मानना था कि नरसिम्हा राव ने धर्मनिरपेक्षता का मुखौटा जरूर पहन रखा था, लेकिन उनकी सहानुभूति हिंदुत्व आंदोलन के साथ थी.

इतना कुछ जानकर भी कांग्रेस में मुस्लिम जुड़े हुए हैं
सोचो ये कितना गिर सकते हैं आज मुस्लिम नेताओं का प्रियंका गांधी से ये कहना कि भूमिपूजन और मन्दिर निर्माण को समर्थन करो उनके ज़मीर बिके होने का सबूत देता है।
 लेखक:-
Syed Nazim Ali
युवा प्रदेश महासचिव ( AIMIM UP)

Post a Comment

0 Comments