शिशु के हृदय से रक्त ले जाने वाली उलटी पड़ जाने वाली धमनियों की सफलतापूर्वक मरम्मत


अलीगढ़ । अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहर लाल नेहरू मेडीकल कालिज के कार्डियोथोरासिक सर्जरी विभाग के चिकित्सकों की एक टीम ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थय कार्यक्रम के अन्तर्गत एक नवजात शिशु की मुफ्त सर्जरी अंजाम दी।

हाथरस के निवासी, वकील और उनकी पत्नी का नवजात बेटा इस दुनिया में आने से पूर्व ही दिल में एक छेद और एक जन्मजात स्वास्थय जटिलता से ग्रस्त था जिसे ट्रांसपोज़िशन आफ़ द ग्रेटर आर्टरीज का नाम दिया जाता है जिसमें हृदय से रक्त ले जाने वाली धमनियां उलट जाती हैं या स्थानांतरित हो जाती हैं।
निजी अस्पतालों में अत्यधिक शुल्क और सरकारी अस्पतालों में विशाल प्रतीक्षा सूची के कारण उनकी परेशानी लंबे समय तक बनी रही। समय गुजरने के साथ नवजात की त्वचा सांस लेने में तकलीफ के साथ नीली पड़ने लगी। निराशा और दुख से ग्रस्त उक्त दंपति को अंततः जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कालेज में अपनी पीड़ा का समाधान मिला जहाँ सरकार की राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम योजना के अन्तर्गत कार्डियोथोरेसिक सर्जनों की एक टीम द्वारा इस दुर्लभ सर्जरी को मुफ्त अंजाम दिया गया।
प्रोफेसर मोहम्मद आजम हसीन (अध्यक्ष, कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग), जिन्होंने अपने सहयोगियों डा मयंक यादव और डा सैयद शामयाल रब्बानी के साथ सर्जरी को अंजाम दिया, ने कहा, कि शिशु के हृदय से रक्त ले जाने वाली उलटी पड़ जाने वाली धमनियों की सफलतापूर्वक मरम्मत की है और उसके दिल में छेद को बंद कर दिया है। शिशु अब ठीक हो रहा है और जल्द ही उसे छुट्टी दे दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि बाल चिकित्सा हृदय रोग विशेषज्ञ, डा शाद अबकरी और डा मोइज़ किदवई द्वारा बच्चे को आवश्यक इलाज के लिये भेजा गया था। हमने मरीज का मुआयना किया और तुरंत उसे सर्जरी के लिए भर्ती कराया।
डा. शाद अबकरी ने बताया कि बच्चे में एक बहुत ही जटिल दोष था और कुछ ही सरकारी केंद्रों में इस सर्जरी को करने की क्षमता है।
डा मयंक यादव ने कहा कि यह एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया थी और सच यह है कि बच्चे का वजन केवल 2.8 किलोग्राम था, जिसने पोस्ट-आपरेटिव देखभाल को और भी मुश्किल बना दिया। क्लिनिकल परफ्यूज़निस्ट, डा साबिर अली खान और इरशाद शेख की एक टीम ने शारीरिक क्रियाओं का प्रबंधन किया क्योंकि सर्जरी के दौरान बच्चे के दिल और फेफड़े 110 मिनट के लिए बंद हो गए थे। डा दीप्ति चन्ना ने मरीज को एनेस्थीसिया प्रदान किया।
डा शामयाल रब्बानी ने बताया कि जेएनएमसी शीर्ष अस्पतालों की सूची में शामिल हो गया है, जहां इस प्रकार की सर्जरी को सफलतापूर्वक किया जाता है।
जेएनएमसी के डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर (डीईआईसी) के संयोजक प्रोफेसर कामरान अफजाल ने कहा कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के कई बच्चों को जेएनएमसी में मुफ्त इलाज मिला है।
सर्जनों की टीम को बधाई देते हुए एएमयू के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जेएनएमसी में 500 से अधिक कार्डियक सर्जरी अंजाम दी गई है।
प्रोफेसर राकेश भार्गव (डीन, मेडिसिन फैकल्टी) और प्रोफेसर शाहिद अली सिद्दीकी (जेएनएमसी प्रिंसिपल) ने कहा कि पूरे उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों के मरीज जेएनएमसी को इसके उन्नत चिकित्सा सम्बन्धी बुनियादी ढांचे, बेहतर संचार और आसान पहुंच के लिए पसंद करते हैं।

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