2 जून की उस काली तारीख सुनकर आज भी मथुरा के लोग सिहर उठते हैं जिसमें दो जाबांज अफसरएसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसआई संतोष यादव शहीद हुए थे

 

अलीगढ़। विश्व शांति अभियान भारत सामाजिक संस्था राष्ट्रीय की सुरक्षा एवं देश के कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अधिकारियों को को समर्पित  मिशन के रूप में कार्य कर रही है संस्था हर वर्ष अलीगढ़ में आज ही के दिन इन अधिकारियों की याद में श्रद्धाजलि मनाती है शहीदों की पुण्यतिथि पर "शांति एवं सद्भावना' को लेकर कार्यक्रम आयोजित किया जाता है । संस्था के संस्थापक जाकिर भारती एक समाचार पत्र के संपादक है कई समाचार पत्रों एवं समाचार एजेंसी से जुड़े हैं उन्होंने बताया मुकुल जी की 2006 में अलीगढ़ में तैनाती रही सामाजिक वैठक इलाको में करते थे और लोगो को पुलिस के प्रति जागरूक करते थे कहते थे पुलिस जनता की के हितों के लिए कार्य करती हैं अगर चौकी, थानों में आपकी कोई सुनवाई नहीं करता है तो उच्च अधिकारियों, ओर समाचार पत्रों के माध्यम से अपनी आवाज बुलंद करें पुलिस से न डरे सभी पुलिस वाले गलत नहीं होते आज में पुलिस में न होता तो पत्रकार होता अलीगढ़ के बाद जनपद बुलंदशहर में तैनाती रही उसके बाद मथुरा का चार्ज मिला होनहार कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी, जनता में अपनी साफ़ छवि मथुरा के लिए जाने जाते थे आज के दिन पांच साल पहले दो जून को मथुरा के जवाहर बाग कांड की घटना हुई थी. ये दिन इतिहास के काले पन्नों में दर्ज है. इस जवाहर बाग कांड में 29 लोगों की मौत हुई थी. पांच साल के बाद भी इस कांड के घाव हरे हैं.



जवाहर बाग कांड का मुख्य आरोपी था रामवृक्ष यादव

इस कांड का मुख्य आरोपित गाजीपुर के गांव बाघपुर का रहने वाला रामवृक्ष यादव था. उसके नेतृत्व में 2013 में स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह का संगठन बनाया गया था. कथित सत्याग्रह के नाम पर जवाहर बाग में अवैध रूप से सैकड़ों लोगों के साथ कब्जा किया था. 2 जून 2016 को चर्चित जवाहरबाग कांड हुआ था. 

अवैध कब्जा धारियों ने पुलिस और प्रशासन पर हमला किया

दो जून 2016 को जवाहर बाग पर अवैध कब्जा धारियों ने पुलिस और प्रशासन पर हमला किया और पूरे जवाहर बाग को अग्निकांड में बदल दिया था. 

खाली कराने गई पुलिस टीम पर हथियारों से हमला किया गया था. इस हमले में एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसआई संतोष यादव शहीद हुए थे और कई पुलिसकर्मी हमले में घायल हो गए थे. जवाहर बाग में आगजनी और हिंसक घटना ने तत्कालीन सपा सरकार को हिला कर रख दिया था. 

मामले में कई राजनेताओं पर रामबृक्ष यादव को संरक्षण देने के आरोप लगे थे.



29 लोगों की गई थी जान

2 जून की उस काली तारीख सुनकर आज भी मथुरा के लोग सिहर उठते हैं जिसमें दो जाबांज अफसरों समेत 29 लोगों की मौत हुई थी. उस घटना की गवाही आज भी जवाहर बाग में खड़े जले हुए और अधजले पेड़ करते हैं. जवाहर बाग कांड की घटना के बाद सरकार द्वारा दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की गई. 

रामवृक्ष के सहयोगी चंदनबोस, वीरेश यादव, राकेश गुप्ता के विरूद्ध एनएसए के तहत कानूनी कार्रवाई की गई थी.

जवाहर बाग कांड की घटना के बाद सरकार द्वारा बाग के सौंदर्यीकरण कराने का भी ऐलान किया गया.

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