महिलाओं के रोग तथा प्रसूति से सम्बन्धित चिकित्सकों, नर्सों तथा अन्य स्वास्थय कर्मियों के लिये लाभप्रद होगा।

                  Photo :- प्रो. तमकीन खान

अलीगढ़ /  अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जवाहर लाल नेहरू मेडीकल कालिज के आब्सटेट्रिक्स एण्ड गायनाकालोजी विभाग के शिक्षकों ने कोविड-19 कोरोना वायरस के खतरे के दृष्टिगत गर्भवती महिलाओं द्वारा सुरक्षात्मक उपाय के लिये आवश्यक दिशा निर्देश तथा स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) तैयार किया है। जो महिलाओं के रोग तथा प्रसूति से सम्बन्धित चिकित्सकों, नर्सों तथा अन्य स्वास्थय कर्मियों के लिये लाभप्रद होगा। 
उपरोक्त विभाग के डा. इनास मुश्ताक तथा डा. आमना कुरैशी द्वारा संयुक्त रूप से तेयार किये गये दिशा निर्देशों की पुस्तिका का विमोचन करते हुए विभागाध्यक्ष प्रोफेसर तमकीन खान ने कहा कि इन दिशा निर्देशों को जेएन मेडीकल कालिज ने पहले ही अपना लिया है। उन्होंने बताया कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने रीजनल रिसोर्स ट्रेनिंग सेंटर को कोविड-19 के आईसोलेशन यूनिट में बदलने की मंजूरी प्रदान करदी थी तथा कालिज के प्रिन्सिपल प्रोफेसर शाहिद सिद्दीकी, मेडीकल सुप्रिंटेंडेंट प्रोफेसर हारिस खान तथा प्रोफेसर अफजाल अनीस की सहायता से एक सप्ताह के भीतर लेबर रूम तथा आपरेशन थ्येटर काम्पलेक्स तैयार किया जा चुका है। 
प्रोफेसर खान ने बताया कि इन दिशा निर्देशों की सहायता से महिला रोग एवं प्रसूति से जुड़े स्वास्थय कर्मी अब आसानी से रोगियों, विशेष कर गर्भवती महिलाओं की कोविड जांच, उनकी यात्राओं तथा उनके आवासीय स्थान आदि का रिकार्ड रख सकेंगे। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं की प्रसूति संक्रमणरहित क्यूबिकल्स में कराई जायेगी ताकि एक रोगी से दूसरे रोगी को संक्रमण का खतरा न हो। 
उन्होंने कहा कि सीजेरियन मामलों में महिलाओं को कोविड संदिंग्ध मैटरनिटी ओटी में स्थानांतरित कर दिया जायेगा। तथा उनमें सांस लेने की कठिनाई आदि की समय समय पर जांच की जायेगी। 
प्रोफेसर खान ने बताया कि अब तक की निगरानी से पता चला है कि गर्भवती महिलाओं में कोरोना संक्रमण की दर इस बीमारी से संक्रमित सामान्य महिलाओं के मुकाबले बहुत कम है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद प्रसूति के दौरान होने वाले संक्रमण का खतरा मोल नहीं लिया जा सकता। 
उक्त दिशानिर्देशों में रोगी की स्थिति के अनुरूप उन्हें ऐस्प्रिन, टोकोलाइसिस तथा मैग्नीशियम सलफैट कम डोज में प्रयोग करना सही बताया गया है। जबकि आईब्रूफेन तथा इंडोमेथासिन के प्रयोग को सख्ती से मना किया गया है। 

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