भारत विभिन्न धर्मों वाला देश है और सभी को एक दूसरे के धर्मों का सम्मान करना चाहिए :शाहिद मेहदी

अलीगढ़ 9 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के शिया धर्मशास्त्र विभाग द्वारा 21 वीं शताब्दी की चुनौतियां और इस्लाम विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमीनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि जामिया मिल्लिया इस्लामिया नई दिल्ली के पूर्व कुलपति श्री शाहिद महदी ने कहा कि भारत विभिन्न धर्मो वाला देश है और सभी को एक दूसरे के धर्मो का सम्मान व आदर करना चाहिए।उन्होंने कहा कि 21 वीं शताब्दी जो अभी प्रारंभ हुई है और जिसके अभी अस्सी वर्ष शेष बचे हैं उसमे पेश आने वाली चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए ठोस रणजीति तैयार किये जाने की आवश्यकता है। श्री महदी ने कहा कि वर्तमान समय में जिन चुनौतियों का सामना है उनमें महिलाओं के अधिकार, मुसलमानों में नेतृत्व तथा आंदोलन का अभाव आदि प्रमुख्य रूप से शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हमें इस पर गंभीरता से विचार करना होगा कि इन चुनौतियों से कैसे बाहर निकला जा सकता है। पूर्व कुलपति ने कहा कि इस्लाम एक वैश्विक धर्म है और इसमें समस्त चुनौतियों का हल मौजूद है
ए0एम0यू0 कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि अपनी समस्याओं के लिए दूसरों को दोष देने की बजाए स्वंय उसके हल व निवारण के लिए कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में विश्व में जो कुछ घट रहा है उसका एक बड़ा कारण नफरत और भेदभाव है। ऐसे में आवश्यकता इस बात की तमाम धर्मो के विद्वानों को आपस में मिलकर घृणा के माहौल को समाप्त करने और प्रेम के लिए कार्य करना चाहिए। प्रोफेसर मंसूर ने कहा कि सर सैयद के साम्प्रदायिक सौहार्द के संदेश को फैलाने के लिए विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर इंटरफेथ अंडर स्टेडिंग की स्थापित किया गया ताकि सभी धर्मो के विद्वानों का आपस में संवाद हो। उन्होंने कहा कि यह सेमीनार बहुत ही प्रासंगिकविषय पर आयोजित किया गया है।सेंटर फॉरइंटरफेथ अंडर स्टेडिंग के निदेशक प्रोफेसर एस0 अली मुहम्मद नकवी ने कहा कि हर दौर में नई चुनौतियां उभर कर सामने आती हैं लेकिन समय के अनुसार उनका मुकाबला भी किया जाता है। उन्होंने कहा कि 18 वीं शताब्दी में जिस चुनौती का मुकाबला सर सैयद ने किया था आज वही शैक्षणिक पिछड़ेपन की चुनौती फिर से दरपेश हैं।सेमीनार के निदेशक एवम शिया धर्मशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर तौकीर आलम फलाही ने कहा कि 21 वीं शताब्दी में दो प्रकार की चुनौतियां हैं एक आंतरिक तथा दूसरी बाहरी आंतरिक चुनौती भेदभाव, बुराई, नफरत आदि है जब कि बाहरी चुनौती यह है कि इस्लाम के बारे में गलत भ्रांतियां फैलायी जा रही है। ऐसे में यह सेमीनार इस चुनौतियों का हल तलाश करने में सहायक सिद्ध होगा। सेमीनार के संयोजक डा0 सैयद मुहम्मद असगर ने उपस्थितजनों का आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन डा0 सैयद हादी रजा तकवी ने किया। सेमीनार में देश भर के प्रमुख विद्वान भाग ले रहे

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