उसे मुजरे में देखा जा रहा है, जिसे हुजरे में होना चाहिए था

अलीगढ़ / प्रदर्शनी कृष्णांजलि नाट्यशाला में एक मुशायरे का आगाज़  हुआ जिस के कन्वीनर मुशायरा मुबीन खां ने शमा रोशन की शमा रोशन के बाद मुबीन खान ने कहा कि मेरे वालिद मरहूम सिताब खां ने एक मुहिम चलाई उर्दू के लिए मदरसो में जा जा कर उर्दू की बात कही और शायरी को दुनिया की सबसे अच्छी तहज़ीब कही उनकी कही बात पर कोशिश करता हु की उर्दू जुबान को भडावा दे सकूँ । मुशायरे की निज़ामत हिंदुस्तान के मशूहर शायर मुशर्रफ हूसेन महज़र ने की, शायर शाकिर अली अकमल, डॉ नईम शबाब कासगंजवी , ई० मेहराज निशात जावेद अख्तर वारसी, मिर्ज़ा शकील बेग , डॉ राशिद इस्लाम हसंपुरी, शब्बीर खुशमिज़ाज़, नासिर नादान,
यासीन अंसारी इटावा जी ने कहा मुफलिसी को कहा होती है बेटियां सोना है चांदी हैं मोती है बेटियां
रियाज इटावा जी ने कहा कि काम करके ही नहीं सिर्फ संभाले बेटी बैंक दफ्तर भी है अब तेरे हवाले बेटी
अफजाल देहलवी जी ने कहा कि उसे मुजरे में देखा जा रहा है जिसे हुजरे में होना चाहिए था
मुज़म्मिल हुसैन बरेलवी जी ने कहा कि बहुत ढूंढा जमाने भर ने मुझको मैं अपने आप में पाया गया हूं

Post a Comment

0 Comments