माज़हबे इस्लाम के के तहत महिलाओं को अधिकार देने की कोशिश करे :शकील समदानी

अलीगढ़ 5 फरवरीः विधि विभाग अमुवि के वरिष्ठ शिक्षक प्रो0 शकील समदानी ने हैदराबाद में आयोजित अखिल भारतीय महिला कॅान्फ्रेस में शिरकत की। प्रो0 शकील समदानी ने “शरियत कानून का संरक्षण एवं भारतीय संविधान” विषय पर बोलते हुए कहा कि भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ के संरक्षण की गारंटी शरीयत एपलीकेशन एक्ट, 1937 के द्वारा दी गई है। यह कानून आज़ादी से पहले अग्रेज़ सरकार के द्वारा बनाया गया था। जिसमें मुसलमानों के पारिवारिक मामले जैसे निकाह महर, तलाक, गुज़ारा भत्ता,बक्फ, सरंक्षण, वसीयत पित्रत्त्व बैधता एवं विरासत के मामले आदि शमिल हैं। प्रो0 समदानी ने आगे कहा कि कानूनी तौर पर अभी तक शरीयत एक्ट लागू है। देश की अदालतों के द्वारा इसे लागू किया जा रहा है।प्रो0 समदानी ने उपस्थित जनसमूह का आव्हान किया कि वो मज़हबे इस्लाम के तहत महिलाओं के अधिकार देने की कोशिश करें और अपने पारिवारिक़ मामलात को अदालतों में ले जाने के बजाए दारूल कज़ा में ले जाऐं ताकि त्वरित एंव बहुत कम खार्च में न्याय मिल सके उन्होंने कहा कि कमज़ोर वर्गो विशेषकर दलितों, पिछड़े वर्गो, महिलाओं और मुसलमानों को कानून की शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए और उच्च क्वालिटी के लॉ कॉलिज स्थपित करने की कोशिश करनी चाहिए।  जनसंपर्क कार्यालयअमुवि अलीगढ़।

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