मुस्लिम समझ चुके हैं कि सपा और बसपा ने उन्हें मुस्लिम वोट बैंक मानकर ठगने का काम किया

 


            मुस्लिम अब भाजपा को बड़ी संख्या में वोट कर रहे 



उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव के परिणाम आने के बाद यह बात साफ हो गई है कि इस चुनाव में भाजपा ने अपने पूर्व के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। निकाय चुनाव में दमदारी से चुनाव लड़ने का दावा करने वाली सपा और बसपा के उम्मीदवारों की सबसे अधिक जमानत जब्त हुई हैं। गौरतलब है कि निकाय चुनाव में नगर निगम 17, नगर पालिका परिषद अध्यक्ष 199 तथा नगर पंचायत अध्यक्ष की 544 यानी कुल 760 सीटों पर चुनाव हुए थे। भाजपा ने सभी 17 नगर निगमों, 199 में से 89 नगर पालिकाओं और 544 में से 191 नगर पंचायतों में जीत हासिल की। निकाय चुनाव की खास बात यह रही कि सत्ताधारी भाजपा हर मोच्रे पर विपक्षी दलों सपा, बसपा और काग्रेस पर भारी पड़ी।





तीनों विपक्षी दलों का वोट प्रतिशत भाजपा से कम रहा। चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं कि निकाय चुनाव में भाजपा को 31.22 प्रतिशत मत मिले, जबकि सपा, कांग्रेस और बसपा, तीनों को कुल मिलाकर 28.65 प्रतिशत मत मिले।


हैरत की बात है कि प्रमुख विपक्षी दल सपा केवल 14.94 प्रतिशत मतों पर ही सिमट कर रह गई, जबकि बसपा को 8.8 प्रतिशत और कांग्रेस को 4.90 प्रतिशत मतों पर ही संतोष करना पड़ा। तुलनात्मक आंकड़े बताते हैं कि 2017 के पिछले चुनाव में सपा को 18 प्रतिशत, बसपा को 14.3 प्रतिशत और कांग्रेस को 10 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे। इसका सीधा सा अर्थ हुआ कि निकाय चुनाव में भाजपा की तुलना में विभिन्न वगरे के बीच विपक्षी दलों की पकड़ कमजोर हुई है। नगर निकाय चुनावों में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दूसरे कार्यकाल का संकेत साफ है कि शहरी मतदाताओं पर भाजपा की पकड़ पहले से मजबूत हुई है। कहने की आवश्यकता नहीं कि भाजपा के लिए चुनाव एक प्रकार से 2024 के लोक सभा चुनावों का सेमीफाइनल रहा। इस कार्य में भाजपा किसी हद तक सफल भी हुई है।


निकाय चुनावों का सामाजिक विश्लेषण बताता है कि भाजपा ने इस बार विभिन्न जातियों का चक्रव्यूह तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रत्येक नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत में विभिन्न जातियों के बीच पैठ बनाने के लिए प्रभावी मतदाता सम्मेलनों के साथ-साथ जाति विशेष पर केंद्रित जाति सम्मेलनों में सजातीय नेताओं को उतार कर मतों को अपने पक्ष में करने का कार्य किया है।


इन चुनावों में सपा की हार का मुख्य कारण उसके परंपरागत मुस्लिम-यादव (एम-बाई) वोट बैंक में सेंध लगना भी रहा। उसे मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर, बरेली, गाजियाबाद, झांसी जैसी जगहों पर पराजय का मुंह देखना पड़ा। निकाय चुनाव में भाजपा की जीत का प्रतिशत बढ़ने का कारण मुस्लिम वर्ग का भाजपा की ओर रुझान बढ़ना भी रहा। इस संदर्भ में आंकड़े भी साफ करते हैं कि भाजपा के 399 में से 75 मुस्लिम प्रत्याशी यह चुनाव जीतकर आए हैं। इनमें पांच नगर अध्यक्ष हैं। रामपुर की नगर पालिका परिषद में भाजपा के सहयोगी अपना दल की प्रत्याशी रेशमा परवीन को जीत मिली है। चुनाव की खास बात यह है कि भाजपा ने मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में 399 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे। इनमें से 18.80 प्रतिशत उम्मीदवारों को जीत मिली है।


भाजपा खेमे से मुस्लिम प्रत्याशियों की जीत के बारे में भाजपा अल्पसंख्यक मोच्रे के अध्यक्ष कुंवर बासित अली का कहना है कि मुस्लिम प्रत्याशियों को मिली जीत से संकेत जाता है कि मुस्लिम अब भाजपा को बड़ी संख्या में वोट कर रहे हैं। मुस्लिम समझ चुके हैं कि सपा और बसपा ने उन्हें मुस्लिम वोट बैंक मानकर ठगने का काम किया है। इस चुनाव में मुस्लिम समाज के भाजपा के साथ देने का ही परिणाम रहा कि पश्चिम क्षेत्र में 33, ब्रज क्षेत्र में 16, कानपुर क्षेत्र में एक, अवध क्षेत्र में 13, काशी क्षेत्र में 5 और गोरखपुर क्षेत्र में 7 मुस्लिम प्रत्याशियों को जीत मिली है।


इस चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं का भाजपा के साथ आना अनायास नहीं है। उत्तर प्रदेश में 20 प्रतिशत मुसलमान हैं। इनमें अधिकांश पसमांदा मुसलमान हैं। उनमें 35 प्रतिशत प्रधानमंत्री आवास, 37 प्रतिशत उज्जवला योजना, 30 प्रतिशत प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के लाभार्थी हैं। वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना के अन्तर्गत छीपी और मंसूरी इत्यादि जैसे वंचित वर्ग के रूप में भी पसमांदा मुस्लिम इन योजनाओं के बड़े लाभार्थी हैं। ये सभी प्रधानमंत्री के-सबका साथ सबका विकास, सबका विास और सबके प्रयास-संकल्प से प्रभावित हैं। भाजपा भलीभांति अवगत है कि पसमांदा का सीधा सा मतलब है कि जो वर्ग विकास की दौड़ में पिछड़ गए हैं और पसमांदा वर्ग पिछड़ी और दलित जातियों से संबधित मुसलमानों की श्रेणी है। इस वर्ग से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि अभी तक भाजपा के अलावा बाकी राजनीतिक पार्टियों ने इनका वोट बैंक के रूप में ही इस्तेमाल किया है।

साभार: जाकिर भारती

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