युवाओं में तकनीकी व व्यावहारिक कौशल के साथ-साथ अन्य कौन सा कौशल सर्वाधिक होना चाहिए?

 


रोज़गार: युवाओं की उपलब्धता के अनुसार देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग द्वारा युवाओं के सर्वागीण विकास के लिए अनेक प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। ये प्रशिक्षण कार्यक्रम तकनीकी, सेवा क्षेत्र, व्यावहारिक, जीवन व भाषा कौशल जैसे विषयों का समावेश रखते हैं। जब हम कौशल प्रशिक्षित युवाओं से रू-ब-रू होते हैं, तो पाते हैं कि वे तकनीकी रूप से अर्ध-कुशल हैं तथा जैसे-जैसे वे पृथक-पृथक रोजगार से जुड़ते हुए अनुभवी होते जाएंगे, वे पूर्ण कुशलता और कार्यकुशलता की ओर कदम बढ़ाएंगे। यहां सबसे महत्त्वपूर्ण बात ये है कि सूचना प्रौद्योगिकी व उससे संबंधित सेवाओं के विस्तार का लाभ यह हुआ है कि युवा अपने हुनर में कुशलता को कम समय में प्राप्त कर ले रहे हैं।


अब बात आती है कि युवाओं में तकनीकी व व्यावहारिक कौशल के साथ-साथ अन्य कौन सा कौशल सर्वाधिक होना चाहिए? यह बड़ा महत्त्वपूर्ण मसला है और इस बारे में अब तक उतनी गंभीरता से समाधान नहीं तलाशे गए हैं, जितनी होनी चाहिए थी। इसका उत्तर खोजने के प्रयास में जब हम पिछले 10 वर्षो के अपने कार्यकाल पर नजर दौड़ाते हैं, तो पाते हैं कि कौशल व अनुभव से ज्यादा जरूरी है ‘स्व-जागरु कता’। कोई भी व्यक्ति कौशल व अनुभव तो कभी भी प्राप्त कर सकता है, किन्तु स्व-जागरूक व्यक्ति अपने कार्यों को बेहतर तरीके से पूरा करता है। उसमें सीखने की क्षमता अधिक होती है तथा वह अपने उच्च एवं सहयोगियों के साथ बेहतर व्यवहार करता है, जिससे पूरे सिस्टम की उत्पादकता बढ़ती है।


शोध बताते हैं कि 90 प्रतिशत से अधिक लोग दर्शाते हैं कि वे स्व-जागरूक हैं किंतु वास्तविकता में ये मात्र 15 से 20 प्रतिशत लोगों में ही परिलक्षित होती है। हम जब किसी भी सफल कार्य का अध्ययन अथवा मूल्यांकन करते हैं तथा उससे जुड़े हुए किसी अग्रणी सदस्य से बात करते हैं, तो पाते हैं कि उसका उत्तर होता है कि इसे मैं लाया था अथवा इसे मैंने किया है, जबकि वास्तविकता में कार्य को सफल बनाने में सम्पूर्ण टीम अथवा दल का योगदान होता है। सरकारी सेवा में लोगों से अत्याधिक संवाद के बाद यह पाया कि ज्यादातर सफल लोग दो शब्दों का उपयोग बहुत अधिक करते हैं एक ‘मैं’ और दूसरा ‘हम’। ‘मैं’ का अधिक उपयोग कम विनम्रता को और हम का अधिक उपयोग टीम में अपनी स्थिति में भ्रम को प्रदर्शित करता है। लोगों से ये सवाल करने पर कि ‘आपके साथी आपके बारे में क्या ख्याल रखते हैं?


सामान्य रूप से यही उत्तर मिलता है कि ‘बढ़िया’, जो यह दर्शाता है कि प्रक्रियाएं सम्भवत: कम रचनात्मक हैं तथा व्यक्ति अपने मूल्यांकन के प्रति गम्भीर नहीं है। आमतौर पर यह माना जाता है कि युवा वर्ग में सामान्य रूप से धैर्य कम होता है। इस नाते उनको अपने व्यक्तित्व में स्व-जागरूकता को जीवन के शुरुआती दौर में विकसित करने का प्रयास करना चाहिए। स्व-जागरूकता को विकसित करने के लिए प्रत्येक युवा को नियमित अंतराल पर अपने मूल्यों व कार्यशैली का परीक्षण करते रहना चाहिए। इसके साथ-साथ युवाओं को अपने अपने आप से दो सवाल हमेशा पूछते रहना चाहिए, पहला कि आप क्या श्रेष्ठ कर सकते हैं तथा दूसरा आपकी क्षमता क्या हैं?


जूम वीडियो एप्लीकेशन के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एरिक युआन ने कहा है कि प्रत्येक व्यक्ति विशेषकर युवाओं को दिन के अंत में 15 मिनट तक एक व्यायाम करना चाहिए, जिसमें अपने आप से कुछ सवाल पूछें कि आज दिन भर क्या किया, कोई गलती तो नहीं की, जो किया वे लोगों को लाभ देगा कि नहीं और क्या सुधार कल करने हैं? एक तरह से युवाओं को दिनभर की गतिविधियों को लेकर काफी गंभीर रहने की जरूरत है। किंतु अधिकतर परिस्थितियों में पाया जाता है कि ये सब सोचने तक सीमित रह जाता है। अत: प्रत्येक युवा को अपने अन्दर स्व-जागरूकता को विकसित करने का प्रयास करना चाहिए तथा उसे अपनी जीवनचर्या का अभिनन अंग बना लेना चाहिए।



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