आईटी एक्ट की धारा 66 ए को हटाने के उसके फैसले के बाद भी कुछ राज्यों में केस दर्ज किये

 ई दिल्ली । सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को इस बात पर चिंता जताई कि आईटी एक्ट की धारा 66 ए को हटाने के उसके फैसले के बाद भी कुछ राज्यों में केस दर्ज किये गए हैं।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि आईटी एक्ट की धारा 66-ए के हटाने के बावजूद भी इस सेक्शन के अंतर्गत बड़ी संख्या में पूरे देश में मुकदमे दर्ज हो रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट नोटिस भी जारी कर चुका है और इसके बावजूद केस दर्ज होना गंभीर मामला है। क्या सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी लागू नहीं किया जायेगा.’

याचिकाकर्ता ने कहा कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर में 16 केस दर्ज हुए, जबकि झारखंड में 40 और मध्य प्रदेश में 113 केस दर्ज किए गए हैं. याचिकाकर्ता की तरफ से मांग की गई कि अटॉर्नी जनरल को भी इस मामले में शामिल किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीर माना कि फैसला आने के बाद भी कुछ राज्य 66 A के तहत मुकदमा दर्ज कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील को कहा है कि जिन राज्यों ने फैसले के बाद भी मुकदमे दर्ज किये हैं, उनके मुख्य सचिव से बात करें और उन मुकदमों को खत्म करने पर काम करें. इसके साथ ही शीर्ष न्यायालय ने इस प्रकिया को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार को 3 हफ्ते का समय दिया. मामले की अगली 21 दिनों के बाद होगी ।


आईटी एक्ट की धारा 66-ए के अंतर्गत यह प्रावधान था कि सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक, उत्तेजक या भावनाएं भड़काने वाली सामग्री डालने पर व्यक्ति को गिरफ्तारी किया जा सकता है, लेकिन शीर्ष अदालत ने इस कानून को संविधान के अनुच्छेद 19.1.ए के तहत बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार के खिलाफ बताकर निरस्त कर दिया था.

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