हमें सर सैयद अहमद खान के अंतिम संदेश को याद रखना चाहिए



अलीगढ़, 19 अक्टूबरः हमें सर सैयद अहमद खान के अंतिम संदेश को याद रखना चाहिएजिन्होंने अपने साथियों से एमएओ कालेज की रोशनी को दूर-दूर तक फैलाने का आव्हान कियाजब तक कि चारों तरफ से अंधेरा दूर न हो जाए। यह विचार प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ और फोर्टिस स्काट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के अध्यक्षप्रो डा अशोक सेठ ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वर्ल्ड वर्चुअल एलुमनी मीट-2021 में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

डा. अशोक सेठ ने अपने भाषण में अलीगढ़ समुदाय के बीच मजबूत बंधन का उल्लेख किया और सभी से संस्था की बेहतरी के लिए हर संभव योगदान करने की अपील की।

डा. सेठ ने कहा कि सर सैयद का संदेश आज भी गूंज रहा हैजिसमें उन्होंने कहा था कि मेरे खिलाफ हर जगह आलोचनाओं की बारिश हो रही थीमेरे लिए जीवन इतना कठिन हो गया कि मैं अपनी उम्र से पहले ही बूढ़ा हो गया। मेरे बाल झड़ गएमेरी आंखों की रोशनी चली गईलेकिन मेरी दूरदर्शिता फीकी  नहीं पड़ी। मेरे विचार और मेरा संकल्प कमजोर नहीं हुआ

डा. सेठ ने कहा कि हम पूरी दुनिया में एक महान शैक्षणिक संस्थान का प्रतिनिधित्व करते हैं। हम पर एक बड़ी जिम्मेदारी है क्योंकि हम अलीग हैं। हमें अपनी मातृ संस्था की सेवा करनी चाहिएचाहे वह वित्त पोषणबुनियादी ढांचाअनुसंधान और प्लेसमेंट होया छात्रों के लिए छात्रवृत्ति या मुफ्त शिक्षा होहम सभी को इसका हिस्सा बनना चाहिए।

डा. अशोक सेठ ने कहा कि हम अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को दुनिया के सबसे बड़े शोध विश्वविद्यालय में बदलने के लिए ईमानदारी से मिलकर काम करें।

अलीगढ़ से अपनी संबद्धता का उल्लेख करते हुए प्रो. सेठ ने कहा कि एएमयू न केवल शिक्षा प्रदान करता है बल्कि अपने छात्रों में शिष्टता और शालीनता भी पैदा करता है।

डा. अशोक सेठ ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान एएमयू समुदाय का आचरण सराहनीय रहा है। उन्होंने न केवल अलीगढ़ बल्कि देश के कोने-कोने में जरूरतमंदों की मदद की। मैं विश्वविद्यालय की बेहतरी के लिए कुलपति प्रो. तारिक मंसूर के नेतृत्व की सराहना करता हूं।

अपने अध्यक्षीय भाषण में कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने दुनिया भर में पूर्व छात्रों के नेटवर्क को मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पूर्व छात्र अपनी मातृ संस्थान की बेहतर छवि बनाने और छात्रों का मार्गदर्शन करने के अतिरिक्त कई मोर्चों पर हमारी मदद करते हैं। पूर्व छात्र मामलों की समिति वर्तमान छात्रों की भलाई के लिए पूर्व छात्रों के कौशल का उपयोग करके उन्हें सही करियर चुनने में मदद करने के लिए विश्वविद्यालय के प्रशिक्षण और प्लेसमेंट कार्यालय के साथ मिल कर काम करेगी।

उन्होंने कहा कि महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद एएमयू में डीएम कार्डियोलाजीएमसीएच न्यूरोसर्जरीदो बी.टेक और दो मास्टर्स कोर्स सहित कई पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं। इसके अतिरिक्त दो नए कालेज और तीन नए केंद्र स्थापित किए गए हैं।

प्रोफेसर मंसूर ने चार विशेष कार्यक्रमों - अलीग कनेक्ट ऐपएलुमनी डायरेक्ट्री अपडेटएलिगस एकेडमिक एनरिचमेंट प्रोग्राम (एएईपी)और कशिश - का उल्लेख किया जो पूर्व छात्रों के सहयोग से चल रहे हैं।

उन्होंने विश्वविद्यालय के चिकित्सा और गैर-चिकित्सा बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए एएमयू के पूर्व छात्रों के योगदान और सहयोग की भी सराहना की।

इससे पूर्व प्रो. तलत अहमदकुलपतिकश्मीर विश्वविद्यालयश्रीनगर ने विशिष्ट अतिथि के रूप में कहा कि सर सैयद ने अलीगढ़ को एक शैक्षिक केंद्र बनाया जिसके लाभार्थी पूरी दुनिया में फैले हुए हैं।

एएमयू के मूल्यों और शिक्षण प्रणाली के बारे में बात करते हुए प्रो तलत अहमद ने कहा कि 1972 में एएमयू में एक वैकल्पिक क्रेडिट प्रणाली थी जिसे अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शामिल किया गया है। इसी प्रकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा शिक्षा की अवधारणा के रूप में साइंटिफिक सोसाइटी द्वारा आधुनिक विज्ञान की प्रसिद्ध पुस्तकों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने की अवधारणा को अपनाया गया है।

उन्होंने एलुमनी मीट के विषय महामारी के बाद के अवसर और चुनौतियां का उल्लेख करते हुए कहा कि एएमयू को शोध पर विशेष ध्यान देना चाहिए और एक शोध विश्वविद्यालय का दर्जा बनाए रखना चाहिएताकि छात्रों को अधिक अवसर मिले और शिक्षकों को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएक्योंकि हाइब्रिड या डुअल मोड में शिक्षण व्यवस्था आजकल चलन में है।

प्रो. तलत अहमद ने आवासीय कोचिंग अकादमी (आरसीए) की गतिविधियों की सराहना की और सभी सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों के लिए कोचिंग का आह्वान किया।

एएमयू नेटवर्कसैन फ्रांसिस्कोयूएसए के संस्थापक डा शहीर खान ने अपने संबोधन में कहा कि वर्ष 2020 और 2021 महामारी के कारण सबसे कठिन वर्ष रहे हैंहालांकि आधुनिक तकनीकों ने मानवता को लाभान्वित किया है और कठिनाइयों को कम किया है।  इसके साथ ही अलीग समुदाय भी प्रभावित लोगों की मदद के लिए आगे आया। उन्होंने कहा कि कोविड 19 ने समाज के कमजोर वर्गों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया हैइसलिए उनकी मदद के लिए निरंतर प्रयास की जरूरत होगी। आंशिक रूप से यह मानवीय सहायता हैलेकिन यह भविष्य के लिए एक तरह का निवेश है।

इंजीनियर फैसल सलीम (स्मार्ट प्रोग्राम ड्राइव मैनेजरफीनिक्सयूएसए और एएमयू टेनिस क्लब के पूर्व कप्तान) ने कहा कि एएमयू ने खेल के क्षेत्र में भी अहम भूमिका निभाई है। प्रसिद्ध छात्र जफर इकबाललास एंजिल्स ओलंपिक 1984 में भारतीय दल के ध्वजवाहक थे। उन्होंने कहा कि एएमयू को अपने पुराने गौरव को पुनर्जीवित करना चाहिए और खेल कौशल विकसित करना चाहिए।

श्री सलीम ने अलीग्स एकेडमिक इनरिचमेंट प्रोग्राम और अलीग डिजी-एड पायलट प्रोजेक्ट के तहत ज्ञान और कौशल को साझा करने में संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने वाले पूर्व छात्रों की सेवाओं के बारे में भी बताया।

कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथिप्रसिद्ध लेखिकाअनुवादक और फिल्म निर्माता सुश्री हुमा खलील ने एएमयू के अद्वितीय वातावरण और अलीगढ़ शहर की सांस्कृतिक परंपराओं पर प्रकाश डाला।

उन्होंने इकबालअल्ताफ हुसैन हालीहसरत मोहानीमजाज और जोश के बारे में बात करते हुए कहा कि अलीगढ़ का 150 साल पुराना सांस्कृतिक माहौल एएमयू के कारण है।

सुश्री हुमा खलील ने अपनी पुस्तक द एल्योर आफ अलीगढ़ः ए पोएटिक जर्नी इन द यूनिवर्सिटी सिटी की पृष्ठभूमि के बारे में बताया और सांस्कृति मूल्यों और परंपराओं का उल्लेख किया।

इससे पूर्व कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए पूर्व छात्र मामलों की समिति के अध्यक्ष प्रो. एम.एम. सुफियान बेग ने कहा कि पूर्व छात्र किसी भी शैक्षणिक संस्थान का अभिन्न अंग होते हैं और अन्य बातों के अलावाविश्वविद्यालय की रेटिंग और मान्यता में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान दुनिया भर के एएमयू के पूर्व छात्रों ने पीएमकेयर फंड से प्राप्त हुए दो आक्सीजन प्लांट के अतिरिक्त एक आक्सीजन प्लांट खरीदने के लिए 1.73 करोड़ रुपये का दान दिया। इसके अलावा उनके दान का उपयोग बाल चिकित्सा आईसीयू बनानेडायलिसिस मशीन और अन्य आवश्यक चिकित्सा उपकरण खरीदने के लिए किया गया।

समारोह के अंत में पूर्व छात्र मामलों की समिति के उपाध्यक्ष प्रोफेसर मुहम्मद मुबीन ने आभार व्यक्त कियाजबकि डा फायजा अब्बासी ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस दौरान मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए गये।

प्रो. हकीम सैयद ज़िल्लुर-रहमान विश्वविद्यालय के कोषाध्यक्षपरीक्षा नियंत्रक श्री मुजीबुल्लाह जुबैरीवित्त अधिकारी प्रो. मुहम्मद मोहसिन खानप्राक्टर प्रो. मुहम्मद वसीम अलीडीन छात्र कल्याण प्रो. मुजाहिद बेगप्रो. अफिफुल्ला खान ओएसडी (विकास) डा. सलमा शाहीनप्राचार्यविश्वविद्यालय महिला पालिटेक्निककार्यवाहक कुलसचिव श्री एस.एम. सुरूर अतहर सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने बड़ी संख्या में कार्यक्रम में भाग लिया। यह कार्यक्रम यूट्यूब पर भी प्रसारित किया गया।

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