अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में ईद मिलाद-उन-नबी कार्यक्रम आयोजित

 


अलीगढ़, 19 अक्टूबरः हजरत मुहम्मद साहब का जीवन हर पहलू से सभी के लिए एक आदर्श माडल हैचाहे नेतृत्व की बात हो या नैतिकता की बात होचाहे दूसरों के साथ व्यवहार करने की बात हो या महिलाओं के अधिकारों कीचाहे वह शांति की हो या युद्ध कीहर स्थिति में मोहम्मद साहब की शिक्षाओं को अपनाकर विश्व में शांति और न्याय की स्थापना की जा सकती है। यह विचार कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने एएमयू में आयोजित आनलाइन ईद मिलाद-उन-नबी कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि मोहम्मद साहब की शिक्षाओं को उनके कार्यों में देखा जा सकता है। उन्होंने व्यावहारिक उदाहरण दिए जिससे कम समय में समाज में सकारात्मक बदलाव और क्रांति हुई।

प्रो मंसूर ने कहा मोहम्मद साहब का जीवन सभी को प्रेरित करता है क्योंकि न्यायसंतुलन और संयमकरुणा और प्रेमसमानतानिजी और सार्वजनिक जीवन में समानताईमानदारीनिष्ठासादगीदयामुस्लिम और गैर-मुस्लिमदोस्त और शत्रु सबसे संतुलित व्यवहार आपके जीवन की विशेषता हैजो सभी को आकर्षित करता है।

कुलपति ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद साहब का व्यक्तित्व ऐतिहासिक है। उन्होंने ज्ञान को बुनियादी महत्व दिया और इसे हासिल करना आवश्यक बना दिया। उन्होंने महिलाओं को न्याय दिलाने के साथ उन्हें अधिकार दिए और कहा कि महिलाओं को शिक्षा से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। प्रोफेसर मंसूर ने कहा कि हमारे पास हजरत आयशा का उदाहरण है कि एक महिला विद्वान और रोल माडल भी हो सकती है।

कुलपति प्रो तारिक मंसूर ने कहा कि  चाहे युद्ध हो या शांतिपैगंबर साहब ने गैर-मुसलमानों के साथ भी दुर्व्यवहार और अन्याय को सख्ती से मना किया है। इस्लाम में लचीलापन और संयम है। हमें पैगंबर मुहम्मद साहब के जीवन और उनकी शिक्षाओं का पालन करने की जरूरत है और मतभेदों को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मुहम्मद यूसुफ अमीन (सेवानिवृत्त) ने अपने संबोधन में पैगंबर मुहम्मद साहब के आदर्श नैतिकता और गुणों का वर्णन किया और कहा कि पैगंबर की जीवनी और हदीसों का अध्ययन करना आज के युवाओं की जिम्मेदारी है। पैगंबर के जीवन को समझें और उनके बताए रास्ते पर चलें।

एएमयू के शिया धर्मशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. तैयब रजा नकवी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हजरत मुहम्मद साहब ने ज्ञान प्रदान करने के बदले में गैर-मुस्लिम कैदियों को रिहा किया थायानी पैगंबर साहब ने शिक्षा को महत्वपूर्ण स्थान दिया।

इसी तरह मक्का की विजय के दौरान दया दिखाई और सभी के लिए आम माफी की घोषणा की। उन्होंने कहा कि पैगंबर मोहम्मद साहब ने न केवल इंसानों बल्कि जानवरों के साथ भी दुर्व्यवहार करने से मना किया है। इस नैतिकता और न्याय को आज अपनाने की आवश्यकता है।

प्रो सऊद आलम कासमी (डीनधर्मशास्त्र संकायएएमयू) ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि सर सैयद अहमद खान के समय से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में सिरत-ए-रसूल के कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं। सर सैयद ने पैगम्बर साहब के जीवन पर आधारित पुस्तक लिखी। इसके अलावाअल्लामा शिबली नोमानी को अलीगढ़ बुलाया जिन्होंने कई खंडों में सिरत-उन-नबी जैसी पुस्तक लिखी।

ईद मिलाद-उन-नबी कार्यक्रम का संचालन प्रो. मुफ्ती जाहिद अली खान (अध्यक्षसुन्नी धर्मशास्त्र विभागएएमयू) ने किया। कार्यक्रम के दौरान कुलपति द्वारा प्रो. मुहम्मद युसूफ अमीन और प्रो. तैयब रजा नकवी को शाल भेंट की गई। इस अवसर पर दो छात्रोंमोहम्मद फवाद अब्बासी (एएमयू एसटीएस स्कूल) और सुभाना फातिमा (एएमयू एबीके गर्ल्स हाई स्कूल) ने नात पढ़ी।

कार्यवाहक कुलसचिव श्री एसएम सुरूर अतहर ने आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम से पूर्व कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने मौलाना आजाद पुस्तकालय द्वारा आयोजित एक आनलाइन सीरत प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।

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