अमुवि कुलपति द्वारा पुस्तक का विमोचन

 


अलीगढ़, 16 सितंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर द्वारा आज कुलपति कार्यालय में प्रोफेसर एम शाफे किदवाई द्वारा अंग्रेजी में लिखित पुस्तक सर सैयद अहमद खानः रीज़नरिलीजन एण्ड नेशन’ का विमोचन किया। जिसे अल्पसंख्यकमहिलादलित और जनजातीय साहित्य 2021 के कलिंग साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

रूटलेज द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक राजनीतिऔपनिवेशिक अध्ययनइतिहासइस्लामी अध्ययनधार्मिक अध्ययन और दक्षिण एशियाई अध्ययन के क्षेत्र में शोधकर्ताओं का मार्गदर्शन करने के लिए तथ्यात्मक शोध विश्लेषण और अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।

पुस्तक का विमोचन करते हुए कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि इस पुस्तक में एएमयू के संस्थापक सर सैयद अहमद खान के जीवन और भारत में लोकतांत्रिक चेतना के विकास में उनकी अमूल्य सेवाओं को बहुत व्यापक और स्पष्ट तरीके से शामिल किया गया है।

उन्होंने कहा कि सर सैयद अहमद खानः रीज़नरिलीजन एण्ड नेशन’ उन्नीसवीं सदी के भारत के सामाजिक-राजनीतिक विमर्श के व्यापक संदर्भ में सर सैयद के जीवन और सेवाओं को व्यापक रूप में प्रस्तुत करती है।

पुस्तक की प्रस्तावना में प्रसिद्ध इतिहासकार प्रोफेसर एमेरिटस इरफान हबीब लिखते हैं कि मुझे विश्वास है कि सर सैयद अहमद खां के जीवन और उनके कार्यों में रूचि रखने वाले पाठकों के लिये प्रो. शाफे किदवई की पुस्तक उद्देश्यपूर्ण और उचित तरीके से प्रस्तुत की गई जानकारी का भंडार है। इसके लिए हम सभी को उनका आभारी होना चाहिए।

इस पुस्तक में प्रोफेसर फैसल देवजी (आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय)सक्रिता पाव कुमार (प्रसिद्ध विद्वान और कवि)अनीस-उर-रहमान (प्रसिद्ध विद्वान और आलोचक)प्रोफेसर यास्मीन सेकिया (एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी) और प्रसिद्ध लेखिका तथा पूर्व सदस्यभारत के योजना आयोग और पूर्व चांसलरमौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय) सैयदा सैयदन हमीद के प्राक्कथन शामिल हैं। ।

पुस्तक के लेखकप्रोफेसर शाफे किदवाई (जनसंचार विभाग) ने कहा कि इस खंड में मैंने औपनिवेशिक कानून और प्रशासनपैगंबर का अपमानधर्मांतरणमहिला शिक्षाधार्मिक विश्वासप्रेस की स्वतंत्रतामहिला सशक्तिकरणहिंदू-मुस्लिम एकताउर्दू-हिंदी संघर्ष और मुसलमानों के लिए आरक्षण जैसे मुद्दों पर सर सैयद के विचारों का विश्लेषण करने का प्रयास किया है।

इस अवसर पर एएमयू रजिस्ट्रारश्री अब्दुल हमीदआईपीएसप्रो एआर कदवई (निदेशकयूजीसीएचआरडी केंद्र)प्रो मुहम्मद आसिम सिद्दीकी (अंग्रेजी विभाग)प्रो मुहम्मद सज्जाद (इतिहास विभाग) और श्री अजय बसरिया (हिंदी विभाग) तथा जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर पीताबास प्रधान मौजूद थे।

सर सैयद की यह जीवनी प्राचीन दस्तावेजों के व्यापक शोध और सर सैयद के लेखनभाषणों और उपदेशों के गहन अध्ययन पर आधारित है। इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि सर सैयद आधुनिक भारत के प्रमुख संस्थापकों में से एक हैंसामाजिक सुधार और बौद्धिक जागृति लाने के उनके अथक प्रयासउनके धार्मिक विचारजिन्हें तार्किक और तर्कसंगत आधार पर बढ़ावा दिया गया था। कैसे वह न्यायपालिका में अपने काम के बावजूद विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय होने के लिए समय निकालने में कामयाब रहे और कैसे उन्होंने मूल्यवान पुस्तकों के लेखक के रूप में ब्रिटिश प्रशासन की कमजोरियों और गलतियों को साहसपूर्वक उजागर किया।

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