अंग्रेजों भारत छोड़ों आन्दोलन के संघर्षमयी इतिहास दोहराएगा किसान


               तीनों कृषि बिल वापस करो नहीं तो - मोदी गद्दी छोड़ो


अलीगढ । अंग्रेजों भारत छोड़ो आन्दोलन में किसानों-मजदूरों के ऐतिहासिक संघर्ष को याद करते आज देश भर में कार्यक्रम हुए। संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय आह्वान पर जिले में सक्रिय किसान संगठनों ने पान दरीबा में प्रतिरोध सभा का आयोजन किया। 

 प्रतिरोध सभा की अध्यक्षता भाकियू के नेता चौधरी नबाव सिंह और किसान सभा के सूरजपाल उपाध्याय ने संयुक्त रूप से की। 

किसान आन्दोलन के समर्थन में आये प्रो सुहेब शेरवानी ने कहा कि किसान आंदोलन केवल किसानों का नहीं अब यह जनान्दोलन बन चुका है। 


 इस आन्दोलन को समाज के हर वर्ग का समर्थन मिल रहा है।

सभा को संबोधित करते भाकियू अम्बावता के जिलाध्यक्ष विनोद सिंह ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी नहीं तो मोदी गद्दी छोड़े। सरकार छह सौ किसानों की पिछले नौ महीने में शहादत को नजर अंदाज कर रही है जिसकी सजा देश भर का किसान मजदूर इनका गांव-गांव बहिष्कार करके करेगा। 

किसान सभा के एहतेशाम बेग का कहना था कि आज किसानों को देशद्रोही और विदेशी ताकतों के एजेंट कहने वाली सरकार अपने गिरेबान में झांके। 1942 के आन्दोलन में यहीं फरेबी छदम राष्ट्रवादी अंग्रेजों की मुखबिरी में लिप्त थे। भाकियू महाशक्ति के सुरेश चंद्र गांधी ने योगी सरकार के अन्न महोत्सव को चुनावी ड्रामा बताया। एक ओर बीस किलो के थैले में पांच किलो अनाज दे रही है दूसरी ओर मुंह का निवाला तक कारपोरेट के हवाले किया जा रहा है। 


किसान सभा के इदरीश मोहम्मद ने कहा तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की लड़ाई आजादी की दूसरी जंग है। बेरोजगार मजदूर किसान यूनियन  के सोरनसिंह ने कहा कि सरकार खेती, रोजगार धंधे, कल कारखाने, खान, संपदा सब कुछ कारपोरेट को सौंप रही है। आज बेरोजगारी और भुखमरी की जनता पर दोहरी मार हो गई। 

युवा महिला किसान प्रीति ने कहा कि इस सरकार ने हमारे बाप-दादा को देशद्रोही कहकर अपमानित किया है हम युवा शक्ति इस अपमान की सजा चुनाव में देंगे। निर्माण श्रमिक वीरेन्द्र सिंह ने श्रमिक कार्ड दिखाते हुए कहा सरकार कहती है हमने किसानों -मजदूरों की आय बढाई है। वास्तविकता है कि पिछले सात सालों में न कोई लाभ मिला और न काम।

भाकियू टिकैत के चौधरी नबाब सिंह ने कहा कि अंग्रेजों भारत छोड़ों का आन्दोलन विदेशी सत्ता से आजादी के लिए था। किसान-मजदूर पूंजीपतियों का आज भी गुलाम है, पिछले नौ महीने से चल रहा ऐतिहासिक आन्दोलन कारपोरेट से आजादी की जंग है। 

धन्यवाद ज्ञापित करते हुए किसान सभा के सूरजपाल उपाध्याय ने सभी संगठनों से किसानों -मजदूरों की व्यापक एकजुटता की अपील की। साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा की आगामी सितंबर माह में संभल और मुज्जफरनगर की रैली को सफल बनाने के लिए गांव-गांव प्रचार करने की बात कही। 

प्रतिरोध सभा का संचालन संयुक्त किसान मोर्चा संयोजक शशिकान्त ने किया। प्रतिरोध सभा में बौद्ध भिक्षु भन्ते सीवली बोधि, कामरेड इकबाल मंद, हाथरस से बेरोजगार मजदूर किसान यूनियन के अध्यक्ष रमेशचन्द्र विद्रोही , गोकुल करन, चौधरी गजेन्द्र सिंह, भाकियू हरपाल के राष्ट्रीय सचिव रामबाबू चौहान, गौंडा से प्रदेश सचिव हरेन्द्र सिंह चौधरी, यूपीएमसीआरए के राजकुमार शर्मा, एआईएसएफ के जिलाध्यक्ष जितेन्द्र आर्य, वीरेन्द्र सिंह, निर्माण श्रमिक संगठन के जे के शर्मा, पवन कुमार, हरीपाल, लक्ष्मी सिंह, जुगेन्द्र सिंह, हाकिम सिंह, सुरेश कुमार, रामवीर सिंह, डा सत्येन्द्र पाल सिंह, महेश चौधरी, सत्यप्रकाश, 

आदि ने भी विचार व्यक्त किए। सभी मानना था कि

आज अगस्त क्रांति दिवस के अवसर  पूरे देश में किसानों ने सरकार से कहा कि किसानों की मांग पूरा करो नहीं तो मोदी गद्दी छोड़ो। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में लाया गत्रत्रया तीनों कृषि कानून सिर्फ किसानों के ही नहीं बल्कि यह जनविरोधी कानून है। सरकार जो न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों के अनाजों को दे रखी है उसका लाभ किसानों को नहीं मिल पाता है। इसलिए सरकार से इसे कानूनी मान्यता देना की मांग की जा रही है। उन्होंने कहा कि 2020 में लॉकडाउन में ही बिजली बिल लाई है जिसे संघर्षों के दवाब में लागू नहीं कर पा रही है। उस बिजली बिल को वापस लेने की मांग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 9 अगस्त 1942 के आंदोलन की तरह ही आज पूरे देश में किसान सड़कों पर आन्दोलन करके मोदी सरकार को किसानों की मांग मानो नही तो गद्दी छोड़ो की बात कर रहे हैं।

           शशिकान्त 

संयोजक, संयुक्त किसान मोर्चा 

अलीगढ़, 9352338742

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