Photo:- मुनिराज जी
लेख:- अरविंद उपाध्याय के फ़ेसबुक से...
वर्ष 2018 में जब वह बतौर बुलंदशहर एसएसपी तैनात थे, तब 2 जनवरी की शाम को छात्रा साइकिल से कोचिंग में न्यू ईयर पार्टी में से लौट रही थी। तभी उसे पुराने जीटी रोड से अगवा किया गया। मौके पर साइकिल पड़ी मिली थी, जिसके आधार पर यह पता चला कि छात्रा अगवा हुई है।
इसके अलावा कोई सुराग नहीं था। इसी बीच 4 जनवरी को जब नोएडा में उसकी नाले में लाश मिली और पोस्टमार्टम में दुष्कर्म की पुष्टि हुई तो तनाव और ज्यादा बढ़ गया।*सामाजिक और सियासी स्तर पर पुलिस पर तमाम तरह के दबाव थे।
पुलिस सेवा के अब तक के जीवन में बुधवार को दिल को बड़ी तसल्ली मिली है। इस खुशी की वजह भी जायज है। बुलंदशहर में किशोरी के अपहरण के बाद दुष्कर्म और हत्या के जिस केस को लेकर बेहद तनाव रहा। दस दिन तक नींद नहीं आई। उस केस में तीनों आरोपियों को तीन साल बाद न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई है।
हालांकि बेटी तो अब इस दुनिया में नहीं है। मगर लगा है कि बेटी को किसी हद तक न्याय दिला पाने में सफल रहा। मन को सुकून महसूस हो रहा है। बेटी के परिवार ने भी फोन कर आभार जताया है। हालांकि उनको उनकी बेटी तो वापस नहीं दिला सकता। मगर उनके खुशी में अपनी खुशी महसूस हो रही है। यह कहना है बुलंदशहर फांसी फैसले पर एसएसपी मुनिराज जी का।
सीबीआई की तर्ज पर किया गया काम
इसके बाद सीबीआई की तर्ज पर घटना के एक घंटे पहले से लेकर घटना के एक घंटे बाद तक जीटी रोड पर इधर-उधर गुजरने वाली अल्टो कारों का ब्योरा जुटाया। इस दौरान एक हरियाणा नंबर की कार प्रकाश में आई। उसकी लोकेशन तक घटनास्थल आते और वापस लौटकर नोएडा की ओर जाते पाई गई। वह गाड़ी लाश मिलने के स्थान पर भी ट्रैस हुई।
इस पर उस कार स्वामी के फरीदाबाद पते पर टीम भेजी तो पाया कि उसने कार सिकंदराबाद के किसी व्यक्ति को बेच दी है। फिर टीम उसके घर पहुंची तो पाया कि उसका छोटा भाई घटना वाले दिन अपने दो दोस्तों संग कार में था। इस पर एक एक्सीडेंट के संबंध में पूछताछ के बहाने कार स्वामी के भाई व एक अन्य को हिरासत में लिया गया। तीसरा पुलिस के पहुंचने पर भाग गया। बस तब जाकर घटना खुली। वहीं पुलिस दबाव के चलते तीसरा आरोपी थाने पहुंचकर हाजिर हो गया था।*
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