सर सैयद के एक राष्ट्र के दृष्टिकोण में धर्म, जाति या नस्ल के आधार पर किसी भेदभाव के बिना इसके सभी निवासी शामिल हैं और उन्होंने जीवन भर धार्मिक आत्मीयता, सहिष्णुता और आपसी समझ को बढ़ावा दिया ।

 अलीगढ़ / अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खान की 203वीं जयंती आज हर्षोउल्लास के वातावरण में मनायी गयी।

आनलाइन आयोजित मुख्य स्मृति समारोह को संबोधित करते हुए मेघालय के राज्यपाल महामहिम श्री सत्य पाल मलिक ने कहा कि ”भारत के एक विचार की सबसे प्रारंभिक अभिव्यक्ति, सर सैयद के एक राष्ट्र के दृष्टिकोण में धर्म, जाति या नस्ल के आधार पर किसी भेदभाव के बिना इसके सभी निवासी शामिल हैं और उन्होंने जीवन भर धार्मिक आत्मीयता, सहिष्णुता और आपसी समझ को बढ़ावा दिया”।

श्री सत्यपाल मलिक जो पूर्व में जम्मू-कश्मीर, बिहार और गोवा के राज्यपाल भी रह चुके हैं, ने सर सैयद दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार वयक्त करते हुए कहा कि सर सैयद को सही मायने में बुद्धिजीवियों और विद्वानों द्वारा आधुनिक भारत के निर्माताओं में गिना जाता है और उन्हें 19वीं शताब्दी के भारत में वैज्ञानिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सम्मानित किया जाता है।
अमुवि के शताब्दी वर्षगांठ पर बोलते हुए मुख्य अतिथि ने कहा कि इस ऐतिहासिक विश्वविद्यालय का शताब्दी वर्ष उत्सवों से भरा हो सकता था और शैक्षणिक दुनिया एक भव्य उत्सव की गवाह बनती, यदि हमारी दुनिया सर्वव्यापी कोविड 19 महामारी की चपेट में नहीं आती।

गवर्नर मलिक ने कहा एएमयू ने इस वायरस को रोकने के लिए सुरक्षित साधनों और सावधानियों के साथ आनलाइन अकादमिक गतिविधियों का प्रबंधन किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस महामारी के कारण एक चुनौतीपूर्ण समय में रह रहे हैं, लेकिन यह देखकर खुशी होती है कि एएमयू इस अवसर पर पूरी क्षमता के साथ मानवता की सेवा कर रहा है क्योंकि इसके जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज ने एक उदाहरण पेश किया है।
जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के कोरोना योद्धाओं के प्रयासों की सराहना करते हुए श्री मलिक ने कहा कि इस कालिज के डॉक्टर निम्न आर्थिक स्तर के रोगियों को स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए अंथक प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय विज्ञान, प्रौद्योगिकी, सामाजिक विज्ञान, मानविकी और ज्ञान की अन्य महत्वपूर्ण शाखाओं में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रयासरत है और इस ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण, कल्याण तथा विकास के लिये प्रयास करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

इस अवसर पर राज्यपाल मलिक ने एएमयू के साथ अपने संबन्धों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब वह अलीगढ़ के संसद सदस्य (1989 से 1991) थे तो वह अक्सर विश्वविद्यालय का दौरा करते रहते थे तथा बाद में वह एएमयू कोर्ट के सदस्य भी रहे। उन्होंने कहा कि एएमयू उन्हें हमेशा से बहुत प्रिय है।
उन्होंने कहा कि वह इसके कल्याण के लिए जो भी संभव है वह करता रहा हूं। उन्होंने कहा कि वह मानते है कि एएमयू राष्ट्र का एक बड़ा गौरव है।
उन्होंने कहा कि दिवंगत कवि और गीतकार, स्वर्गीय प्रोफेसर शहयार और छात्रों सहित एएमयू शिक्षकों ने उनके लिए चुनाव में प्रचार भी किया था और उनकी जीत में उनका बड़ा योगदान था। उन्होंने कहा कि जब वह जम्मू कशमीर के राज्यपाल थे तो उन्होंने  2019 में कश्मीर घाटी में गड़बड़ी के दौरान कश्मीरी छात्रों को एएमयू में रुके रहने और घर नहीं लौटने के लिए समझाने में कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर से बात कर उनको पूरा सहयोग प्रदान किया था।

श्री सत्यपाल मलिक ने अमुवि के चहुमुखी विकास एवं उन्नति के लिये कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर के प्रयासों को भी सराहा।  
एएमयू प्रो चांसलर, नवाब इब्ने सईद खान आफ छतारी ने मुख्य अतिथि को आभासी तौर पर स्मृति चिन्ह प्रस्तुत किया।
अपने स्वागत भाषण में एएमयू के कुलपति, प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि सर सैयद ने समाज में एक क्रांति उत्पन्न कर दी जिसने भारतीय समाज को सभी क्षेत्रों में बदल कर रख दिया। वह एक गतिशील और बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्ति और एक विपुल लेखक थे जिन्होंने शिक्षा, धर्म, संस्कृति, पत्रकारिता, साहित्य, सामाज सुधार, अर्थशास्त्र और राजनीति जैसे विविध विषयों पर बड़ी संख्या में किताबें लिखीं।
अमुवि के शताब्दी वर्ष पर बोलते हुए कुलपति ने कहा कि यह बहुत गर्व, खुशी और संतोष की बात है कि हम विश्वविद्यालय के रूप में एएमयू की स्थापना की 100वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि सर सैयद के सपनों को साकार करने के साथ एएमयू उच्च शैक्षणिक मानक, गुणवत्ता और प्रासंगिक अनुसंधान के कारण अकादमिक उत्कृष्टता की नई ऊंचाइयों छूते हुए अपनी स्थापना के सौ साल बाद ज्ञान की सभी शाखाओं में निरंतर प्रगति कर रहा है।
उन्होंने कहा कि एएमयू राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों में किसी से भी पीछे नहीं है और हमेशा प्राकृतिक आपदा और अन्य संकटों के समय इसने प्रभावितों की सेवा के लिए आगे कदम बढ़ाये हैं। कोविड-19 महामारी के इस चुनौतीपूर्ण समय में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज विशेष रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संक्रमित रोगियों को सस्ती तथा मुफ्त चिकित्सा सुविधा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
मेडिकल कालिज की माईक्रोबायोलाजी लैब में एक लाख बीस हजार आरटी-पीसीआर परीक्षण किये जा चुके हैं और कोविड-19 रोगियों के लिए एक अलग आइसोलेशन वार्ड बनाया है, जो समर्पित आपरेशन थिएटर, लेबर रूम और रीनल डायलिसिस की विशेष सुविधाओं से सुसज्जित है। अस्पताल में प्लाज्मा थेरेपी भी की जा रही है।

कुलपति ने कहा किएएमयू सर सैयद के पदचिन्हों पर चलते हुए सांप्रदायिक सद्भाव और आपसी सह-अस्तित्व का एक माडल संस्थान है। इस संस्था के दरवाजे धर्म, जाति या पंथ के आधार पर बिना किसी भेदभाव के सभी के लिए खुले हैं। उन्होंने कहा कि सर सैयद हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे और उनके सपनों का भारत समावेशी था जहां विविधता में एकता थी और जहां धर्म, जाति या रंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता था।
कुलपति ने कहा कि सर सैयद की शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासांगिक हैं जितनी वे उनके जीवन काल में थीं।
गवर्नर मलिक और प्रोफेसर मंसूर ने प्रतिष्ठित इतिहासकार और प्रख्यात लेखक, डा० गेल मिनौ और अंजुमन-ए-इस्लाम, मुम्बई को क्रमशः अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय सर सैयद उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया।  डा० गेल मिनौ को प्रशस्ति पत्र और दो लाख रुपये का नकद पुरस्कार मिला, जबकि अंजुमन-ए-इस्लाम को प्रशस्ति पत्र के साथ एक लाख रुपये का नकद पुरस्कार प्रदान किया गया।
डा० गेल मिनौ (प्रोफेसर एमेरिटा, इतिहास विभाग, द यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास, ऑस्टिन, यूएसए) ने सर सैयद एक्सीलेंस अवार्ड प्राप्त करते हुए कहा कि वह वर्चुअल मोड में ही सही इस महत्पूर्ण समारोह का हिस्सा बनने के लिए कृतज्ञ हैं।
उन्होंने खिलाफत आंदोलन पर अपने शोध की चर्चा की और कहा कि यह जानना महत्वपूर्ण था कि उसके लिए अली ब्रादर्स, और अब्दुल बारी फिरंगी महली, और मौलाना आजाद क्या लिख रहे थे, सोच रहे थे, और कह रहे थे कि उनके ब्रिटिश वार्ताकार क्या कह रहे थे।
डा० मिनौ ने अपने शोध में विभिन्न स्कूलों के संस्थापकों के परिवारजनों और वंशजों, विशेष रूप से अलीगढ़ गर्ल्स स्कूल के संस्थापक शेख अब्दुल्ला के परिवार और पत्रिकाओं के संपादकों और प्रकाशकों से प्राप्त सहायता पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपने भाषण में विशेष रूप से मुमताज जहाँ हैदर का उल्लेख किया जो कई वर्षों तक वीमेंस कालिज की प्राचार्या रहीं।
अंजुमन-ए-इस्लाम की ओर से पुरस्कार प्राप्त करते हुए, इसके अध्यक्ष, श्री जहीरुल इस्लाम काजी ने कहा कि अंजुमन-ए-इस्लाम की स्थापना वर्ष 1874 में जस्टिस बदरुद्दीन तैयबजी के नेतृत्व वाले दूरदर्शी लोगों के एक समूह द्वारा की गई थी और अब तक इस सोसाइटी के अंतर्गत प्री-प्राइमरी स्कूलों से लेकर स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर तक की 100 संस्थाएं स्थापित की जा चुकी हैं।
उन्होंने कहा कि अंजुमन-ए-इस्लाम सर सैयद की नीतियों का अनुसरण करता है ताकि हाशिए पर रह रहे वर्गों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान किया जा सके।
एएमयू के रजिस्ट्रार, श्री अब्दुल हमीद (आईपीएस) ने पुरस्कार पाने वालों के लिए प्रशंसा पत्र पढ़े।
इस अवसर पर अमुवि के अप्लाइड केमिस्ट्री विभाग के सहायक प्रोफेसर डा० इनामुद्दीन को विज्ञान, जीवन विज्ञान, इंजीनियरिंग, चिकित्सा और यूनानी चिकित्सा श्रेणी में ”एएमयू यंग रिसर्चर ऑफ द ईयर अवार्ड” से सम्मानित किया गया। उन्हें पुरस्कार स्वरूप 50, 000 रुपये नकद प्रदान किये गये।
इंस्टीट्यूट आफ एडवांस स्टडीज इन एजुकेशन, श्रीनगर के छात्र मुश्ताक उल हक अहमद सिकंदर ने सर सैयद अहमद खान की जयंती पर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अखिल भारतीय निबंध लेखन प्रतियोगिता का पहला पुरस्कार दिया गया जबकि एएमयू में एमए की छात्रा बुशरा अजीज और, महाराजा कालिज, एर्नाकुलम, कोच्चि में पीएचडी की छात्रा अंजना मेनन को क्रमशः द्वितीय और तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। प्रथम, दूसरे और तीसरे पुरस्कार विजेताओं को प्रमाण पत्र के साथ क्रमशः 25,000 रू०, 15,000 रू० और 10,000 रू० के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
राज्य टॉपर्स वर्ग में श्रुति तिवारी, बीए एलएलबी, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (दिल्ली), शेख नसरीन सुल्ताना, एमबीए, एस आर लूथरा इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट, सूरत (गुजरात), आमिना तबस्सुम, एमएड, स्कूल आफ एजुकेशन, सेंट्रल यूनिवर्सिटी आफ कश्मीर, गांदरबल (जम्मू और कश्मीर), इकरा शमीम, बीए एलएलबी, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय मलप्पुरम केंद्र (केरल), मोमिन निखत परवीन शफीक अहमद, बीयूएमएस, मोहम्मदिया तिब्बिया कालिज और असायर अस्पताल, मंसोरा, मालेगांव, नासिक (महाराष्ट्र), गुरदीप कौर, एम.एससी, कॉलेज ऑफ बेसिक साइंसेज एंड ह्यूमैनिटीज, पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना (पंजाब), सुलेमान एमके, एमए द्वितीय वर्ष, अर्थशास्त्र विभाग, मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय, हैदराबाद (तेलंगाना), मोहम्मद अब्दुल्ला सरकार, बीए, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (उत्तर प्रदेश) और चंद्रिल चट्टोपाध्याय, एलएलबी, विधि विभाग, बर्दवान विश्वविद्यालय (पश्चिम बंगाल) को पुरस्कार स्वरूप 5,000 रू० नगद तथा प्रशस्तिपत्र से सम्मानित किया गया।
इनके अतिरिक्त हरियाणा तथा कर्नाटक से दो-दो विजेताओं को संयुक्त रूप से राज्य टापर का पुरस्कार प्रदान किया गया जिनमें हरियाणा से सारिका (बीए, कुमारी विद्यावती आनंद डीएवी कलिज फार वीमेन, करनाल) और सचिन गर्ग (बीएससी, छात्र कल्याण निदेशालय, चैधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय, हिसार) तथा कर्नाटक से इरफाना फिरदौस (बीकाम, अल-करीम डिग्री कॉलेज फार वीमेन, रायचूर) और फिरोज बाशा टीएम (बीएससी, कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, बेंग्लुरु) शामिल हैं। उक्त विजेताओं को प्रमाण पत्र के साथ 2500 रूपये पुरस्कार स्वरूप प्रदान किये गये।
अंग्रेजी विभाग की प्रोफेसर विभा शर्मा, डीन, फैकल्टी आफ ला, प्रोफेसर एम शकील अहमद समदानी, हयात फतिमा (बीए की छात्रा) और कमरुल इस्लाम (पीएचडी छात्र, अरबी) ने सर सैयद अहमद खान की शिक्षाओं, दर्शन, कार्यों और मिशन पर भाषण दिए।
इस अवसर पर प्रोचान्सलर नवाब इब्ने सईद खान आफ छतारी, सहकुलपति, प्रोफेसर जहीरुद्दीन, ट्रेज़रार प्रोफेसर हकीम सैयद ज़िल्लुर्रहमान, परीक्षा नियंत्रक श्री मुजीब उल्लाह जुबेरी, वित्त अधिकारी प्रोफेसर एस एम जावेद अख्तर और प्राक्टर प्रोफेसर मोहम्मद वसीम अली सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति आनलाइन समारोह में शामिल हुए।
प्रोफेसर मुजाहिद बेग, डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया जबकि डा० फायज़ा अब्बासी और डा० शारिक अकील ने कार्यक्रम का संचालन किया।
इससे पूर्व जामा मस्जिद में फज्र की प्रार्थना के बाद कुरान ख्वानी का आयोजन किया गया तथा अधिकारियों और शिक्षकों के साथ कुलपति प्रोफेसर मंसूर ने सर सैयद के मजार पर चादर पोशी के पारंपरिक अनुष्ठान के बाद पुष्पांजलि अर्पित की।
प्रातः 9 बजे कुलपति ने सर सैयद हाउस में सर सैय्यद अहमद खान से संबंधित पुस्तकों और तस्वीरों की ऑनलाइन प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया। प्रदर्शनी का आयोजन मौलाना आजाद लाइब्रेरी और सर सैयद अकादमी द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।
बाद में चांसलर एवं आध्यात्मिक गुरू सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन ने आनलाइन माध्यम से विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष की यादगार के रूप में एएमयू कैंपस के उत्तरी भाग में निर्मित वैभवशाली ”सेन्टेनरी गेट” का उद्घाटन किया।
जनसंपर्क कार्यालय,
अमुवि अलीगढ़।

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