बड़ी संख्‍या में अवैध रुप से यूपी में घुसपैठियें बसे हुए हैं। जिन्‍हें निकाल बाहर करने के लिए यूपी सरकार ने अब कमर कस ली हैं।

बेंगलुरु। भले ही उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्ट्रेशन (एनआरसी ) का ड्राफ्ट नहीं तैयार कर रही है लेकिन बड़ी संख्‍या में अवैध रुप से यूपी में घुसपैठियें बसे हुए हैं। जिन्‍हें निकाल बाहर करने के लिए यूपी सरकार ने अब कमर कस ली हैं। उत्तर प्रदेश में बांग्लादेशी और विदेशी जो अवैध रूप से रह रहे हैं उनकी पहचान की जाएगी और उनके दस्तावेजों का सत्यापन किया जाएगा। सत्‍यापन में दस्‍तावेज गलत पाए जाने पर उन्‍हें निकाल बाहर कर दिया जाएगा।
बांग्लादेश के गावों और शहरों से रोजगार की तलाश में भारत की सीमा लांघ कर पहुंचे लाखों लोग अब हमारे घरों के भीतर तक दाखिल हो चुके हैं। काम करने वाली बाई, ड्राइवर, सब्जी वाले सहित तमाम कामगारों की शक्ल में। अकेले उत्तर प्रदेश में दस साल पहले एक लाख से अधिक बांग्लादेशी घुसपैठिये थे। अब तो इनमें से अधिकांश के आधार व राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र तक बन चुके हैं। आइए जानते हैं अनुमान के अनुसार यूपी में बंग्लादेशियों की असल में कितनी संख्‍या होगी और उनके कारण क्या समस्‍याएं उत्पन्‍न हो रही है।
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असल में यूपी में एनसीआर के तहत वहां अवैध रूप से रह रहे घुसपैठियों और विदेशी नागरिकों की पहचान का काम शुरू करने की खबरें मीडिया में खूब चली जिसका डीजीपी ने खंडन किया। इस खबर का खंडन करते हुए उन्‍होंने साफ किया कि इसका एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं है। उन्‍होंने बताया कि बांग्लादेशी और विदेशी जो अवैध रूप से यहां रह रहे हैं उनके सत्‍यापन में यदि उनके दस्तावेज गलत पाए जाते हैं तो उन्हें निर्वासित कर दिया जाएगा।
सामाजिक समीकरण बिगाड़ रहे बांग्लादेशी
 उत्तर प्रदेश में लंबे समय से अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। बांग्लादेश के घुसपैठियों ने यूपी का सामाजिक समीकरण बिगाड़ दिया है। प्रदेश के कई शहरों में घुसपैठियों से बिजली चोरी, सरकारी रसद और सब्सिडी पर भारी असर पड़ रहा हैं। ये बांग्लादेशी घुसपैठी झुग्गी-झोपड़ी में रहकर जनसंख्या बढ़ोत्तरी के साथ ही आपराधिक गतिविधियों में भी लिप्त पाए जा चुके हैं।आरोप हैं कि पिछले 15 सालों की पूर्ववर्ती सपा और बसपा की सरकारों में इन अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के राशनकार्ड, आधार कार्ड और मतदाता सूची में भी नाम जोड़ दिए गए हैं। कई बार विधानसभा में प्रश्न उठाने के बाद भी पिछले सरकारों ने कोई कार्रवाई नहीं की।
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अपराधिक वारदातों को अंजाम दे रहे बांग्लादेशी
पिछले आंकड़ों के मुताबिक,उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अलावा समेत अन्‍य जिलों में बड़ी संख्‍या में ये घुसपैठियों ने कब्जा जमा रखा है। जो जिला प्रशासन के लिए बड़ी समस्‍या बनी हुई हैं। उत्तर प्रदेश में 10 लाख से ज्यादा अवैध बांग्लादेशियों के होने की आशंका है। खुफिया विभाग और पुलिस प्रशासन पहले भी इसमें सर्वे करा चुका है, जिसमें सबसे ज्यादा अवैध बांग्लादेशी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, सहारनपुर और बुलंदशहर जिलों में रह रहे हैं।
यूपी की राजधानी लखनऊ में भी अवैध बांग्लादेशी काफी बड़ी संख्या में रहते हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर लोगों ने अपनी स्थानीय आईडी बना रखी है, जिसमें राशन कार्ड, वोटर कार्ड और आधार कार्ड शामिल हैं। ये लोग यहां पर छोटे-मोटे काम करते हैं जिसमें कूड़ा बीनना, घरों की साफ-सफाई और छोटे-मोटे धंधे करना शामिल है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक, इनमें से तमाम अवैध बांग्लादेशी कई तरह के अपराधों में भी शामिल रहे हैं। फर्जी दस्तावेजों के सहारे रहने वाले बांग्लादेशियों के बारे में कई बार जानकारियां मिलती रहती हैं जो कि कई तरीके के लूट-खसोट और अपराधिक वारदातों में शामिल रहे हैं।
रोहिंग्या मुसलमान की बढ़ रही जनसंख्‍या
जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में सैकड़ों की संख्या में रोहिंग्या मुसलमान भी रह रहे हैं। हालांकि, इनके बारे में अभी भी सरकार ने कोई आखिरी रुख तय नहीं किया है। अवैध बांग्लादेशियों के साथ ही प्रदेश भर में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों को भी सत्यापन करवाया जाएगा। इस बात की जानकारी भी जुटाई जाएगी कि क्या वैध लोगों की आड़ में कहीं अवैध विदेशी भी अपना ठिकाना तो नहीं बना रहे हैं।
 योगी ने सत्ता संभालते ही छेड़ा था यह अभियान
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने पहले ही सत्ता संभालने के साथ ही अवैध बांग्लादेशियों को चिन्हित करने के लिए कहा था, लेकिन वह कवायद जोर नहीं पकड़ सकी थी। अब बांग्लादेशियों और रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान के लिए बकायदा अभियान चलाया गया था । पूर्व के सरकारी आंकड़ों के अनुसार यूपी में तकरीबन आठ लाख से अधिक बांग्लादेशी अवैध तरीके से रह रहे हैं। जिन्हें पहले ही योगी सरकार ने प्रदेश से बाहर किए जाने का आदेश जारी किया था। इस आदेश के साथ जारी किए गया यह आंकड़ा सबके लिए काफी चौंकाने वाला था। जिसके बाद प्रदेश में अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों को बाहर करने के लिए शासन स्तर से एनआरसी की रणनीति तैयार की, जिसमे केंद्र सरकार की भी मदद ली।
बांग्लादेशियों को निकाल बाहर करने में होती है ये समस्‍या
पिछले दिनों जब योगी सरकार के आदेश पर अवैध रूप से प्रदेश में रह रहे बांग्लादेशियों को भेजने की कोशिश की तो पुलिस महकमें को बहुत कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ा। प्रदेश के तमाम जिलों के एसएसपी को निर्देश जारी किया गया जिसमे कहा गया है कि वह अपने स्तर पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करें और अवैध तरीके से जिलों में रह रहे बांग्लादेशियों की पहचान करके उन्हें चिन्हित करें, इसके लिए बकायदा एक सर्वे कराने को भी कहा गया।
इसके अलावा अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों के आस-पास के लोगों के भी दस्तावेजों की जांच करने को कहा गया और जिन भी लोगों के दस्तावेज फर्जी पाए जाएं उनकी खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए। साथ ही योगी सरकार इस बाबत कानूनी सलाह भी लेगी कि कैसे अवैध रूप से प्रदेश में रह रहे बांग्लादेशियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाए। दरअसल, इस पूरी कवायद में मुश्किलें ये भी हैं कि अवैध बांग्लादेशियों की पहचान करने के बाद उन्हें जेल भेजना होता है और बाद में उन्हें डिपोर्ट करने की कार्यवाही की जाती है, लेकिन बांग्लादेश अपने नागरिकों को वापस लेने से मना कर देता है और ऐसे में मुश्किल प्रदेश को होती है।
  यूपी में NRC पर काम शुरू होने की खबर को DGP ने नकारा, कहा सच्चाई ये है...साभार :- one india

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