पैगम्बर मोहम्मद साहब ने इस्लाम के अनुयायियों से संयम के सिद्वांत के आधार पर एक मध्यम मार्ग का पालन करने और अतिवाद से बचने का आग्रह किया।:प्रो. तारिक मंसूर

अलीगढ़ / अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इस्लामिक स्टडीज़ विभाग द्वारा इंस्टीटयूट आॅफ आब्जेक्टिव रिसर्च नई दिल्ली के सहयोग से शोधार्थियों के लिये आयोजित 15 दिवसीय समर स्कूल आॅन इस्लामिक स्टडीज़ के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि इस्लाम लचीलापन सिखाता है और पैगम्बर मोहम्मद साहब ने इस्लाम के अनुयायियों से संयम के सिद्वांत के आधार पर एक मध्यम मार्ग का पालन करने और अतिवाद से बचने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि इस्लाम धर्म एक अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा देता है और मौजूदा समय में जो चुनौतियां हैं और जिस प्रकार से इस्लाम के बारे में भ्रम फैलाया जा रहा है उसके लिये आवश्यक है कि हम इस्लाम के वास्तविक स्वरूप को लोगों के सामने लायें और पैगम्बर के बताये मार्ग का अनुसरण करें। कुलपति ने कहा कि इस्लामिक स्टडीज़ विभाग, अरबी, धर्मशास्त्र तथा फारसी विभाग इस संस्था की न केवल पहचान है बल्कि सांस्कृतिक धरोहर भी है। प्रोफेसर तारिक मंसूर ने इस्लाम धर्म के समक्ष पेश आने आने वाली चुनौतियों से निबटने के लिये अन्तरविषयी शोध कार्य किये जाने की आवश्यकता जताई।

मुख्य अतिथि प्रमुख विद्वान प्रोफेसर यासीन मजहर सिद्दीकी ने कहा कि इस्लामिक स्टडीज़ एक अन्तरविषयी शैक्षणिक अनुसंधान का क्षेत्र है जिसका विषय इस्लाम धर्म और सभ्यता है। उन्होंने कहा कि शोध करके ही इस्लाम की सही जानकारी को लोगों तक पहुॅचाया जा सकता है। प्रोफेसर सिद्दीकी ने कहा कि सबसे पहले पवित्र कुरान और हदीस को समझना और रसूल के तरीकों को जानना बेहद जरूरी है। उन्होंने विभिन्न सम्प्रदायों के बीच मतभेदों को दूर करने की भी आवश्यकता जताई।

इस्लामिक स्टडीज़ विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर उबैद उल्लाह फहद ने कहा कि इस समर स्कूल के आयोजन का उद्देश्य शोधार्थियों को इस्लाम के सामाजिक व आर्थिक पहलुओं से परिचित कराने के साथ उनको शोध के क्षेत्र में हो रहे परिवर्तन से भी परिचित कराना है। उन्होंने कहा कि मौजूदा बहुविषयक समय में धर्म को समझना बहुत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि इस समर स्कूल में इस्लामिक स्टडीज़ विभाग के अलावा विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के 50 शोधार्थी भाग ले रहे हैं।

बीजक भाषण प्रस्तुत करते हुए जामिया मिल्लिया इस्लमिया, नई दिल्ली के प्रोफेसर एम अख्तर सिद्दीकी ने अन्तर धार्मिक संवाद के महत्व को रेखांकित करते हुए लोगों से भ्रांतियों को दूर करने के लिये आपस में संवाद करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अनेक पश्चिमी देशों ने पारस्परिक संबंधों को प्रोत्साहित किया है जिससे शांति स्थापित करने और विभिन्न समुदायों के लोगों को एक दूसरे के निकट लाने में बहुत मदद मिली है।

समाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर अकबर हुसैन ने पवित्र कुरान और हदीस के प्रकाश में मनोविज्ञानिक बीमारियों के उपचार पर विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन डाॅक्टर अब्दुल हमीद फाज़ली ने किया जबकि उपस्थितजनों का आभार डाॅक्टर जियाउद्दीन मलिक फलाही ने जताया।

इस अवसर पर विभाग के इस्लामिक रिसर्च जर्नल तथा डाॅक्टर जियाउद्दीन मलिक की पुस्तक का विमोचन कुलपति व अन्य अतिथियों द्वारा किया गया।

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