चिकित्सकों ने एक 13 महीने की बच्ची की असामान्य शल्य चिकित्सा करके उसके हृदय के छेद को बन्द कर उसे नया जीवन प्रदान किया


अलीगढ़ / अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल काॅलिज (जेएनएमसी) के चिकित्सकों ने एक 13 महीने की बच्ची की असामान्य शल्य चिकित्सा करके उसके हृदय के छेद को बन्द कर उसे नया जीवन प्रदान किया है।
वरिष्ठ कार्डियो थोरेसिक सर्जन तथा अमुवि के सह कुलपति प्रोफेसर एमएच बेग, डा0 शमीम गौहर, डा0 साबिर अली खान तथा डा0 शहज़ाद आलम के मार्ग दर्शन में डा0 मोहम्मद आज़म हसीन, डा0 सुमित प्रताप सिंह तथा डा0 ग़ज़नफर ने उक्त शल्य चिकित्सा की। 13 महीने की आयज़ा की शल्य चिकित्सा उसका भार मात्र 4.8 किलो ग्राम होने के कारण अत्यधिक जटिल थी क्यूंकि उसके फेफ्ड़ों की कोशिकाओं पर दवाब रहता था।
शल्य चिकित्सा से पूर्व डा0 शाद अबकरी तथा डा0 कामरान मिर्जा ने बच्ची के परिजनों को सर्जरी के ख़तरे से अवगत करा दिया था। भार कम होने के कारण बच्ची को एनेथिसिया देना सरल कार्य नहीं था इस लिये उसे 24 घन्टे वेंटीलेटर पर रखा गया जिस से फफ्ड़ों की कोशिकाओं में दबाओ सामान्य हो जाये।
इस सफल शल्य चिकित्सा के बाद प्रोफसर एमएच बेग ने कहा कि उत्तर भारत में इस प्रकार की जटिल शल्य चिकित्सा बहुत कम अस्पतालों में होती है जिन में से एक जेएनएमसी भी है।
पूर्व सह कुलपति प्रोफेसर तबस्सुम शहाब ने बताया कि उक्त शल्य चिकित्सा राष्ट्रीय बाल स्वास्थय कार्यक्रम (आरबीएसके) के अंतर्गत निशुल्क की गई। मेडिसिन संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर एससी शर्मा ने सफल शल्य चिकित्सा पर चिकित्सकों के दल को बधाई दी। शल्य चिकित्सा से पूर्व तथा उसके पशचात की चिकित्सीय देख भाल में रेज़ीडेंट्स डा0 शाभा, डा0 शेखर, डा0 नोहा तथा डा0 अहमद अम्मार ने सेवाऐं प्रदान कीं जबकि आॅपरेशन थेटर असिस्टेंट के रूप में सलमान, निदा, शहादत, एवं बबीता मौजूद रहे।       

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