हमें आपदा प्रबंधन की एक मज़बूत रणनीति तैयार करनी होगी तथा उसके लिये व्यापक योजना बंदी अति आवश्यक है:प्रो. एमएच बेग

अलीगढ़ / अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा “प्राकृतिक आपदा तथा उनका निवारण” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसको मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए अमुवि के सह कुलपति प्रोफेसर एमएच बेग ने कहा कि हमें आपदा प्रबंधन की एक मज़बूत रणनीति तैयार करनी होगी तथा उसके लिये व्यापक योजना बंदी अति आवश्यक है।
प्रोफेसर बेग ने कहा कि बाढ़, तूफान, भूकम्प, सूखा, जंगलों में लगने वाली आग तथा ज्वार भांटा जैसी आपदाओं से विशाल स्तर पर जान माल की हानि होती है, ऐसी परिस्थितियों में तुरंत सहायता उपलब्ध कराने के लिये एक विशाल तथा प्रभावी व्यवस्था तैयार करनी होगी।
प्रसिद्ध भूकंम्प विशेषज्ञ आईआईटी रूड़की के प्रोफेसर डीके पाल ने प्राकृतिक आपदा प्रबंधन में सरकारी संस्थाओं द्वारा किये गये प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए भूकंम्प से होने वाली हानि को कम करने के लिये खोजी गई नई टेक्नालोजी तथा निर्माण के तरीकों पर चर्चा की।
एनआईडीएम नई दिल्ली के प्रोफेसर चंदनघोष ने 1905 में कांगड़ा, 1934 में बिहार एवं नेपाल तथा 1950 में आसाम में आये भूकंम्पों की चर्चा करते हुए कहा कि 1964 तक शोधार्थियों ने भूकंम्पों की बड़ी हानि तथा प्रभाव को समझा ही नहीं था। 1964 में जापान के निकाता में आये भूकंम्प ने विश्व भर का ध्यान इस ओर आकर्षित किया। उन्होंने बायो इंजीनियरिंग, ज्यो सिंथैटिक्स, आॅक्सोलेटर्स तथा डेम्पर्स की प्रासंगिकता एवं आधुनिक शोधीय बिंदुओं पर भी प्रकाश डाला।
मिलेनियम टेक्नालोज़ीज़ से मकेनिकल इंजीनियर के रूप में जुड़ श्रीकांत शिंदे ने विभिन्न आधुनिक वस्तुओं पर प्रकाश डाला।
कार्यशाला के संयोजक प्रोफेसर शकील अहमद ने समुद्री तुफानों के वैज्ञानिक कारणों की चर्चा करते हुये निमाण के ढांचों पर उनके प्रभाव पर विस्तार से प्रकाश डाला।
मानद अतिथि इंजीनियरिंग संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर बदरूल हसन खान तथा इंजीनियरिंग काॅलिज के प्रधानाचार्य प्रोफेसर एमएम युफियान बेग ने भी अपने विचार व्यक्त किये। सिविल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर एम मुज़म्मिल ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया तथा आयोजन सचिव प्रोफेसर रेहान ए खान ने आभार व्यक्त किया।

Post a Comment

0 Comments