पूर्व विधायक के खिलाफ शूटरों को शरण देने का मुकदमा दर्ज

अलीगढ़ /खैर के पूर्व बसपा विधायक प्रमोद गौड़ के कृषि फार्म (पॉली हाउस) पर चार कुख्यात शूटरों के ठहरने और शूटरों के वहां से पकड़े जाने की जद में पूर्व विधायक भी आ गए हैं। पुलिस ने गिरफ्तार शूटरों से पूछताछ के आधार पर कुछ महत्वपूर्ण सुराग तो उगलवाए हैं और कुछ लूटों का भी खुलासा किया है।
वहीं पूर्व विधायक के खिलाफ इन शूटरों को शरण देने का मुकदमा खैर थाने में दर्ज किया गया है। गिरफ्तार किए गए पंकज उर्फ भोला जाट के गिरोह के इन चारों शूटरों को गुरुवार को जेल भेज दिया। अब पुलिस सीसीटीवी फुटेज व विवेचना के आधार पर पूर्व विधायक की गिरफ्तारी की बात कह रही है। वहीं पूर्व विधायक इस पूरे प्रकरण से पूरी तरह अंजान हैं।
एसपी सिटी अभिषेक ने पुलिस लाइन सभागार में गुरुवार को प्रेसवार्ता में बताया कि एसओजी की मुखबिरी पर खैर, लोधा थाना पुलिस व एसओजी के संयुक्त ऑपरेशन में यह चार अपराधी गिरफ्तार किए गए। इनका लंबा चौड़ा क्राइम रिकार्ड है। इनमें से दो विष्णु व अजीत 2015 में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए गोंडा के ही गांव ढांठोली के कुख्यात 50 हजार के इनामी पंकज उर्फ भोला के करीबी थे। इन दोनों ने उसे पुलिस अभिरक्षा से छुड़ाया था। यह सभी हाल ही में जेल से छूटे हैं। 
पकड़े गए शूटरों में से एक कृष्णा जाट का भाई रामवीर पूर्व विधायक प्रमोद गौड़ के कृषि फार्म पर कई साल से चौकीदार है। उसी ने इन चारों को वहां ठहरवाया था। चूंकि यह पूर्व विधायक की अनुमति के बिना नहीं हो सकता, इसलिए पूर्व विधायक प्रमोद गौड़ इस मुकदमे में फार्म हाउस पर शरण देने के आरोपी बनाए हैं।
वहीं खैर के विजय गंगल हत्याकांड में इनसे पूछताछ में कोई क्लू नहीं मिला है। इनसे चार तमंचे, विभिन्न लूटों से संबंधित सात हजार रुपये, कारतूस और एक बाइक बरामद हुई है। कृष्णा पर कुल हत्या, लूट आदि के कुल 21 मुकदमे, विष्णु पर कुल 14 मुकदमे दर्ज हैं। इस मौके पर सीओ खैर पंकज श्रीवास्तव, इंस्पेक्टर खैर सुबोध कुमार मौजूद रहे।
रिश्तों में दगा पर चुनाव बाद दो हत्याओं की प्लानिंग
पुलिस पूछताछ में गिरफ्तार कृष्णा ने बताया कि उसके छोटे भाई का साला देवू निवासी गोरई इगलास उसकी पत्नी को बहला-फुसला ले गया। उसके बाद से वह उसे मारने की प्लानिंग बना रहा है। इस काम में देवू का अपराधी दोस्त राजू निवासी किनवासा गोंडा बाधा बन रहा है। इसलिए उसे भी मारने की प्लानिंग है। राजू इन दिनों गोंडा में ही एक हत्या के मामले में मथुरा जेल में है, जबकि देवू एक कार लूट के मामले में फरार है।
उनकी प्लानिंग थी कि चुनाव बाद इन दोनों को एक-एक कर निपटाया जाए। राजू को पुलिस अभिरक्षा में ही मारने की प्लानिंग थी। इसके लिए कृष्णा ने बाकी साथियों को दस लाख रुपये भी ऑफर कर रखे थे। कृष्णा के अनुसार इन हत्याओं के लिए खैर के एक फौजी से उनकी हथियारों की डील हो चुकी थी। 
पुलिस ने बदले की भावना से तो नहीं की कार्रवाई
खुद पर मुकदमे को लेकर पूर्व विधायक ने कुछ ऐसे सवाल उठाए हैं, जो विचारणीय है। इनमें पहला सवाल यह है कि गिरफ्तारी घटना 3 तारीख की है और पुलिस फर्द में गिरफ्तारी चार अप्रैल दिखाई गई है। इसके सीसीटीवी फुटेज मौजूद हैं। पुलिस को इस सीसीटीवी के फुटेज भी दिए गए हैं।
वहीं उन्होंने बताया है कि विजय गंगल हत्याकांड में खुलासे को लेकर वह धरने पर बैठे थे। उस समय धरना समापन को लेकर एसपी देहात से उनकी नोकझोंक हो गई थी। उनका अनुमान है कि उसी नोकझोंक के बदले यह मुकदमा संभव है, क्योंकि उनका इस तरह के अपराधियों से कोई लेना देना नहीं है।
पंकज की वजह से अरुण फौजी से भी इनके लिंक
मुठभेड़ में मारे गए पंकज उर्फ भोला की वजह से इन लोेगों के लिंक कुख्यात शूटर अरुण फौजी से भी हैं। वह इन दिनों राजस्थान की जेल में है। हालांकि पूछताछ में उससे मिलने की बात सामने नहीं आई। मगर पुलिस इस पहलू पर अभी जांच की बात कह रही है। साभार :अमर उजाला

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