देश की भाषा और बोली ही राज्य की एकता, अखंडता तथा विकास में परिचायक होती है : प्रो. शम्भूनाथ तिवारी

अलीगढ़ /मुस्लिम यूनिवर्सिटी के आधुनिक भारतीय भाषा विभाग के बंगाली, कश्मीरी और मराठी सेक्शन के संयुक्त तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस और मराठी दिवस के शुभ अवसर पर व्याख्यान माला का आयोजन किया गया जिसमे मुख्य अतिथि के तौर पर हिंदी भाषा के प्रोफेसर शम्भुनाथ तिवारी ने अपने वक्तव्य में कहा कि किसी देश की भाषा और बोली ही राज्य की एकता, अखण्डता तथा विकास में परिचायक होती है, वो ही देश को आधुनिकता के साथ जोड़ती भी है।उन्होंने कहा कि भारत देश अनेक भाषाओं, बोलियों, संस्कृतियों तथा धर्मो का देश है फिर भी यहां पर सब लोग संस्कृति, भाषा के माध्यम से एक धागे में जुड़े रहते है और देश को मजबूती प्रदान करते है।एएमयू के वरिष्ठ गीतकार और गजल गायक जानी फॉस्टर ने भाषा की व्याख्या करते हुए कहा कि वैश्वीकरण के दौर में आज अंग्रेजी भाषा तो एक दूसरे को जोड़ने की भाषा बन चुकी है फिर भी अगर दिल के दर्द को बयान किया जाए तो वो अपने ही मातृभाषा में आता है।मराठी सेक्शन के इंचार्ज डॉ. ताहेर पठान ने कहा कि सांस्कृतिक धरोहर या संस्कृति पीढ़ी दर पीढ़ी सभी भाषाई तत्वों को साथ लेकर चलती है जिससे वो उस व्यक्ति के डीएनए में शामिल हो जाता।कश्मीरी सेक्शन के इंचार्ज प्रोफेसर मुश्ताक अहमद जरगर ने कहा कि कोई भी भाषा तब तक लोकप्रिय नही हो सकती जब तक उसके बोलने, समझने और उसको संगीतमय बनाने वाले लोग ना हो। कश्मीरी काफी बोलियां लुप्त होने की कगार पर हैं। उन्हें पुनर जीवित करना असंभव बात है। आज बच्चो को मातृभाषा  में शिक्षा देना जरूरी है।  बंगाली सेक्शन की इंचार्ज डॉ. अमीना खातून ने भाषा के सम्बंध में कहा ये दिन भी बंगला भाषी लोगों की देन है। बंगाली भाषा का साहित्य सबसे प्राचीन है  बंगला ने भारतीय साहित्य को नोबेल के साथ ज्ञानपीठ ऑस्कर आदि पुरस्कार भारत को दीया है। तीनो भाषाओं के छात्र-छात्राओं ने अपनी अपनी मातृभाषा में सांस्कृतिक कार्यक्रम किया तथा अपनी अपनी भाषा मे कविताओं का पाठ भी किया ।

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