महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं


(महिला दिवस के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं)  
मैं नदी हूँ नदी
अपने आवेग में
बह रही हूँ मुझे,
छेड़ना छोड़ दो ।
बंध ना पाऊंगी मैं,
बांधकर देख लो
राह को मेरे मोड़ना छोड़ दो  ।
मैं नदी हूँ नदी
अपने आवेग में ,
डूब जाओगे तुम
मेरी औकात नापना छोड़ दो ।
कवयित्री सुश्री रचना तिवारी की कविता मैं नदी हूँ की चंद पंक्तियां,

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