आज भारतीय पत्रकारिता अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही हैं :सिध्दार्थ वरदाराजन

अलीगढ़ / अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कल्चरल एजूकेशन सेंटर की डिबेटिंग एण्ड लिट्रेरी सोसाइटी के तत्वाधान में आयोजित साहित्यिक समारोह के उद्धाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए प्रख्यात एवं वरिष्ठ पत्रकार तथा द वायर के संस्थापक सिद्धार्थ वरदाराजन ने कहा कि आज भारतीय पत्रकारिता अपने सबसे खराब दौर से गुज़र रही है तथा देश के विभिन्न संवैधानिक एवं लोकतान्त्रिक संस्थानों पर योजनाबद्ध तरीके से हमले हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार देश में अभिव्यक्ति के अधिकार तथा मीडिया की स्वतंत्रता पर हमले हो रहे हैं इससे लोकतंत्र के भविष्य पर ही प्रश्नचिन्ह लगता प्रतीत हो रहा है।वरदाराजन ने “मीडिया तथा विश्वविद्यालय की कल्पना पर पहरा“ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि देश में सरकारी तंत्र से भिन्न विचार रखने वाले पत्रकारों तथा मीडिया हाउसेस को निशाना बनाया जा रहा है तथा विभिन्न सोशल नेटवर्किंग माध्यमों से उनके विरूद्ध माहोल बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इसमें कई बड़े मीडिया घराने तथा टी0वी0 नेटवर्क इस प्रकार के कुटाराघाती षड़यंत्र में शामिल हैं जो देश की लोकतांत्रिक बुनियाद तथा सहिष्णुता की परम्परा के लिए एक बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा कि आज वातावरण यह है कि देश के बड़े औद्योगिक घराने आलोचना को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं तथा पत्रकारों पर मुकदमे दर्ज करके उनकी आवाज को दबाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप निष्पक्ष पत्रकार एवं मीडिया हाउसेस जनहित से संबंधित मामलों पर बोलने से भी कतरा रहे हैं।वरदाराजन ने कहा कि योजनाबद्ध तरीके से सोशल मीडिया के माध्यम से जनमत को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है जो समाज के लिए अत्यंत हानिकारक है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के दुराग्रह से न केवल पत्रकारिता प्रभावित हो रही है बल्कि देश के महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थानों को भी लामबंद्व करने का कुचक्र चलाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों में विचारों की विविधता का पालन पोषण होता है तथा इसी से जनतंत्र मजबूत होता है। परन्तु जिस प्रकार गत कुछ समय से देश की नामचीन शिक्षण संस्थाओं पर पाबंदियां लगाई जा रही हैं इससे देश में वैचारिक, बौद्धिक एवं अभिव्यक्ति की क्षमता पर गहन लगने का खतरा उत्पन्न हो गया है। उन्होंने कहा कि कोई भी समाज बौद्धिक विकास के इन स्रोतों पर पहरा बैठाने का जोखिम नहीं उठा सकता। परन्तु इस समय देश में बौद्धिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक एवं सामाजिक विकास की धारा को पीछे की ओर मोड़ने का प्रयास किया जा रहा है जो एक प्रगतिशील समाज के लिए चिंता का विषय है।वरदाराजन ने अमुवि छात्रों का आव्हान करते हुए कहा कि वह किसी भी प्रकार के दवाब से मुक्त एवं स्वतंत्र पत्रकारिता को हर प्रकार की सहायता प्रदान करें तथा उन्हें मजबूत बनायें।इस अवसर पर प्रोफेसर सैयद सिराज अजमली, प्रोफेसर एफ0एस0 शीरानी तथा डा0 मुहिबुलहक भी उपस्थित थे। डिबेटिंग क्लब के सचिव अनसब आमिर खान ने कार्यकम का संचालन किया। इसके उपरांत “साहित्यिक समारोहों की प्रासांगिकता“ विषय पर आयोजित पैनल डिसकशन में प्रख्यात पत्रकार जयश्री मिश्रा तथा जेरीपिंटों सहित प्रोफेसर शाफे किदवाई ने भाग लिया। अंत में प्रमुख कहानीकार प्रोफेसर सैयद असगर वजाहत ने कहानी पाठ किया।

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