सर सैयद एंव सुराना एंड सुराना नेशनल क्रिमनल लॉ मूट कोर्ट प्रतियोगिता - 2019 का अयोजन

अलीगढ़ / अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विधि संकाय के तत्वाधान में “सर सैयद एवं सुराना एण्ड सुराना नेशनल क्रिमनल लॉ मूट कोर्ट प्रतियोगिता-2019“ का आयोजन किया गया जिसमें देश भर के विधि संस्थानों से 32 टीमें भाग ले रही हैं।मूट कोर्ट प्रतियोगिता के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय ने कहा कि गत कुछ दशकों में विधि शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव आये है तथा देश में विधि संस्थाओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि इससे देश की विधि शिक्षा प्रणाली सुदृढ़ होगी तथा हम नई समस्याओं का सामना करने में सक्षम होंगे।जस्टिस उपाध्याय ने वकीलों का आव्हान करते हुए कहा कि वह समाज के साथ अपने संबंधों को अधिकाधिक व्यवहारिक बनायें तथा लोगों की कानूनी समस्याओं में व्यक्तिगत दिलचस्पी लेकर उनकी सहायता करें।इस अवसर पर अपने उद्बोधन में अमुवि सहकुलपति प्रोफेसर एम0एच0 बेग ने कहा कि मूट कोर्ट प्रतियोगिता से यहॉ के छात्रों को केस की प्रस्तुति तथा संबंधित लोगों के बयान के दस्तावेजीकरण के क्षेत्र में बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का विधि संकाय विश्व भर में विशेष ख्याति रखता है, तथा यहॉ से विधि शास्त्र के बड़े विद्वान पैदा हो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि अमुवि के संस्थापक सर सैयद अहमद खान ने प्रारम्भ से ही विधि शिक्षा को वरीयता देते हुए इस पर विशेष ध्यान दिया क्यों कि वह स्वंय इस क्षेत्र के महत्वपूर्ण पद पर आसीन रहे थे।मान्द अतिथि इलाहाबाद हाई कोर्ट में अतिरिक्त सरकारी वकील तथा अमुवि के पूर्व छात्र एडवोकेट सैयद अली मुर्तजा ने कहा कि भारत में मूट कोर्ट की परम्परा 1981 में बार कौंसिल ऑफ इंडिया द्वारा मूट कोर्ट की स्थापना के साथ प्रारंभ हुई थी। जो 1985 में विधि शिक्षा प्रणाली का अनिवार्य हिस्सा बन गई।इस अवसर पर सुराना एण्ड सुराना इंटरनेशनल अटार्नीज़ के शैक्षणिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डा0 एस0 रवीचन्द्रन वलॉ सोसाइटी के इंचार्ज प्रोफेसर मुहम्मद तारिक ने भी अपने विचार व्यक्त किये।विधि संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर जहीरउद्दीन ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि मूट कोर्ट द्वारा विधि छात्रों को कानून की बारीकियां तथा व्यवहारिकता को समझने का अवसर प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त सबूतों तथा गवाहों के परोक्ष एवं प्रत्यक्ष व्यवहार के साथ ही अदालत में जिरह के महत्व को जीवन्त रूप से देखने का मौका मिलता है।विधि विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर जावेद तालिब ने धन्यवाद ज्ञापित किया। जब कि मूट सोसायटी के सचिव शहबाज अख्तर ने मूटिंग के महत्व पर प्रकाश डाला। तथा सुमैया नोमानी, आतिफ जावेद एवं तसलीम काबूसा ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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