जिस प्रकार से त्वचा रोगों में वृद्धि हो रही है उससे लोगों की शारिरिक, मानसिक और सामाजिक एकाग्रता पर भी प्रभाव पड़ रहा है : प्रो. आसिम अली खान

अलीगढ़ / अलीगढ़ मुस्लिम यूनिविर्सिटी के अजमल खाँ तिब्बिया कालिज, फेकल्टी ऑफ यूनानी मेडिसन के अमराजे़ जिल्द वा जोहराविया (त्वचा रोग) विभाग द्वारा डर्माटालोजी एण्ड कास्माटोलोजी विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमीनार को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि केन्द्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद आयुष मंत्राल्य भारत सरकार के महानिदेशक प्रोफेसर आसिम अली खान ने कहा कि जिस प्रकार से त्वचा रोगों में वृद्धि  हो रही है उससे लोगों की शारिरिक, मानसिक और सामाजिक एकाग्रता पर भी प्रभाव पड़ रहा हैं।उन्होंने कहा कि यूनानी चिकित्सा पद्वति में त्वचा रोग का प्रभावी व कारगर इलाज मौजूद हैं। प्रो0 खान ने कहा कि त्वचा के अलावा बालों व अन्य सौन्दर्य समस्याओं को भी यूनानी उपचार से ठीक किया जा सकता है। प्रोफेसर खान ने एक तिब्बिया कॉलिज विशेष रूप से अमराजे जिल्द विभाग में हो रहे कार्यों पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि यहां पर उत्कृष्ट स्तर का कार्य हो रहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद अनेक क्षेत्रों में ए.एम.यू के साथ मिलकर शोध कार्य कर रहा है और भविष्य में अन्य क्षेत्रों में परस्पर सहयोगत्मक शोध कार्य होगा।सहकुलपति प्रोफेसर एम.एच. बेग ने कहा कि त्वचा मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अवयव है और इसी से जहां शरीर के भीतरी अंग सुरक्षित रहते हैं वही धूप द्वारा विटामिन डी की आपूर्ति भी इसी के द्वारा प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि त्वचा रागों को नियंत्रित कर विभिन्न रोगों से बचा जा सकता हैं। प्रो0 बेग ने कहा कि यूनानी
औषधियों के दुष्प्रभाव रहित होने के कारण इनकी मांग एशिया उपमहादीप में बढ़ रही है और लोग यूनानी स दवाओं की ओर आकर्षित हो रहे है। उन्होंने कहा कि यह सेमीनार प्रतिभागियों को वर्तमान समय में हो रहे शोध कार्यों से परिचित कराने के अलावा इस क्षेत्र में भविष्य में आने वाली चुनौतियों को हल करने की दिशा में सहयोग प्रदान करेगा।नई दिल्ली के प्रमुख कॉस्मोंटोलोजिस्ट फिजिशिएशन डाक्टर सुरेश अरोड़ा ने कहा कि मुख सौन्दर्य के लिए प्रयोग की जाने वाली तकनीक में यूनानी मेडिसन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आये है। उन्होंने कहा कि यह दोनो मिलकर इस दिशा में एक बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं।
कांफ्रेंस की आयेजन सचिव एवं अमराजे जिल्द वा जोहराविया विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर शगुफ्ता अलीम ने कहा कि उनके विभाग में करोनिक त्वचा रोंगों का इलाज हो रहा है और शीघ्र एक्ज़िमा व सोराइसिस जैसे रोगों के भी विशेष क्लीनिक प्रारंभ किये जाएगें।
उन्होंने विभाग व शिक्षको ंकी उपलब्धियों को भी गिनाया।कार्यक्रम को यूनानी मेडिसन संकाय के डीन प्रोफेसर खालिदज़मां खान और एके तिब्बिया कॉलिज के प्रिंसिपल प्रोफेसर सऊद अली खान ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन डा0 मोहम्मद अनस ने किया और उपस्थितजनों का आभार डाक्टर सना तौफीक ने जताया। कार्यक्रम के आयोजन में कनवीनर डाक्टर जमीर अहमद व कॉर्डीनेटर डा0 मुहम्मद मोहसिन का सक्रिय सहयोग रहा।सेमीनार में आमंत्रित वक्ताओं प्रोफेसर नईम अहमद खान डा0 मुहम्मद यूनुस सिद्दीकी, प्रो0 आसिया सुलताना प्रो0 तंजील अहमद डा0 अब्दुर रऊफ, डा0 जमीर अहमद, डा0 सुरेश अरोरा, डा0 मोहम्मद मोहसिन खान, डा0 मोहम्मद शुएब, डा0 मुहम्मद अनस व डा0 बिलाल अहमद ने व्याख्यान दिया।

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