भारत देश का हर चोथा बीखारी मुसलमान

भारत देश का हर चौथा भिखारी मुसलमान है. देश में टोटल 3.7 लाख भिखारियों में से करीब 25 फीसदी मुसलमान हैं. जबकि कुल आबादी में उनका हिस्सा 14.23 फीसदी ही है.... पढ़ लीजिये मेरी ग़य्यूर कौम के तथाकथित मुस्लिमों......एक बड़ी न्यूज़ साईट की आज 25जनवरी की खबर, और पड़कर शर्म से डूब मरो, मगर शर्म  है जो तुम्हे आती नहीं...ये वही कौम के हालात हैं जिन्हें हुक्म है माल का 2.5 फीसदी हर साल ज़कात निकालो और अधिकतर निकालते भी हैं जो कि किसी एक शहर में ही करोड़ों में निकलती है लेकिन माह मुबारक में घूमने वाले मदरसे के 40%तक कमीशन पर घूमने वाले मौलानाओं से बचें तब कहीं जाकर कौम के गरीबों के काम आ सके,
 

और वो मदरसे भी कैसे .... कौम के पैसों से चलने वाले उन मदारिस में से अधिकतर के जिम्मेदारों से यदि किसी ने हिसाब पूछ लिया तो उसे वो किसी न किसी तरह कौम का गद्दार/फ़ितनेबाज/फ़िरकेबाज/दलाल और न जाने क्या क्या साबित करने से भी बाज न आएंगे,
और उनमे भी अधिकतर मदरसे कैसे..... जो कौम के नोनिहालों के लिए सिर्फ बेरोजगारी के कारखाने बने हुए हैं जिनमे सिर्फ दिनीयात सिखा दिया जाता है जबकि उन बच्चों को रहना तो दुनिया मे ही है न तो उस दुनिया मे जीने के लिए कमाने के लिए क्या करना है वो नही सिखाया जाता, फिर उन बच्चों में से अधिकतर बाहर निकलकर जैसा उन्होंने मदरसे में देखा होता है उस हिसाब से ही या तो किसी मस्जिद के इमाम बनने का सोचते हैं या खुद किसी मदरसे को खोल कर उससे आमदानी कमाने का सोचते है (यहां ये ध्यान रखना जरूरी है कि खिदमत के लिए खोले गए मदरसे न के बराबर हैं सब अपनी दाल रोटी के लिए सोचते हैं),  और जो ये दोनों काम न कर पाएं वो बेचारे या तो बेरोजगार होकर गरीबी की जिंदगी गुजारें या फिर झाड़ फूँक ताबीज तिल्ले में लग जाएं।
*क्या ही अच्छा हो यदि आप मदरसा चला ही रहे हो तो उसमें कोई रोजगार/हुनर सिखाने की भी तरकीब लगाई जाए न कि बस पूरे साल रमजान का इंतजार कर लोगों की जाकात पर डाका डालने का सोचा जाए ।*
खैर बातें बहुत हैं, और जब समस्या है तो इसके हल भी हैं लेकिन जरूरत है खुले मन से अपनी कमियों को स्वीकारने और फिर उसे दुरुस्त करने की, इसमें आप चाहें तो आज के नोवज्वां तबके की खूब मदद ले सकते हैं, मुझ हक़ीर से भी जब जहां जैसी मदद लगे में भी इंशाअल्लाह कौम की भलाई के इस काम मे मदद करने को तैयार हूं लेकिन पहल आप लोगों को करना होगी तभी सुधार आएगा वरना कौम तो भीख मांग ही रही है लेकिन आप भी जाकात का पैसा मांग कर कोई तीर नही मार रहे हो, और यकीन करो जब आपके मदरसों में सुधार दिखेगा तो लोग जाकात छोड़ इमदाद करने आएंगे और भरपूर इमदाद करने आएंगे इंशाअल्लाह ।
खैर ये मेरे निजी विचार हैं जो परिस्थितियों को देखकर लिखे गए हैं, जिन्हें इनसे शिकवे शिकायत हो पर्सनल कॉल कर दूर कर सकते हैं ।
https://www.thelallantop.com/news/every-4th-person-categorised-as-beggar-in-india-is-muslim/

Post a Comment

0 Comments