कोरोना संक्रमण के तेज होते ही मास्क की वापसी

 


कोरोना संक्रमण के तेज होते ही मास्क की वापसी हो जाती है। दुनिया में एक बड़े समूह ने तो मास्क को अपने व्यवहार में शामिल कर लिया है, लेकिन क्या मास्क सेहत के मुफीद है? मास्क पहनने के प्रतिकूल प्रभावों पर गौर करने वाले 2,168 अध्ययनों की एक व्यवस्थित समीक्षा में पाया गया है कि मास्क से खुजली, सिरदर्द और ऑक्सीजन के कमी सहित अनेक नकारात्मक स्वास्थ्य परिणाम सामने आए हैं।  फ्रंटियर्स इन पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित समीक्षा में बताया गया है कि मेडिकल सर्जिकल और एन95 मास्क, दोनों में महत्वपूर्ण प्रभाव हुआ है। कई अध्ययनों के मेटा-विश्लेषण में पाया गया कि सिरदर्द मास्क पहनने वालों के बीच सबसे ज्यादा पाया जाने वाला लक्षण है।




सामान्य मास्क के उपयोग से सिरदर्द की 62 प्रतिशत आशंका और एन95 मास्क के उपयोग से 70 प्रतिशत आशंका होती है। 


सामान्य मास्क के उपयोग से 33 प्रतिशत और एन95 के उपयोग से 37 प्रतिशत लोगों में सांस की तकलीफ देखी गई है। 17 प्रतिशत सर्जिकल मास्क पहनने वालों ने खुजली का अनुभव किया है। जो लोग एन95 पहन रहे थे, उनमें से 51 प्रतिशत को खुजली की शिकायत से गुजरना पड़ा। इतना ही नहीं, मास्क की वजह से मुंहासे की समस्या भी बढ़ी है। 38 फीसदी लोग मुंहासे के शिकार हुए हैं, तो 36 प्रतिशत लोगों को मास्क पहनने की वजह से त्वचा में जलन महसूस हुई है। सबसे गंभीर बात तो यह कि पांच प्रतिशत लोगों को मास्क पहनने की वजह से चक्कर आया है।


जिन लोगों ने मास्क का ज्यादा उपयोग किया है, उन्हें ज्यादा परेशानी हुई है और नुकसान भी। जिन लोगों ने समय-समय पर इसका इस्तेमाल किया है, वे ज्यादा फायदे में रहे हैं। इससे एक नतीजा यह निकलता है कि भीड़ में ज्यादा रहने से बचना कोरोना या किसी संक्रमण से बचने का एक बेहतर उपाय हो सकता है। जहां भीड़ नहीं है, वहां मास्क से कुछ देर के लिए समझौता किया जा सकता है, इससे सेहत को भी लाभ है। अध्ययन से यह भी पता चला है कि मास्क पहनने से बहुत से लोगों में थकावट का एहसास बढ़ा है। हालांकि, यहां भी मास्क उन लोगों के लिए ज्यादा नुकसानदायक रहे हैं, जो पहले से ही किसी बीमारी की वजह से कमजोर हैं। मास्क के इस्तेमाल से ऑक्सीजन ग्रहण करने में बाधा हुई है और साथ ही कार्बन डाई-ऑक्साइड के निकलने में रुकावट भी हुई है। सांस के प्रदूषित होने की वजह से भी बीमारियों को बढ़ावा मिलता है। 


समीक्षा में यह भी कहा गया है कि हो सकता है, मास्क से जुड़े कई लक्षणों को लॉन्ग कोविड के लक्षणों के तौर पर गलत ढंग से समझा गया हो। समीक्षा में यह सुझाव भी दिया गया है कि वायरल संक्रमण के खिलाफ मास्क की प्रभावशीलता को ध्यान में रखते हुए ही दुष्प्रभावों का आकलन किया जाना चाहिए। यह समीक्षा मास्क के विरुद्ध एक बड़ा मामला खड़ा कर देती है। मास्क पर विश्वास हिलने लगता है, लेकिन तब भी यह कहने में कोई हर्ज नहीं है कि कई मामलों में मास्क ने हमारा बचाव किया है। क्या यह सही नहीं है कि वैज्ञानिक और डॉक्टर दशकों से मास्क का उपयोग कर रहे हैं? क्या मास्क से डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को कोई परेशानी नहीं होती होगी? जिस स्तर का प्रदूषण या संक्रमण इन दिनों अनेक जगह दिख रहा है, उसमें मास्क बचाव का एक बेहतर तरीका है। हां, उसे लगातार पहनने के खिलाफ दलीलें जरूर पेश की जा सकती हैं, लेकिन उसकी जरूरत को पूरी तरह से खारिज कतई नहीं किया जा सकता।

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