कलम को आजादी दिलाना विद्यार्थी जी सच्ची श्रद्धांजलि - प्रो.अबरार



अलीगढ़ । किसानों और मजदूरों के आंदोलन एवं आजादी के दीवानों की आवाज गणेश शंकर विधार्थी को श्रद्धांजलि देने के लिए धीरज पैलेस में परिचर्चा हुई।

 विद्यार्थी जी की 92 वीं शहीदी दिर वस पर आयोजित इस परिचर्चा का विषय ' जनपक्षीय पत्रकारिता पर बढते खतरे और गणेश शंकर विद्यार्थी' रहा।


   अमुवि के पूर्व जनसंपर्क अधिकारी प्रो राहत अबरार ने वर्तमान में विद्यार्थी जी की प्रांसिकगता पर विचार प्रस्तुत किए। विद्यार्थी जी जिस जाबांजी से पत्रकारिता  के सिद्धांत और सच्चे पत्रकार के कर्तव्य की ऐतिहासिक स्थापना और घोषणा की, वह आज खतरे में है। जिन फिरकापरस्त ताकतों से संघर्ष करते हुए उन्होंनें पत्रकारिता की साख को बचाने में अपनी जान न्यौछावर कर दी, वे आज फिर वहीं ताकतें कलम को कैद कर रही हैं। कलम को आजादी दिलाना विद्यार्थी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

   गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब के प्रदीप सक्सैना ने कहा कि आज के दौर में पत्रकारिता का अस्तित्व खतरे में हैं। अखबारों- चैनलों में मालिकों का पक्ष हावी है, जनता के मुद्दे न बराबर हैं । ऐसे में विद्यार्थी जी की पत्रकारिता की विरासत को बचाने की चुनौती है। जिसके लिए आज भी देश भर में हजारों सच्चे पत्रकार जुटे हैं।

  प्रो कमलानन्द झा ने देश में पत्रकारिता की गिरती साख पर चिन्ता व्यक्त की। एक अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि पत्रकारिता की आजादी के मामले में जारी इस रिपोर्ट के अनुसार आज दुनिया के 180 देशों की सूची में भारत 142 वें पायदान पर पहुँच गया। गौरी लंकेश, कलबुर्गी  से शुरूआत करते हुए आज सैकडों पत्रकारों को विद्यार्थी जी की विरासत को बचाने के लिए जानें गवानी पडी़ हैं। सत्ता और सत्ता के दलालों को चुभने वाली सच्ची खबरों पर पत्रकारों को आए दिन जेलों में ठूंसना आम बात हो गई है। 

  वरिष्ठ पत्रकार आलोक सिंह ने कहा कि विद्यार्थी की जनपक्षीय पत्रकारिता की विरासत को आगे बढा़ने के लिए आज देश में सच्चे पत्रकारों की एक लंबी कतार मौजूद है। जो जनविरोधी शक्तियों के मंसूबों को पूरा नहीं होने देंगे।

   परिचर्चा का संचालन करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा की राज्य समिति के मीडिया प्रभारी शशिकांत ने कहा कि 13 महीने की किसान आंदोलन की आवाज को जन-जन पहुँचाने में विद्यार्थी के अनुयायी पत्रकारों के त्याग से ही संभव हो सका। आंदोलन के दौरान सैकडों पत्रकारों ने अपनी नौकरियां गवांयी, पुलिस उत्पीड़न झेला, लेकिन वे सत्य के साथी रहे। ऐसे सच्चे पत्रकार विद्यार्थी के विरासत को आगे बढाने और बचाने का काम कर रहे हैं। उन्होंनें विद्यार्थी की विरासत के ऐसे जाबांजों का देश के किसानों- मजदूरों द्वारा साथ देने की अपील की।

   इसी श्रंखला में श्रमिक संगठनों के साझा मंच की ओर से इदरीश मोहम्मद ने कानपुर के मजदूर आंदोलन में विद्यार्थी जी ऐतिहासिक भूमिका के बारे में बताया।

   परिचर्चा के दौरान सेन्टर पाइंट से वर्षों पहले लगाई गई विद्यार्थी की मूर्ति हटाए जाने पर रोष व्यक्त किया। वक्ताओं का कहना था कि विद्यार्थी जी की मूर्ति हटाकर सत्ता में काबिज ताकतों का वहीं चेहरा एक बार फिर उजागर हो गया है जिनसे संघर्ष करते हुए विद्यार्थी जी ने अपनी जान न्यौछावर कर दी। देश में पत्रकारिता की गंगा जमुनी संस्कृति के संस्थापक हसरत मोहानी और गणेश शंकर विद्यार्थी अलीगढ से अटूट नाता रहा है। इसी नाते चलते शहीद भगतसिंह टोडरसिंह के यहां शादीपुर में आए थे। अलीगढ के इतिहास में विद्यार्थी की मूर्ति का हटना एक काला अध्याय साबित होगा। वक्ताओं ने देश में पत्रकारिता का चारण काल कहा, जिसके रहते विद्यार्थी जी मूर्ति हटाने में उनके विचारों के धुर विरोधी सफल हों सके।

   परिचर्चा में मजदूर नेता रमेश चन्द्र विद्रोही, युवा पत्रकार चमन शर्मा, लकी ठाकुर, शम्सुद्दीन, मनोज सिसौदिया, विनोद यादव, सुरेश चन्द्र गांधी आदि वक्ताओं ने अपने विचार प्रस्तुत किए।

     



                       गणेश शंकर विद्यार्थी अमर रहे


      Ganesh Shankar Vidyarthi Death Anniversary


अलीगढ़ । गणेश शंकर विधार्थी पत्रकारिता जगत का एक ऐसा नाम, जिसकी लेखनी से डरती थी ब्रिटिश सरकार, इलाहाबाद में जन्मे और कानपुर में हिंदू मुस्लिम एकता पर काम करते करते शहीद हो गए।। आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर उनका एक अहम कार्य याद करते हैं:-


कानपुर दंगे के दौरान जब उन्होंने बंगाली मोहल्ले में फँसे 200 मुस्लिमों को निकाल कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया तब एक मुस्लिम बुजुर्ग ने गणेश शंकर विधार्थी का हाथ चूम कर उन्हें "फरिश्ता " पुकारा था ! 


आज अलीगढ़ प्रेस क्लब में वरिष्ठ पत्रकारों ने गणेश शंकर विद्यार्थी के पत्रकारिता में दिए गए योगदान को सरहाया एवं श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अपने अपने विचार रखें।

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