राष्ट्रीय श्रद्धा और गौरव के इस दिन हम अपने देश का 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए एकत्रित हुए : प्रो. तारिक मंसूर


अलीगढ़, 15 अगस्तः भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के स्ट्रेची हाल पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के उपरान्त शिक्षकों, छात्रों एवं कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय स्वतंत्रता सेनानियों, विशेषकर उनके जिनके बारे में लोग बहुत कम जानते हैं, के जीवन से संबंधित तथ्यों को जमा करने तथा उनके योगदान का लेखा तैयार करने का प्रयास कर रहा है, ताकि जनमानस में उनके व्यक्तित्व तथा देश के लिए उनके द्वारा किये गए कार्यों के प्रति आदर की भावना जागृत हो।  

कोविड महामारी के मद्देनजर शिक्षकों एवं छात्रों की एक कम व्यवस्थित सभा को संबोधित करते हुए प्रोफेसर मंसूर ने कहा कि महिला अध्ययन केंद्र को भारत की महिला स्वतंत्रता सेनानियों पर एक व्यापक पुस्तक तैयार करने का काम सौंपा गया है।


कुलपति ने कहा कि मैं आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देता हूं और आपका हार्दिक स्वागत करता हूं। राष्ट्रीय श्रद्धा और गौरव के इस दिन हम अपने देश का 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। 15 अगस्त की मध्यरात्रि भारतीय इतिहास के सबसे महान क्षणों में से एक है, जब हमारे देश ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लगभग 200 वर्षों के संघर्ष के बाद स्वतंत्रता प्राप्त की।
प्रोफेसर मंसूर ने जोर देकर कहा कि तिरंगा फहराना और उसे सलामी देना मात्र एक प्रतीकवाद नहीं है, बल्कि, संक्षेप में, यह हमारे बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को श्रद्धांजलि देना और उन्हें मार्मिक रूप से याद करना है, जो स्वतंत्रता संग्राम में सबसे आगे थे। यह हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सुभाष चंद्र बोस और अन्य सैकड़ों सेनानियों की एकनिष्ठ भक्ति और निरंतर प्रयासों का ही फल है कि हम आज एक स्वतंत्र भारत में सांस ले रहेे हैं।
प्रोफेसर मंसूर ने कहा कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों जैसे शहीद भगत सिंह, अशफाकउल्ला खान, खुदी राम बोस, चंद्रशेखर आजाद और कई अन्य लोगों के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
उन्होंने कहा कि हमारे देश ने विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी प्रगति की है और प्रत्येक वर्ष इन उपलब्धियों ने हमें हमारे महान राष्ट्र के लिए स्वतंत्र भारत के संस्थापकों द्वारा परिकल्पित लक्ष्यों की ओर बढ़ने में सक्षम बनाया है। भारत अनेकता में एकता का प्रतीक है और हमें शांति, प्रेम और संविधान में दर्ज सभी नागरिकों के बीच समानता और सद्भाव की भावना को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एएमयू संस्थापक, सर सैयद अहमद खान ने ठीक ही कहा था कि एक राष्ट्र की प्रगति के लिए पहली आवश्यकता समाज के विभिन्न वर्गों के बीच भाईचारा और एकता है।
उन्होंने कहा कि “इस अवसर पर मैं एएमयू बिरादरी के पूर्व एवं वर्तमान तथा देश में अथवा विदेश में रहने वाले सभी सदस्यों को, जो महामारी का शिकार हो गए, इस महान अवसर पर हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं क्योंकि हर जीवन मायने रखता है। मैं उनकी आत्मा की शांति के लिए इश्वर से प्रार्थना करता हूं।
प्रोफेसर मंसूर ने शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे दिवंगत शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों का योगदान एएमयू की सफलता की कहानी का हिस्सा है और वे हमेशा हमारी स्मृति का एक अमिट हिस्सा रहेंगे और हमेशा हमारे दिलों और प्रार्थनाओं में रहेंगे। उन्होंने कहा कि एएमयू प्रशासन उनके परिवारों को राहत और सहायता प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।
प्रोफेसर मंसूर ने कहा कि कोविड महामारी ने हमारे देश के साथ-साथ पूरी दुनिया को स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी चुनौती दी है। यह हम सभी का दायित्व है कि हम एकजुट रहें और कोविड के उनुकूल व्यवहार का पालन करके और अपने मौजूदा स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करके इस वायरस को हराने में कोई कसर न छोड़ें। एएमयू तीसरी कोविड लहर अगर उसकी स्थिति पैदा होती है तो इससे निपटने के लिए पूरी कोशिश कर रहा है। हम दुआ करें कि ऐसी स्थ्तिि पैदा न हो।
उन्होंने कहा कि महामारी से निपटने के लिए विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कालेज में तीन ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र स्थापित किए गए हैं, एक 50 बेड का बाल चिकित्सा आईसीयू स्थापित किया गया है, कोविड वार्ड पुनर्निर्मित किया गया है और एक नया कोविड आईसीयू स्थापित किया गया है, नए वेंटिलेटर और ऑक्सीजनेटर खरीदे गए हैं, कोविड रोगियों के लिए एक अलग डायलिसिस यूनिट, ऑपरेशन थिएटर और लेबर रूम सुविधाएं बनाई गई हैं।
प्रोफेसर मंसूर ने कहा कि मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने चिकित्सा सुविधाओं को बढ़ाने के लिए उदारतापूर्वक योगदान दिया है। यह भी निश्चित है कि पूरे देश में डॉक्टरों और पैरामेडिक्स के अंथक परिश्रम और समर्पण ने चुनौतियों से निपटने में मदद की है। मैं सभी से अपील करता हूं कि जल्द से जल्द कोविड का टीका लगवाएं और निराधार अफवाहों पर विश्वास न करें। इस संकट से लड़ने और समाज के सामान्य कामकाज को बहाल करने के लिए टीकाकरण सबसे सुरक्षित तरीका है।
भारतीय ओलंपिक दल की सराहना करते हुए कुलपति ने कहा कि महामारी और कठिन समय के बावजूद हाल ही में संपन्न टोक्यो ओलंपिक देश में मुस्कान, आशा और सकारात्मकता लेकर आया। मैं इस अवसर पर उन सभी खिलाड़ियों को बधाई देता हूं जिन्होंने इस विश्व आयोजन में भाग लिया और देश के लिए ख्याति अर्जित की।
उन्होंने कहा कि टोक्यो ओलंपिक भारतीय खेलों और हमारे खिलाड़ियों की उपलब्धि के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण रहा है और यह हमारे युवाओं को खेलों को गंभीरता से लेने और शारीरिक गतिविधि और फिटनेस की संस्कृति को बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगा। नीरज चोपड़ा का स्वर्ण पदक इस बात का प्रमाण है कि अगर प्रशिक्षण और कोचिंग में विश्व स्तरीय सुविधाएं उपलब्ध हों और खेल बिरादरी का समर्पित प्रयास हो तो हमारा देश भविष्य में एक खेल राष्ट्र के रूप में अभूतपूर्व विकास अर्जित कर सकता है।
इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर उनकी पत्नी डा० हमीदा तारिक, रजिस्ट्रार श्री अब्दुल हमीद तथा प्राक्टर प्रोफेसर मोहम्मद वसीम अली ने सर सैयद हॉल (साउथ) परिसर में पौधारोपण भी किया।

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