भूजल संरक्षण के लिए जन जागरूकता पर जोर

 


अलीगढ़। अलीगढ़ जिले के कई इलाकों में भूजल स्तर नीचे चला गया है. गिरावट की औसत वार्षिक दर 0.6 मीटर है। जन जागरूकता पर विशेष ध्यान देते हुए इस संबंध में सुधारात्मक उपाय करने की तत्काल आवश्यकता है। ये विचार वैज्ञानिक श्री सुजात्रो राय चौधरी ने व्यक्त किए। वे केंद्रीय भूजल बोर्ड, उत्तरी क्षेत्र, लखनऊ द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भूगर्भ विज्ञान विभाग के सहयोग से भूजल का संरक्षण और प्रबंधन विषय पर आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। यह कार्यक्रम भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के हिस्से के रूप में आयोजित किया गया था।
विभिन्न उपचारात्मक उपायों के बारे में बात करते हुए, श्री चौधरी ने कहा कि किसानों और भूजल का उपयोग करने वाले अन्य लोगों को यह समझाना महत्वपूर्ण है कि पानी एक कीमती वस्तु है और इसकी बर्बादी ग्रह और जीवों और पौधों के लिए घातक है। सिंचाई के आधुनिक और सुरक्षित तरीकों का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि पानी की कमी से बचने के लिए ऐसी फसलें उगानी चाहिए जिनमें कम पानी की आवश्यकता हो। इसके अलावा, खेती की गई भूमि पर फसलों को बदल-बदल कर बोना चाहिए।
कार्यक्रम में भूजल के महत्व और इसके संरक्षण पर जन जागरूकता की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया जिससे लोगों को ‘‘जल है तो कल है‘‘ के नारे के महत्व को समझने में मदद मिलेगी। डा० इज़रार अहमद ने सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में डॉ. तकवीम अली खान, डॉ. नसीम अल-सबा और भूगर्भ विभाग के वर्तमान और पूर्व छात्रों ने भाग लिया।
क्षेत्रीय निदेशक श्री प्रमोद त्रिपाठी ने आभार व्यक्त किया और कहा कि आने वाले दिनों में छात्रों के लिए इस तरह के और कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। प्रो. राशिद उमर ने केंद्रीय भूजल बोर्ड की पहल का स्वागत किया।

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