बुलंदशहर (शकील सैफ़ी) जनपद बुलंदशहर के अनूपशहर क्षेत्र में आज दिनांक 22 जुलाई 21, देश के शहीदों का दर्द लिए हुए जुबां पर लाई शैरिस कुरैशी हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिन्दुस्तान कहते हैं जो दुनिया में सुनाई दे उसे कहते हैं ।
खामोशी जो आंखों में दिखाई दे उसे तूफ़ान कहते हैं जो ये दिवार का सुराग है सहाब चाइना अमेरिका पाकिस्तान एक साज़िशों का हिस्सा है मगर हम इसे अपने घर का रोशनदान कहते हैं मैं शैरिस कुरैशी देश प्रेम और राष्ट्रीय निर्माण के उपलक्ष पर आप सभी के साथ अपने कुछ विचार साझा करना चाहतीं हूं आज़ादी का अस्ली मतलब वोही समझ सकता है जिसने कभी ग़ुलामी की हो हम बहुत सोभाग्य शाली हैं कि हमने सुतंत्र भारत में जन्म लिया यूं तो आज़ादी की लों 1857, में ही जल चुकी थी जो विशाल बनकर 1947, में हमारे देश को आज़ाद कराया।
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