कर्मों को अपने अंजाम दे लिख रहा है सच अगर कलम को ना लगाम दे


                                Photo :- शैरिस

शकील शैफी संवाददाता बुलंदशहर

 लेख:-  शैरिस पुत्री हबीब कुरैशी BSP ने मुस्लिम समाज के बच्चों को तालीम हासिल कराने की गुज़ारिश की* तूफान रुके रुके हैं लश्कर धार कलम की रुकी नहीं तख्त झुके झुके है सियासत शिक्षा कहीं पर झुकी नहीं क्यों चीखता फिरता है कर्मों को अपने अंजाम दे लिख रहा है सच अगर कलम को ना लगाम दे ऐसी शिक्षा तेरी  हुकमिरां का बिका फरमान नहीं तू है बगावत का शोला कोई दरबारी दस्तरखान नहीं अस्सलाम वालेकुम सदरे आली वकार मैं कुरैशी समाज की बेटी दसवीं क्लास की छात्रा शैरिस कुरैशी अपनी कुरैशी बिरादरांन के साथ-साथ सभी मुस्लिम समाज की तंज़ीमों से गुजारिश करती हूं अपने बच्चों को तालीम के क्षेत्र में आगे लाएं और मैं उन बेटियों के रहबरों से कहना चाहती हूं जिन्होंने बेटियों के दहेज इकट्ठा करने के लिए अपने शौक भी छोड़ दिए वह सिर्फ अपनी बेटियों को तालीम हासिल कराएं अगर तालीम होगी तो सब कुछ उनके कदमों में होगा मैं मुस्लिम समाज को एक छोटे से वाक्य से रूबरू कराना चाहती हूं हज़रत सुलेमान अलेह सलाम ने अल्लाह ताला से दुआ मांगी या अल्लाह ताला तू मुझे ऐसी बादशाहत अता फरमा जो तूने अब तक किसी को ना दी हो हजरत जिब्राइल अलैहिस्सलाम को अल्लाह ताला ने तीन चीजें लेकर हजरत सुलेमान अलेह सलाम के पास भेजा और कहा इन चीजों में से एक शौहरत दूसरी दोलत तीसरी तालीम जो तुम्हें पसंद हो वह रख लो तभी हजरत सुलेमान अलैहिस्सलाम मुस्कुराए और उन्होंने तालीम रख ली और हजरत जिब्राइल अलैहिस्सलाम ने कहा शोहरत और दौलत से कि तुम मेरे साथ वापस चलो हजरत सुलेमान अलैहिस्सलाम ने तालीम रख ली है तभी दोलत और शौहरत ने कहा हज़रत जिब्राहील हम केसे जा सकते हैं आपके साथ अल्लाह का हुक्म है जहां तालीम हो वहां साथ रहना हमारे मुहासरे में कितनी शर्म की बात है बेटियों को तालीमें आफ्ता बनाते नहीं हैं बेटियां बिगड़ जाएंगी जब उनके पास तालीम होगी ही नहीं तो घर की चारदीवारी के अंदर भी बिगड़ जाएगी क्योंकि उन्हें अच्छे बुरे सही गलत की समझ नहीं होगी हर मां-बाप आज यह सोच ले कि बेटा हो या बेटी मुझे सबको तालीम हासिल करानी है जब उनके पास तालीम होगी तो अपने अच्छे बुरे सही गलत की समझ होगी और सब कुछ उनके कदमों में होगा मैं मुस्लिम समाज के सभी जिम्मेदार जिम्मेदारों से मैं आपकी बेटी आपसे गुजारिश करती हूं दहेज इकट्ठा करना बंद कर दे बेटा हो या बेटी पढ़ लिख कर अपना मुकद्दर खुद लिखेगी अगर बेटी को नहीं पढ़ाते हैं तो इस शैर के साथ मैं अपनी बात खत्म करती हूं मुफलिसी हिब्ज़े लताफ़त को मिटा देती है बसर को बसर की औकात भुला देती है आओ उस मां कि भी ज़ुबानी कोई बात सुनें एक रोज़ जो बच्चों को भूखा सुला देती है उसके दामन पर लगे दाग यही कहते हैं भूख तहजीब के आदाब भुला देती है अल्लाह हाफ़िज़...

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