निर्भीक और शानदार प्रदर्शन के कारण असीम अरुण को देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सुरक्षा दस्ते में शामिल किया गया था


 साहसी और ईमानदार अफसरों की इस कड़ी में आज हम बात करेंगे 1994 बैंच के आईपीएस अधिकारी असीम अरुण की। खास बात यह भी है कि यूपी के बदायूं में 3 अक्टूबर 1970 को जन्में असीम अरुण धीरे-धीरे यूपी पुलिस की रीढ़ बन गये। असीम अरुण के पिता श्रीराम अरूण भी एक आईपीएस अधिकारी रहे हैं और उनकी भी गिनती एक तेज-तर्रार अफसर के तौर पर होती रही है। असीम अरुण की मां एक जानी-मानी लेखिका हैं।

असीम अरुण ने लखनऊ के सेंट फ्रांसिस कॉलेज से प्रारंभिक शिक्षा हासिल की और दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से बीएससी किया है। पढ़ाई-लिखाई में मेधावी असीम अरुण को अनुशासन प्रिय भी माना जाता है। इंडियन पुलिस सर्विस में आने के बाद असीम अरुण ने उत्तर प्रदेश के कई जिलों मसलन - हाथरस, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, आगरा, अलीगढ़ और गोरखपुर में भी अपनी सेवाएं दी हैं।


इसके अलावा लखनऊ एटीएस में भी असीम अरुण ने अपनी सेवा दी है।

सेवा काल के दौरान असीम अरुण अपने कामों को लेकर सुर्खियों में बने रहे। देश की पहली जिलास्तरीय Special Weapons and Tactics Team (SWAT) टीम के गठन में अहम योगदान देने का श्रेय इस आईपीएस अधिकारी को जाता है। साल 2009 में अलीगढ़ में तैनाती के दौरान उन्होंने इस टीम को बनाने में काफी अमूल्य योगदान दिया था। बता दें कि स्वॉट टीम के सदस्य अत्याधुनिक हथियारों से लैस रहते हैं औऱ खतरनाक आतंकियों से पंगा लेने में काफी माहिर भी होते हैं।

खूंखार आतंकी सैफुल्लाह के खात्मे का श्रेय भी इस निडर अफसर को जाता है। कानपुर के केडीए कॉलोनी में रहने वाले ISIS के इस आतंकी के लखनऊ में छिपे होने की सूचना इस बहादुर अफसर औऱ उनकी टीम के पास था। इसी सूचना के आधार पर उन्होंने एटीएस कमांडो के साथ ठाकुरगंज इलाके में आतंकी को घेर कर ढेर किया था।

निर्भीक और शानदार प्रदर्शन के कारण असीम अरुण को देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सुरक्षा दस्ते में शामिल किया गया था। उसमें वे एसपीजी के क्लोज प्रोटेक्शन टीम के हेड थे। इसके अलावा वो एसपीजी, एनएसजी और सीबीआइ में भी सेवाएं दे चुके हैं।

सोर्स:- जनसत्ता

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