अलीगढ़ में सुबूत व कानून पर विश्वास और पुलिसिया कार्यवाही को कटघरे में खड़ा कर देने वाला मामला प्रकाश में आया है।
जिले के थाना बरला इलाके के एक गांव के निवासी युवक को 26 महीने तक झूठे दुष्कर्म के आरोप में जेल में रहना पड़ा।
जिसको डीएनए रिपोर्ट में निर्दोष साबित कर दिया है।
और हाईकोर्ट से 26 महीने बाद जमानत मिल गई है।
दरअसल, गांव में छोटी मोटी प्रैक्टिस कर अपने परिवार का पालन करने वाले सज्जन सिंह के तीन बेटों में अमित मझला है।
पीड़ित परिवार के मुताबिक अमित फरीदाबाद की एक कंपनी में नौकरी करता था। अमित के बताए अनुसार वह जब फरीदाबाद में नौकरी पर था, उस वक्त 23 फरवरी 2019 को पिता का फोन आया कि बेटा गांव की एक किशोरी गर्भवती हुई है। जिसके द्वारा तुझ पर दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए पुलिस को तहरीर दी गई है। थाने से पुलिस का फोन आया है।
अमित खुद को निर्दोष बताते हुए छुट्टी लेकर गांव पहुंच गया। वहां जाकर पता चला कि अमित समेत उसके बड़े भाई, छोटे भाई और फूफा को मुकदमे में आरोपी बनाया गया है।
यह आरोप उस वक्त लगाया गया, जब 22 फरवरी 2019 को बच्ची के गर्भवती होने का मामला प्रकाश में आया था। परिवार द्वारा काफी दलील दी गई कि यह आरोप गलत है।
इस परिवार के साथ जमीनी विवाद को लेकर वाद विवाद चल रहा है। पीड़ित अमित के अधिवक्ता हरिओम वार्ष्णेय का कहना है कि इस तरह के मामले तमाम चल रहे हैं।
जिसको लेकर कानून तो सख्त है ही,,,उसके अलावा शासन प्रशासन भी सख्ती बरतते हैं।
लेकिन पुलिस के गुड वर्क दिखाने के चक्कर में एक निर्दोष युवक 26 महीने दुष्कर्म के आरोप में जेल में रहा।
वहीं, जब लड़की द्वारा एक बच्चे को जन्म दिया गया तो कोर्ट में डीएनए रिपोर्ट के लिए अपील की गई। जिसमें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। लेकिन डीएनए रिपोर्ट में अमित निर्दोष साबित होने के बाद हाईकर्ट से जमानत मिली है।
परिवार के मुताबिक इस झूठे मुकदमे के कारण युवक का करियर बर्बाद हो गया।
इतना ही नहीं, पूरे परिवार को भी अपमानजनक बातें समाज की झेलनी पड़ी।
बेटे के निर्दोष होने के बाद परिवार में खुशी का माहौल है। वहीं बच्ची के साथ हुई घटना की पुनः जांच की बात सामने आ रही है।
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