अमुवि के एतिहासिक भवन विक्टोरीया गेट के समक्ष पार्क में 30 फीट गहरे गड्ढे में एक 1.5 टन के ”टाइम कैप्सूल” को दफनाया।

                                  टाइम कैप्सूल


अलीगढ़, 26 जनवरीः गणतंत्र दिवस समारोह और विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष के अवसर पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास के एक अध्याय को संरक्षित करने तथा विश्वविद्यालय की समृद्ध विरासत को भविष्य के लिये एक रिकार्ड के रूप में अगली नस्लों तक पहंुचाने के उद्देश्य से आज विश्वविद्यालय के एतिहासिक भवन विक्टोरीया गेट के समक्ष पार्क में 30 फीट गहरे गड्ढे में एक 1.5 टन के ”टाइम कैप्सूल” को दफनाने का कार्यक्रम आयोजित किया गया।

उच्च टेम्पर्ड स्टील से निर्मित इस टाइम कैप्सूल में खलीक अहमद निजामी का सर सैयद एल्बम, 1875 से 1919 तक मोहम्मद एंग्लो-ओरिएंटल कालिज, अलीगढ़ से संबंधित लेख और भाषण (नवाब मोहसिन उल मुल्क द्वारा संकलित), थ्योडोर मॉरिसन द्वारा एमएओ कालिज का इतिहास, जीएफआई ग्राहम द्वारा सैयद अहमद खान का जीवन और कार्य, प्रोफेसर शान मोहम्मद द्वारा भारत में मुस्लिम शिक्षा की झलक - खंड 1 व 2, 1920 के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अधिनियम तथा विश्वविद्यालय के कानूनय, प्रोफेसर के ए निजामी द्वारा सैयद अहमद खान, प्रोफेसर मोहम्मद आसिम सिद्दीकी और डा० राहत अबरार द्वारा संकलित जहान-ए-सैयद, अल्ताफ हुसैन हाली द्वारा हयात-ए-जावेद (उर्दू), प्रोफेसर रफी अहमद अलवी द्वारा हयात-ए-जावेद (अंग्रेजी), डा० राजीव लोचन नाथ शुक्ल द्वारा हयात-ए-जावेद (हिंदी), एस के भटनागर द्वारा एमएओ कालिज का इतिहास, डा० एपीजे अब्दुल कलाम का दीक्षांत भाषण, अमुवि के दीक्षांत समारोह (1922-2018), मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कालिज कैलेंडर (1911-1912), अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय कैलेंडर (1932), एएमयू डायरी -2020, 28 अक्टूबर, 2018 को कार्टोसैट-2 द्वारा ली गई अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय परिसर की सैटेलाइट तस्वीर, एएमयू के कुलाधिपतियों और कुलपतियों की सूची, अमुवि का कालानुक्रमिक इतिहास (1920-2020), 22 दिसंबर 2020 को शताब्दी समारोह में प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा जारी डाक टिकट तथा भाषण तथा टाइम कैप्सूल की सामग्री सुचि तथा प्रगति कार्य के विवरण को रखा गया है।


समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि यह टाइम कैप्सूल भविष्य की पीढ़ियों के लाभ के लिए है और इसमें एएमयू के गौरवशाली इतिहास को संरक्षित किया गया है। उन्होंने कहा कि इसमें रखी गई दस्तावेजों को आधुनिकतम वैज्ञानिक तरीकों से संरक्षित किया गया है। कैप्सूल में रखी गई दस्तावेजों के लिये एसिड-मुक्त तथा रसायनविहीन कागज का प्रयोग किया गया है।


प्रोफेसर मंसूर ने कहा कि इतिहास परंपराओं के आचरण में आने के साथ शुरू होता हैं। उन्होंने कहा कि  अतीत की आदतों और भविष्य के लिये लिये गये पाठ का अर्थ ही परंपरा है।
कुलपति ने जार्ज संतायण का हवाला देते हुए कहा कि जो लोग अतीत को याद नहीं रखते, उन्हें इसे दोहराने का श्राप झेलना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि 8 जनवरी 1877 को एमएओ कालिज की आधार शिला रखते समय उस समय के वायसराय तथा गवर्नर जनरल लार्ड लिटन द्वारा दफन किये गये कैप्सूल को बाहर निकालने संबन्धित तौर-तरीकों पर विचार विमर्श के लिये एक समिति का गठन किया गया है।
कुलपति ने टाइम कैप्सूल समिति के सदस्यों, एएमयू रजिस्ट्रार, श्री अब्दुल हमीद (आईपीएस), प्रो मिर्जा फैसल एस बेग (अध्यक्ष, मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग), प्रोफेसर एमके पुंडीर (इतिहास विभाग), डा० राहत अबरार, राजीव कुमार शर्मा (विश्वविद्यालय इंजीनियर), डा० मोहम्मद शाहिद (उप निदेशक, सर सैयद अकादमी), इशरत आलम (अध्यक्ष, इतिहास विभाग), डा० मोहम्मद यूसुफ (विश्वविद्यालय लाइब्रेरियन), डा० मोहम्मद नदीम (कंप्यूटर विज्ञान विभाग), डा० मोहम्मद इरफान (संग्रहालय विज्ञान विभाग), डा० रिजवान अहमद (रिमोट सेंसिंग एवं जीआईएस अनुप्रयोग विभाग), डा० परवेज महमूद (निदेशक, कंप्यूटर सेंटर) और श्री फूल चंद गोंड (आईआईटी कानपुर) का आभार व्यक्त किया।
एएमयू रजिस्ट्रार, श्री अब्दुल हमीद (आईपीएस) ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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