अमुवि के अल्पसंख्यक चरित्र के पक्ष में जो मामला चल रहा है उसमें बदला हुआ शपथ पत्र वापस ले ।

 अमुवि के छात्रों ने पीएम नरेन्द्र मोदी से की SC/ST के लिए   यूनिवर्सिटी बनाने की मांग




अलीगढ़ / अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों ने वाइस चांसलर को अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा है. छात्रों ने कश्मीर को उसका विशेष दर्जा वापस कर 370 फिर से लागू करने की मांग की है.

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के 100 साल पूरे होने के मौके पर आज पीएम नरेन्द्र मोदी वर्चुअल तरीके से छात्रों को संबोधित करेंगे.

 इस मौके पर एएमयू के छात्रों ने पीएम मोदी के नाम दिए ज्ञापन में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC-ST) के लिए भी यूनिवर्सिटी बनाने की मांग की है. 

मांग करते हुए छात्रों ने कहा है कि इस यूनिवर्सिटी में एससी-एसटी के छात्रों को पूर्ण रूप से आरक्षण हासिल हो.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों ने वाइस चांसलर को दिए ज्ञापन में यह भी मांग की है कि एससी-एसटी यूनिवर्सिटी के लिए प्रोपजल सरकार में पास करके उसके लिए अलग से ज़मीन आवंटित की जाए.

 इसके अलावा छात्रों ने यह मांग भी रखी है कि अमुवि के अल्पसंख्यक चरित्र के पक्ष में जो मामला चल रहा है उसमें बदला हुआ शपथ पत्र वापस ले और यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक चरित्र के सहयोग में नया शपथ पत्र दें. 

साथ ही कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 370 में जम्मू कश्मीर को जो विशेष दर्जा दिया गया था उस अनुच्छेद को वापस लाएं.

अमुवि के छात्रों ने पीएम नरेन्द्र मोदी से की SC/ST के लिए यूनिवर्सिटी बनाने की मांग की.

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों ने वाइस चांसलर को अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा है. छात्रों ने कश्मीर को उसका विशेष दर्जा वापस कर 370 फिर से लागू करने की मांग की है.विद्यालयों के छात्रों के खिलाफ सभी मामलों का निपटारा हो, ताकि झूठे आरोप में फंसे छात्र अपने व्यवसाय में गरिमा और सिद्धांत के साथ आगे बढ़ें. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वर्तमान प्रावधान में वृद्धि की जाए.वर्ष 2019 में नागरिकता अधिनियम सीए में किए गए संशोधनों का निरसन, जिसमें भारत की नागरिकता प्राप्त करने के लिए धार्मिक मापदंड सम्मिलित किए हैं, जो हमारे संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ जाता है,  निवेदन है कि सीएए कानून को वापस लिया जाए.

तीन नए फार्म कानून जो सरकार द्वारा विधायकों के साथ किसी भी परामर्श के बिना पेश किए गए हैं और सांसद द्वारा जल्दबाजी में बिना किसी तार्किक और संतोषजनक चर्चा के पारित किए गए हैं उन्हें वापस लिया जाए.

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