एएमयू के संस्थापक सर सैयद अहमद खान जैसे दूरदर्शी नेता थे, जो एक ऐसे समय में भारत में हिंदू-मुस्लिम एकता के महान प्रचारक तथा घोतक अग्रणी थे ।

 


अलीगढ़ / 9 सितम्बरः जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल श्री एन०एन० वोहरा ने आज कहा कि शासन में सफलता के लिए पूरी तरह से समर्पित और ईमानदार राजनीतिक नेतृत्व और सक्षम लोक सेवक दोनों की आवश्यकता होती है।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सर सैयद अकादमी द्वारा शताब्दी वर्ष सर सैयद मेमोरियल लेक्चर 2020 “शासन-राजनीति और लोक सेवा अधिकारियों की जिम्मेदारी” के विषय पर ऑनलाइन व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए श्री वोहरा ने कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि एएमयू के संस्थापक सर सैयद अहमद खान जैसे दूरदर्शी नेता थे, जो एक ऐसे समय में भारत में हिंदू-मुस्लिम एकता के महान प्रचारक तथा घोतक अग्रणी थे जब ब्रिटिश सरकार देश को विभाजित करने की कोशिश कर रही थी। सर सैयद को दृढ़ विश्वास था कि शिक्षा से ही समाज में विकास संभव है।
श्री वोहरा ने बल देते हुए कहा कि सर सैयद ने धार्मिक पुस्तकों की तर्कसंगत व्याख्या की और भारत पर एक अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने शैक्षिक और सामाजिक सुधार के लिए कदम उठाए और वह लोकतांत्रिक सिद्धांतों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अग्रदूत थे।  
सिविल सेवाओं की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए श्री वोहरा ने कहा कि लोक सेवा की जवाबदेही बनाये रखने के लिए संविधान और कानून का कड़ाई से पालन आवश्यक है। उन्होंने कहा कि प्रभावी राजनीतिक और सार्वजनिक सेवा के लिए पारदर्शिता और परामर्श और शासन में उत्कृष्टता की संस्कृति को विकसित करने की आवश्यकता है।
कोविड-19 के प्रभावों पर चर्चा करते हुए श्री वोहरा ने कहा कि महामारी संकट के समय राष्ट्रीय स्तर के शासन की आवश्यकता थी और सरकार को अधिक व्यापक प्रणाली के साथ काम करना हेागा। उन्होंने कहा कि यह एक मार्मिक स्थिति है क्योंकि इस अंतर्राष्ट्रीय संक्रमण से अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुचा है तथा बड़ी संख्या में लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए हैं। उन्होंने कहा कि गरीबों की दशा को जल्द से जल्द बेहतर बनाने की जरूरत है।
श्री वोहरा ने कहा कि आज का भारत उस समय से बहुत आगे है जब अंग्रेज़ों से देश को मुक्ति मिली थी। उन्होंने कहा कि हमारा देश अब एक जीवित संवैधानिक लोकतंत्र है और इसने विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है। उन्होंने कहा कि भारत में विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं जो 122 से अधिक भाषाएं और दो हजार से अधिक बोलियां बोलते हैं तथा भारत ने 1947 के विभाजन के उपरान्त जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख में पाकिस्तान और चीन की आक्रामकता जैसे कई संकटों का सफलता पूर्वक सामना किया है। एक स्वतंत्र देश के रूप में भारत ने प्रारंभ से ही विकास की गति को बनाए रखा है और स्वतंत्रता के बाद पहले दो दशकों के भीतर हमारे उत्कृष्ट शैक्षणिक और स्वास्थ्य संस्थानों का निर्माण किया गया था।
एएमयू कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि श्री वोहरा, 1959 बैच के आईएएस अधिकारी तथा जम्मू और कश्मीर के बारहवें राज्यपाल थे। उन्होंने इस राज्य में दस वर्षों तक काम किया जो एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने बल देते हुए कहा कि लोक सेवा में बुद्धिमान लोगों को  निर्दिष्ट समय के लिए सार्वजनिक सेवा में तैनाती की आवश्यक्ता है। उन्होंने लोकतन्त्र की मज़बूती के लिये सत्तारूढ़ दल तथा विपक्ष दोनों को मजबूत बनाने का भी आह्वान किया।
प्रोफेसर मंसूर ने कहा कि भारत के कई छोटे राज्यों से तथा उनके योग्य शासन-प्रशासन से बहुत कुछ सीखने की आवश्यक्ता है।
इससे पूर्व स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए प्रोफेसर अली मुहम्मद नकवी निदेशक, सर सैयद अकादमी, ने सर सैयद अहमद खान के जीवन पर प्रकाश डाला, जो एक महान समाज सुधारक, इतिहासकार, दार्शनिक तथा संस्थान निर्माता थे। अकादमी के उप निदेशक डा० मुहम्मद शाहिद ने आभार व्यक्त किया जबकि डा० सैयद हुसैन हैदर ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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