फर्जी पत्रकारों के खिलाफ एसएसपी अभिषेक यादव स्वयं मोर्चा संभाले हुए हैं।






कक्षा 3 पास कबाड़ी 2100 में बन गया “पत्रकार”…
कबाड़ी के साथ ही पुलिस ने 4 और तथाकथित पत्रकारों को भी धर दबोचा…
एक-दो नहीं,रुपए लेकर बना डाले 260 फर्जी “पत्रकार” : दिल्ली के कथित संपादक की पुलिस को तलाश… 
एसएसपी के नेतृत्व में पुलिस द्वारा चलाए जा रहे अभियान से पत्रकार खुश…
फर्जी पत्रकार पुलिस की गिरफ्त में 👆
एसएसपी अभिषेक यादव: अभियान से पत्रकार खुश 👆
लखनऊ/मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर की पुलिस जहां अपराधियों पर कहर बनकर टूट रही है, वहीं प्रेस का फर्जी कार्ड लेकर लोगों पर रौब गांठने वालों को भी सबक सिखाकर आम जनमानस में खराब हो रही पत्रकारिता की छवि को भी बचा रही है। लाॅकडाउन में आई बड़ी जिम्मेदारी के बीच भी एसएसपी अभिषेक यादव के निर्देशन व नेतृत्व में जिले की पुलिस लगातार अपराधियों के हाॅफ इनकाउंटर में उन्हे पुलिस की गोली का मजा चखाकर अस्पताल/जेल पहुंचा रही है तो फर्जी पत्रकारों के खिलाफ एसएसपी अभिषेक यादव स्वयं मोर्चा संभाले हुए हैं।
जिले में आजकल प्रेस लिखे वाहनों एवं तथाकथित पत्रकारों की बाढ़ सी आई हुई है। पुलिस ने फर्जी पत्रकारों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत दो दिनों में पांच फर्जी पत्रकारों को न केवल सलाखों के पीछे पहुंचाया, बल्कि ऐसे लोगों को “पत्रकार” बनाने वाले दिल्ली के एक “संपादक” को भी अपनी लिखा-पढ़ी की गिरफ्त में ले लिया है। एसएसपी अभिषेक यादव ने स्वयं प्रेस कांफ्रेंस कर पत्रकारों को इस बारे में जानकारी दी।
लाॅकडाउन में बाइक पर प्रेस का लोगो/स्टीकर लगाकर गले में “पत्रकार” का आई कार्ड डालकर घूम रहे किदवई नगर निवासी सलमान को सिविल लाइन पुलिस ने पकड़ा और थाने ले जाकर उससे पूछताछ शुरू ही की थी कि गांधीनगर, नई मंडी निवासी सतेंद्र सैनी साथियों के साथ थाने जा पहुंचा और ये सब भी अपने को पत्रकार बताकर पुलिस पर दबाव बनाने लगे। पुलिस ने व्यापक जांच-पड़ताल के बाद सलमान व सतेंद्र के साथ ही कूकड़ा, नई मंडी निवासी चंद्रभान, गांधीनगर-नई मंडी के सुरेंद्र व अमित बिहार-नई मंडी निवासी कथित पत्रकार प्रवेश कुमार को भी गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के अनुसार पकड़ा गया सलमान कक्षा 3 पास है तथा कबाड़ी का काम करता है। सलमान ने पूछताछ में बताया कि सतेंद्र ने 2100 रुपए लेकर कथित रुप से दिल्ली से प्रकाशित होने वाले पाक्षिक अखबार “दिल्ली क्राइम” का आई कार्ड, प्रेस का लोगों/स्टीकर दिलवाया था। सलमान ने यह भी बताया कि सतेंद्र व उसके साथियों ने जिले के करीब 260 लोगों से 2100-2100 रुपए लेकर उन्हे “पत्रकार” बनाया है व आई कार्ड बांटे हैं पुलिस इस सबकी भी जांच-पड़ताल कर रही है।
पकड़े गए लोगों के कब्जे से प्रेस का लोगों/स्टीकर लगी बाइक (UP 12AM/1725), फर्जी आई कार्ड, प्रेस की 3 डायरियां व जिन्हे आई कार्ड बांटे गए, उनकी सूची बरामद हुई है। पिछले कुछ दिनों में मुजफ्फरनगर पुलिस ने जिन फर्जी “पत्रकारों” को पकड़ा उनमें से कोई साइकिल का पंचर बनाने का काम करने वाला निकला, कोई कपड़े प्रेस करने वाला तो कोई रिक्शा चालक निकला। मजे की बात यह है कि इनमें से ज्यादातर तथाकथित पत्रकार कक्षा 3 से कक्षा 5 तक ही पढ़े निकले। पुलिस ने मोतीनगर-दिल्ली निवासी कथित संपादक प्रेम नारायण को भी आरोपी बनाया है, जो अभी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। प्रेम नारायण पैसे लेकर “पत्रकार”/भ्रष्टाचार विरोधी मोर्चा की मेंबरशिप का आई कार्ड देता था। पुलिस ने सभी के खिलाफ आईपीसी की धारा 420/469/270 के साथ ही आपदा प्रबंधन की धारा 51 व महामारी दंड अधिनियम की धारा 3 के तहत मामला दर्ज किया है। फर्जी पत्रकारों के खिलाफ पुलिस के अभियान से जिले के वास्तविक पत्रकारों ने राहत की सांस ली है।
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