एक पत्रकार के खिलाफ जब ऐसा मामला पुलिस दर्ज कर सकती है तो आप अंदाजा लगाइए कि आम आदमी आम नागरिक के साथ पुलिस का बर्ताव कैसा होता होगा l

अलीगढ़/ पुलिस का नया कारनामा पत्रकार से पुलिस को हुआ शांति भंग का खतरा अलीगढ़ में यूं तो शांति कायम करने के लिए जिला पुलिस प्रशासन के साथ सभी सामाजिक संगठन और व्यक्ति लगे हुए हैं लेकिन जब शांति भंग के आरोप में जिले के एक सम्मानित पत्रकार को ही पुलिस धारा 107 और 116 में नामजद कर दें तो इसे आप पुलिस का कारनामा ही कहेंगे ऐसा ही एक मामला अलीगढ कोतवाली के तहत रहने वाले पत्रकार जाकिर भारती के साथ हुआ है पत्रकार जाकिर भारती अलीगढ़ से अपना एक साप्ताहिक समाचार पत्र का प्रकाशन करते हैं और पिछले कई वर्षों से पुलिस प्रशासन के सहयोग में भी लगे हुए हैं हालांकि में पुलिस की कमियों को वह समय-समय पर उजागर भी करते हैं जिससे पुलिस को लाभ भी होता है लेकिन कुछ पुलिसकर्मी इसको खुन्नस मानते हुए पत्रकार जाकिर भारती पर ही 107 और 116 लगा कर यह साबित करना चाहते हैं कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ अब पुलिस की मर्जी से चलेगा यानी पुलिस कोई गलत काम या गलत आचरण करें तो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ पुलिस के खिलाफ ना लिखें यह सीधा सीधा स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति पर हमला है हालांकि मैं इस मामले की जानकारी खुद पत्रकार को नहीं थी यह जानकारी पत्रकार को यह क्षेत्रीय सभासद ने दी जब उन्होंने कहा कि एक पत्रकार के खिलाफ जब ऐसा मामला पुलिस दर्ज कर सकती है तो आप अंदाजा लगाइए कि आम आदमी आम नागरिक के साथ पुलिस का बर्ताव कैसा होता होगा एक तरफ तो पुलिस जन से 2 की बात करती है और पुलिस पब्लिक सहयोग के लिए हमेशा कहती रहती है लेकिन जब लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी पुलिस के कारनामों से ग्रस्त होगा तो आम आदमी का क्या होगा बरहाल इस मामले को लेकर पत्रकार जगत में रोष है और कई पत्रकार संगठन अब सीधे सीधे पुलिस से अपनी इस बात को लेकर असहमति जता रहे हैं कि आखिर एक पत्रकार के खिलाफ बगैर किसी सूचना के शांति भंग की धाराओं में अपराध किस नाते दर्ज किया गया और वह भी उस पत्रकार के खिलाफ जिस पत्रकार के खिलाफ आज तक ऐसा कोई मामला हुआ ही नहीं है इसको लेकर अलीगढ़ जिले के कई पत्रकार संगठनों ने जिला कप्तान से मिलकर इस बाबत अवगत कराने का अनुरोध किया है कि जिला कप्तान इस मामले को प्रमुखता से लें और दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्यवाही करें l इस संबंध में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, नई दिल्ली और प्रैस कौन्सिल आफ इंडिया को ईमेल कर शिकायत कर दी गई है 

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