आइए जानते हैं कि अभी कौन, कैसे, किस तरह से भारतीय नागरिक हैं...

 

संसद भवन (फाइल फोटो)
संसद में भारतीय नागरिकता (संशोधन) विधेयक- 2019 पेश किया जा चुका है। विधेयक पर चर्चा चल रही है। संसद की मंजूरी मिलने और अधिनियम बनने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भी भारतीय नागरिकता का अधिकार मिल जाएगा। इस अधिनियम बनने के बाद इन तीनों देशों से आए लोगों के विरुद्ध नागरिकता से जुड़े चल रहे सभी मामले स्वत: खत्म हो जाएंगे। आइए जानते हैं कि अभी कौन, कैसे, किस तरह से भारतीय नागरिक हैं...

भारतीय नागरिकता अधिनियम-1955

26 जनवरी 1950 को लागू संविधान देश में सभी को समान नागरिकता का अधिकार देता है। भारतीय संविधान के द्वितीय भाग के अनुच्छेद पांच से 11 के प्रावधानों में भारतीय नागरिकता के संदर्भ में व्याख्या की गई है। यह सभी अनुच्छेद मजहब के आधार पर भारतीय नागरिकता की व्याख्या नहीं करते। भारतीय नागरिकता अधिनियम-1955 में अब तक कई बार संशोधन हो चुका है। पहला संशोधन 1986 में, दूसरा 1992, तीसरा 2003 और 28 जून 2005 को आध्यादेश के माध्यम से किया गया था। 2003 को हुआ संशोधन 7 अप्रैल 2004 को राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृत हुआ था और 3 दिसंबर 2004 को अमल में आया था।  
भारतीय नागरिकता का मुख्य आधार क्षेत्र में जन्म लेने वाले को नागरिकता देने की बजाय यह रक्त के संबंध के द्वारा नागरिकता (यानी विदेश में जन्मा व्यक्ति अथवा एक अभिभावक के विदेशी होने की दशा में भी नागरिकता) का अनुसरण करने की व्याख्या करता है।

जन्म से नागरिकता

  1. भारतीय संविधान ने 28 जनवरी 1950 के बाद और एक जुलाई 1987 से पहले भारतीय भू-भाग पर जन्म लेने वाले व्यक्ति को नागरिकता प्रदान करने का अधिकार दिया है, बशर्ते उसके अभिभावक भारतीय हों।
  2. 1जुलाई 1987 या इसके बाद भारत में जन्मा कोई भी व्यक्ति भारत का नागरिक है, यदि उसके जन्म के समय उसका कोई एक अभिभावक भारतीय नागरिक है।
  3. 7 जनवरी 2004 के बाद भारत में पैदा हुआ वह कोई भी व्यक्ति भारत का नागरिक है, यदि उसके दोनों अभिभावक भारतीय नागरिक हों या दोनों में से कोई एक अभिभावक भारतीय नागरिक हो और दूसरा उसके जन्म के समय गैर कानूनी अप्रवासी न हो। वह भारतीय नागरिक या विदेशी हो सकता है।

वंश के द्वारा भारतीय नागरिकता

  1. भारतीय नागरिकता अधिनियम की धारा (5) के अनुसार 26 जनवरी 1950 के बाद लेकिन 10 दिसंबर 1992 से पहले बाहर पैदा हुआ व्यक्ति वंश के द्वारा भारतीय नागरिक है, यदि उसके जन्म के समय उसके पिता भारतीय नागरिक हैं।
  2. 10 दिसंबर 1992 या उसके बाद बाहर पैदा हुआ व्यक्ति भारत का नागरिक है, यदि उसके जन्म के समय कोई एक अभिभावक भारतीय नागरिक था।
  3. 3 दिसंबर 2004 या इसके बाद भारत से बाहर जन्मा व्यक्ति भारत का नागरिक है, यदि उसके दोनों में से एक अभिाभावक भारतीय नागरिक हैं और उसके जन्म के एक साल के भीतर उसका पंजीकरण भारतीय वाणिज्य दूतावास में हुआ हो। विशेष परिस्थिति में केन्द्र सरकार एक साल के भीतर भारतीय वाणिज्य दूतावास में पंजीकरण से छूट दे सकती है। इसे एक साल के बाद भी पंजीकृत कराया जा सकता है।

पंजीकरण द्वारा नागरिकता

भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा (5) निम्न व्यक्तियों को भी केन्द्र सरकार भारतीय नागरिकता प्रदान करती है।
  1. भारतीय मूल का व्यक्ति जो पंजीकरण के आवेदन से पहले सात साल की अवधि तक भारत में रहा हो
  2. भारतीय मूल का व्यक्ति जो अविभाजित भारत (पाकिस्तान, बांग्लादेश) के बाहर किसी देश या स्थान का निवासी हो
  3. किसी भारतीय से विवाह करने वाला व्यक्ति, जिसने पंजीकरण के आवेदन से पहले सात साल भारत में निवास किया हो
  4. उन व्यक्तियों के अवयस्क बच्चे जो भारत के नागरिक हों
  5. पूर्ण आयु और क्षमता से युक्त व्यक्ति जिसके माता-पिता भारत में सात साल रहने के कारण भारत में नागरिकता से पंजीकृत हों
  6. पूर्ण आयु और क्षमता से युक्त व्यक्ति जिसका कोई एक अभिभावक स्वतंत्र भारत का नागरिक था और नागरिकता के पंजीकरण के लिए आवेदन करने से एक साल पहले से भारत में रह रहा है
  7. पूर्ण आयु और क्षमता का वह व्यक्ति जो सात सालों के लिए भारत में  एक विदेशी के रूप में पंजीकृत हो और आवेदन करने के एक साल पहले से भारत में रह रहा हो

समीकरण के द्वारा नागरिकता

विदेशी नागरिक जो 12 साल से भारत में रह रहा हो। इसके लिए आवश्यक है कि सात साल की अवधि में पांच साल भारत में रहा हो और पंजीकरण के लिए आवेदन करने से पहले 12 महीने भारत में बिताया हो।

भारत के संविधान की शुरुआत में नागरिकता

26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान बनकर तैयार हुआ था। इस समय से लेकर 26 जनवरी 1950 तक भारत में रह रहा, भारत में जन्मा हर व्यक्ति स्वत: ही भारत का नागरिक बन जाता है। भारतीय संविधान ने पाकिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों से आए उन लोगों के लिए नागरिकता का प्रावधान किया जो विभाजन के बाद भारत में आए थ और विभाजन से पहले भारतीय थेे।

इनर लाइन परमिट क्या है?

यह भारत सरकार द्वारा जारी अधिकारिक दस्तावेज है। यह एक निश्चित समय के लिए यात्रा की अनुमति देता है। इस नियम को ब्रिटिश सरकार ने भारत में रह रहे भारतीय नागरिकों के लिए बनाया था। यह नियम लेह-लद्दाख जैसे अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगते क्षेत्रों, असम, नागालैंड, मिजोरम राज्यों में लागू होता है। समय-समय पर इसमें बलदाव होता रहा है। यह परमिट 15 दिन के लिए बनता है। 15 दिन से अधिक रुकने की दशा में इसे रिन्यू कराया जा सकता है। इस परमिट को बनवाने के लिए दिल्ली, कोलकाता के कार्यालय के अलावा इन राज्यों के सीमा में प्रवेश करने से पहले बने कार्यालय में भारतीय नागरिकता का पहचान पत्र लेकर बनवाया जा सकता है। कॉपी :- अमर उजाला 

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