भक्तजन की खातिर, बनता हूं चक्रधारी, चक्र मुझसे पूछे, कब आदेश हो रहा है।

हाथरस / भाईचारा सेवा समिति एवं विमल साहित्य संवर्धक संस्था के संयुक्त तत्वाधान में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में एक काव्यगोष्ठी का आयोजन किया जिसकी अध्यक्षता समाजसेवी हरपाल सिंह यादव एवं संचालन शिवम कुमार 'आज़ाद' ने किया । कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती एवं श्रीकृष्ण के चित्र पर दीप प्रज्वलित कर भाईचारा सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश संघर्षी ,राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हरपाल यादव, राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह एवं ठाकुर नरेंद्र सिंह जादौन निदेशक जिला सहकारी बैंक ने किया । कवि विवेकशील राघव की सरस्वती वंदना के बाद अवनीश यादव ने पढ़ा-
भक्तजन की खातिर, बनता हूं चक्रधारी।
चक्र मुझसे पूछे, कब आदेश हो रहा है।।

अवशेष मानवतवादी ने पढ़ा-
पीर पर्वत सी विरह की सह रहे हैं दो नयन।
लौट आओ लौट आओ कह रहे हैं दो नयन।।

शायर शिवम कुमार आज़ाद ने सुनाया-
साहिलों की धमकी से हम कभी नहीं डरते;
कश्तियाँ चलाते हैं अपनी तेज धारों में ।।

एटा की कवियत्री अल्का सिंह अद्भुत  ने पढ़ा-

इबादत कर सकूं माँ की शहीदों तुम दुआ करना ।
हमने पुरखों से सीखा है कर्ज माँ का अदा करना ।।

विवेकशील राघव ने सुनाया-
बंशी को बजाने वाले चक्र को चलाने वाले ।
देवकी के लाल का कमाल याद कीजिये ।।

इसके अतिरिक्त हास्यकवि पंकज पण्डा, शायर काशिफ़ जमाल, शमशुल शम्स, ललित मोहन भारद्वाज, प्रमोद विषधर, घनश्याम यादव, कन्हैया पलतानी आदि ने काव्यपाठ किया । इस मौके पर राजेश यादव, पंकज बघेल, निरोत्तम सिंह, राहुल कुमार, दिनेश वार्ष्णेय, शशांक वार्ष्णेय, गौतम कुमार, हरेंद्र कुमार यादव, साहित्य शर्मा, शिवांश कुमार, अमरीश कुमार आदि उपस्तिथ रहे ।

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