पत्रकारों की बड़ी जीत सभी मांगें मान्य,धरना प्रदर्शन एव आमरण अनशन समाप्त



देेहरादून। सूचना विभाग एवं प्रदेश सरकार ने आखिरकार पत्रकारों की मांग मान ली है। बता दें कि पिछले आठ दिनों से आंदोलनरत पत्रकारों की सभी मांगों को सूचना विभाग धरना प्रदर्शन कर रहे थे। मांगे माने जाने के साथ ही पत्रकारों ने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया है।
वहीं शुक्रवार मांगों को लेकर संजीव पंत ने आमरण अनशन शुरु कर दिया था, मांगें माने जाने के बाद अपर निदेशक सूचना डा. अनिल चंदोला ने श्री पंत को जूस पिलाकर उनका आमरण अनशन समाप्त करवाया।
ज्ञातव्य हो कि सरकार द्वारा पत्रकारों के खिलाफ चलाई जा रही दमनकारी नीति के विरोध में पत्रकारों ने बीते सायं 7.00 बजे देहरादून के गांधी पार्क से घंटाघर स्थित उत्तराखंड आंदोलनकारी स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी की प्रतिमा स्थल तक मशाल जुलूस निकाला था। पत्रकार अपने हाथों में मशाल और नारों की तख्तियां उठाए हुए थे। जिसमें प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक तथा वेब मीडिया से जुड़े लगभग 70 से अधिक पत्रकारों ने दो-दो पंक्तियों में नारेबाजी करते हुए जुलूस शुरू किया तो राजपुर रोड की व्यस्त सड़कें भी चैंक कर जुलूस की तरफ देखने लगी थी।
जुलूस जब घंटाघर के पास स्थित स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी के प्रतिमा स्थल तक पहुंचा तो जुलूस एक सभा में बदल गया। सभा में पत्रकारों की 11 सूत्री मांगों से संबंधित ज्ञापन पढ़ा गया तथा इन मांगों के पूरे होने तक आंदोलन को प्रतिदिन और तेज करने का संकल्प जाहिर किया गया।
वापसी में जुलूस फिर से गांधी पार्क पहुंचा और यहां पर वरिष्ठ पत्रकार जीत मणि पैन्यूली ने अपने संबोधन में इतिहास में दर्ज उत्तराखंड के पत्रकारों के संघर्षों को याद किया तथा युवा पत्रकारों में काफी जोश भरा।
गौरतलब है कि उत्तराखंड पत्रकार संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने युवा पत्रकारों को पन्ना प्रमुख तैनात करके काफी सफलता प्राप्त की। युवा पत्रकारों ने गंभीरता से काम किया और कुछ ही घंटे बाद शाम के जुलूस में इसका असर दिख गया। स्थानीय प्रिंट मीडिया के काफी पत्रकार पहली बार आंदोलन में शामिल हुए और उन्होंने मांगे पूरी न होने तक संघर्ष में कंधे से कंधा मिलाकर चलने का संकल्प जाहिर किया।
इस मशाल जुलूस के दौरान हालांकि अच्छी खासी संख्या में पुलिस बल भी मौजूद था लेकिन बुद्धिजीवी वर्ग के इस जुलूस की पुलिस अफसरों ने भी भूरी-भूरी प्रशंसा की। एक सप्ताह से चल रहे इस आंदोलन का इतना तो असर हो गया है कि सभी जिलों में संचालित मीडिया की खोज खबर लेने के लिए सरकार के निर्देश पर संबंधित जिलों के सूचना विभाग हरकत में आ गए हैं। अब सभी पत्रकारों को उनके द्वारा संचालित मीडिया की रिपोर्ट ली जा रही है। सत्ता के गलियारों में मची हलचल से संभवत एक-दो दिन में सरकार पत्रकारों की मांगे मान सकती है।
वहीं हरिद्वारा, रूड़की में भी उत्तराखंड पत्रकार संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले छोटे व मझौले अखबारों को विज्ञापन आवंटन में मनमानी के खिलाफ पत्रकारों ने अपर जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को 11 सूत्रीय ज्ञापन भेजकर साथ निभाया।
बता दें कि मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन में कहा गया कि विज्ञापन नियमावली 2016 में उल्लेखित किए गए विज्ञापनों में से अमर बलिदानी श्रीदेव सुमन जयंती पर विज्ञापन रोके जाने पर तत्काल खेद जताया जाए तथा भविष्य में ऐसी मनमानी न करने का संकल्प प्रदर्शित किया जाए। पिछले पांच वर्ष से रुकी हुई अखबारों की सूचीबद्धता की कार्यवाही शुरू की जाए तथा जब तक नई नियमावली बन रही है तब तक पुरानी नियमावली के अनुसार ही पिछले चार वर्ष से रोके गए अखबारों को विज्ञापन जारी किए जाएं। वेब मीडिया की सूचीबद्धता के लिए नियमावली के अनुसार हर छह महीने में एक बार एंपैनलमेंट किया जाए। सूचीबद्धता के बाद दी जाने वाली धरोहर राशि की बाध्यता को समाप्त किया जाए। केंद्र सरकार वेब मीडिया पर जीएसटी की दर को कम अथवा खत्म किया जाए।
वेब पोर्टल में कार्यरत मीडिया प्रतिनिधियों को भी मान्यता दिलाने के लिए मानक बनाए जाए। उत्तराखंड लोक संपर्क विभाग देहरादून में पत्रकारों के कल्याण योजना तथा पेंशन योजना से संबंधित 43 प्रकरण अभी तक लंबित हैं उनका तत्काल निस्तारण किया जाए। ज्ञापन में कहा गया कि राज्य हर हफ्ते बाजार से करोड़ों रुपये कर्ज उठा रहा है इसलिए मितव्ययिता को ध्यान में रखते हुए अन्य राज्यों की पत्र पत्रिकाओं को विज्ञापन दिया जाना तत्काल प्रभाव से रोका जाए। उत्तराखंड के वेब पोर्टलों को विज्ञापन देने के बजाय सीधे गूगल को विज्ञापन दिए जाने पर तत्काल रोक लगाई जाए। ज्ञापन देने वालों में प्रेस क्लब के अध्यक्ष केवल बत्रा, राजकुमार फुटेला, परमजीत पम्मी, भरत शाह, अनिल चैहान, फणींद्र नाथ गुप्ता, अजय चड्ढा, विकास कुमार, शुभोधुति मंडल, अशोक कुमार, मनोज आदि शामिल थे।

ज्ञापन में ये थी जरूरी बातें

प्रिय महोदय विगत 1 सप्ताह से पत्रकारों के दमन के खिलाफ देहरादून में उत्तराखंड पत्रकार संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले प्रिंट इलेक्ट्रॉनिक तथा वेब मीडिया की पत्रकार लोकतांत्रिक तरीके से धरने पर बैठे हैं तत्काल हमारी मांग को पूरा किया जाए ताकि उत्तराखंड की पत्रकार बिरादरी के साथ न्याय हो सके। हमारी प्रमुख मांग अग्रलिखित हैं।
1-विज्ञापन नियमावली 2016 उल्लेखित किए गए विज्ञापनों मे से अमर बलिदानी श्री देव सुमन जयंती के अवसर पर होने वाले विज्ञापन को रोके जाने पर तत्काल खेद व्यक्त किया जाए।तथा आइंदा ऐसी मनमानी न किए जाने को लेकर संकल्प प्रदर्शित किया जाए।
2- पिछले 5 वर्ष से रुकी हुई अखबारों की सूचीबद्धता की कार्यवाही शुरू की जाए। तथा जब तक नई नियमावली बन रही है तब तक पुरानी नियमावली के अनुसार ही पिछले 4 वर्ष से रोके गए अखबारों को विज्ञापन जारी किए जाएं।
3- वेब मीडिया की सूचीबद्वता के लिये नियमावली के अनुसार हर छह महीने मे एक बार एंपैनलमेंट किया जाये।
4 दृ सूचीबद्वता के बाद दी जाने वाली धरोहर राशि की बाध्यता को समाप्त किया जाये।
5- केन्द्र सरकार वेब मीडिया में जीएसटी की दर को कम करे या खत्म करे। प्रिंट मीडिया की तरह जीएसटी पर कम शुल्क लगाया जाये।
6. वेब पोर्टल में कार्यरत मीडिया प्रतिनिधियों को भी मान्यता दिलाने के लिये मानक बनाये जायें तथा वेब मीडिया में कार्यरत ​मीडिया कर्मियों को जिला स्तर की मान्यता दी जाए।
7- क्योंकि विगत 2 साल से नई न्यूज पोर्टल का इंपैनलमेंट नहीं किया गया है तथा 8 महीने से एक भी विज्ञापन नहीं दिया गया है इसलिए पिछले 6 माह से जितने भी न्यूज पोर्टल न्यूनतम यूजर्स का मानक पूरा करते हैं उन सभी को ए बी सी के अनुसार विज्ञापन जारी किया जाए।
8- उत्तराखंड लोक संपर्क विभाग देहरादून में पत्रकारों के कल्याण योजना तथा पेंशन योजना से संबंधित 43 प्रकरण अभी तक लंबित हैं उनका तत्काल निस्तारण किया जाए।
9 दृ हमारा राज्य हर हफ्ते बाजार से करोडों रुपये कर्ज उठा रहा है, इसलिए मितव्ययिता को ध्यान में रखते हुए अन्य राज्यों की पत्र-पत्रिकाओं को विज्ञापन दिया जाना तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए।
10- उत्तराखंड के वेब पोर्टलों को विज्ञापन देने के बजाय सीधे गूगल को विज्ञापन दिए जाने पर तत्काल रोक लगाई जाए।
11 दृ पर्वतीय जनपदों में नेट कनेक्टिविटी समस्या को देखते हुए वहां से संचालित वेब पोर्टलों को विज्ञापन मानकों में शिथिलता प्रदान की जाए।

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