5वीं पास पत्रकार बन गए हैं, अपराधी भी 'प्रेस' लिख रहे हैं, कैसे बचेगी पत्रकारिता?



जी हा आजकल ग्लैमर की चाह और पुलिस-प्रशासन के बीच भौकाल गांठने के लिए जहां पहले अपराधी किसी राजनीतिक हस्ती या पार्टी का दामन थाम लेते थे, वहीं वर्तमान में ये ट्रेंड बदल गया है। अब नया ट्रेड आ गया है तमाम अपराधी प्रवृत्ति के लोग अब पत्रकारिता  की तरफ रुख कर रहे हैं।  पत्रकारिता वर्तमान में अपराधियों का सबसे पसंदीदा क्षेत्र बनता जा रहा है।इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ वेब, पोर्टल और सोशल मीडिया जैसे दूसरे साधन आ जाने के बाद कोई भी शख्स कभी भी खुद को छायाकार या पत्रकार खुद ही घोषित कर दे रहा है।

दुखद पहलू ये है कि जिस पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, उसमें कभी बुद्धिजीवी और समाज के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा लिए लोग आते थे, जबकि आज अंधाधुंध अखबारों, पत्रिकाओं, वेब पोर्टल्स के आ जाने के बाद बड़ी संख्या में अपराधियों को भी ‘प्रेस’ लिखने का सुनहरा मौका मिल गया है।

इसके सहारे वो न सिर्फ़ अपने पुराने अपराधों को छुपाए हुए हैं, बल्कि नये अपराधों को भी जन्म देकर, पुलिस और प्रशासन पर अपनी पकड़ भी मजबूत कर रहे हैं। वे तमाम तरह के गैरकानूनी कार्य पत्रकारिता की आड़ में संचालित करने में लगे हैं।
एक व्यावहारिक गणना और साक्ष्यों के मुताबिक़ कक्षा 5वीं या 8वीं और कई मामलों में तो अशिक्षित भी, खुद को मीडियाकर्मी बताते घूम रहे हैं। इनकी संख्या भी सैकड़ों में मिल जायेगी। अब बड़ा सवाल ये है कि वास्तविक पत्रकारों की मर्यादा और पत्रकारिता जैसी महत्वपूर्ण विधा को अपराध और अपराधियों के चंगुल से कैसे बचाया जाए? और आखिर बचायेगा तो कौन :लेखक :- पत्रकार व लेखक हैं 

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