इन बैलों को गांव से कसाईखाने ले जाने में 3-4 दिन लगते हैं...और इतने दिनों तक बैलो को खड़े रहना पड़ता है| ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि गाड़ी में ज़्यादा बैलों को चढ़ाया जा सके|

सच्चाई :- 2 मिनट का टाइम निकालकर जरुर पढ़े तस्वीर में जिस प्राणी को आप देख रहे हैं, वो एक #बैल है जिसे ट्रक से कसाईखाने ले जाया जा रहा है| उसकी आँख में जो हरी चीज दिख रही है, वो एक हरी #मिर्च का टुकड़ा है...जिसे उसकी #आँखों में इसलिए डाला गया है, ताकि उसे तेज जलन हो और वो नीचे ना #बैठ सके|
दुसरी Pic मे उसकी नाक से रस्सी आर पार करके ऐसा बांधा गया है कि बैठना तो दूर इसके दर्द का अन्दाजा इसके बहते हुए आँसुओ से लगाया जा सकता है!
इन बैलों को गांव से कसाईखाने ले जाने में 3-4 दिन लगते हैं...और इतने दिनों तक बैलो को खड़े रहना पड़ता है| ऐसा इसलिए किया जाता है,  ताकि गाड़ी में ज़्यादा बैलों को चढ़ाया जा सके|
भारत में हर गाय और बैल को इसी तरह के कष्ट से गुजरना पड़ता है, अन्तत: कसाईखाने में मरने के लिए.....
#इंसान पैसों के लिए किस हद तक गिर सकता है...??
हर जीव को अधिकार है जीने का और गरिमा पूर्वक मरने का...और इस अधिकार को छीनना एक महापाप है.... जो कि ईश्वर भी नहीं क्षमा करेगा.....
अब भी आप कहेंगे कि गौ रक्षक अगर इनकी रक्षा के लिए अपनी जान जोखिंम मे डालते हैं तो क्या वो गलत हैं !इसलिए जितना हो #गौ रक्षा दल का सहयोग कीजिए और अपने नजदीकी गौशाला में जाकर गौ माता की सेवा कीजिए क्योंकि जब गाय बचेगी तभी देश बचेगा क्योंकि गाय हमारी #संस्कृति है और किसी भी धर्म या समाज को खत्म करना हो तो सबसे पहले उसके संस्कृति को खत्म करना पड़ता है और हमारे साथ भी यही हो रहा है पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर भी करें जिससे लोगों को इस कड़वी सच्चाई का पता लगाएं लेख :    अमित भारद्वाज जी के Facebook page से लिया गया है
   महानगर सत्संग प्रमुख, विश्व हिंदू परिषद, अलीगढ़

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