पत्रकारिता न होती तो क्या होता? सोच के देखिए. सरकार, समाज, इतिहास की न जाने कितनी कहानियां पर्दे के पीछे ही रहती.
आसानी से उपलब्ध फ़ोन और इंटरनेट की ताक़त के दम पर देश में कई 'मोबाइल पत्रकार' भी बन गए हैं. इसी इंटरनेट की ताक़त के बल-बूते पर आम जनता बड़े-बड़े पत्रकारों को आसानी से 'बिकाऊ' और गालियों से लैस टिप्पणी भी कर देती है.
हालांकि, सभी भूल जाते हैं कि हम जिस आज़ाद हवा में सांस ले रहे हैं, उसके पीछे पत्रकारों का बड़ा योगदान रहा है. भगत सिंह से लेकर महात्मा गांधी तक, सभी स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार भी थे.
बदलते दौर के साथ-साथ पत्रकारिता भी बेहद बदल गई है. चंद नोटों के बदले भी लेख छापे जाते हैं और चंद नोटों के दम पर हटाए भी जाते हैं. लेकिन कुछ पत्रकार इस दौर में भी मंद-मंद चमक रहे हैं. कुछ ऐसे निर्भीक पत्रकार हैं, जिन्होंने कई ख़बरों का भंडाफोड़ किया है, जिसकी वजह से देश की दशा और दिशा बदल गयी.
सकारात्मक और निर्भीक पत्रकारिता के कुछ उदाहरण:
1) पी. साईनाथ- ग्रामीण रिपोर्टर
Source: Scroll
देश के सबसे होनहार ग्रामीण रिपोर्टर और दुनिया के सबसे बेहतरीन पत्रकारों में से एक. पिछले कई सालों से वो ग्रामीणों की कहानियां देशभर के लोगों तक पहुंचा रहे हैं. 2007 में उन्हें रमन मैगसेसे अवॉर्ड से नवाज़ा गया. किसानों की आत्महत्या पर भी उन्होंने ग्राउंड रिसर्च करके कई रिपोर्ट्स लिखी हैं. 1996 में आई उनकी किताब 'Everybody Loves A Good Drought' में उन्होंने ग्रामीणों की वो हक़ीक़त बयां की है, जिनसे पूरा देश अनजान है.
2) The Tribune की रचना खैरा- आधार डेटा लीक का भंडाफोड़
Source: You Tube
नवंबर 2017 में UIDAI ने देशवासियों को आश्वासन दिया था कि आधार की जानकारी पूरी तरह सुरक्षित है. जनवरी 2018 में The Tribune की पत्रकार रचना खैरा ने आधार डेटा में गड़बड़ी का खुलासा किया. रचना के अनुसार, 500 रुपए और 10 मिनट में किसी भी व्यक्ति का नाम, पता, तस्वीर, फ़ोन नंबर, ईमेल आईडी सब कुछ हासिल किया जा सकता है. 300 रुपए एक्सट्रा देने पर The Tribune की टीम को एजेंट ने वो सॉफ़्टवेयर भी दे दिया, जिसके द्वारा किसी भी व्यक्ति का आधार नंबर डालकर उसका आधार कार्ड प्रिंट किया जा सकता है.
इसके बाद UIDAI ने The Tribune और रचना खैरा पर एफ़आईआर भी दर्ज करवाई.
3) The Hindu- बोफ़ोर्स स्कैंडल का भंडाफोड़
Source: Telangana Today
सन् 1987... The Hindu के चेन्नई हेडक्वार्टर के दो पत्रकारों ने स्वीडन से लगभग 200 Documents हासिल किये, उन्हें ट्रांसलेट किया और इंटरव्यू, विश्लेषण के साथ छापा.
इस भंडाफोड़ का असर ऐसा हुआ कि 1989 के चुनाव में सत्ता में मौजूद पार्टी हार गई.
4) तहलका मैगज़ीन- Defence Deal एक्सपोज़
Source: Tehelka
2001 में गुजरात के भुज में आए भयंकर भूकंप से देश उबर ही रहा था कि मार्च 13, 2001 में तहलका ने Defence Deals के बारे में वो रिपोर्ट छापी जिसने सभी को हिला कर रख दिया.
'Operation West End' में छिपे कैमरे, गहरी तहक़ीक़ात द्वारा बड़े-बड़े नेताओं, ब्यूरोक्रेट्स और सेना के अधिकारियों की घूस लेते हुए वीडियो-रिकॉर्डिंग की थी. इसके बाद वीडियो-रिकॉर्डिंग में दिखे व्यक्तियों को त्याग-पत्र देना पड़ा था.
5) अश्विनी सरीन- मानव तस्करी व्यापार का भंडाफोड़
Source: Deccan Herald
अश्विनी सरीन, Indian Express के वो पत्रकार हैं, जिन्होंने देश में चल रहे मानव तस्करी के व्यापार की हक़ीक़त दुनिया के सामने लाने के लिए ख़ुद एक महिला को ख़रीदा था.
इमरजेंसी के दौरान एक छोटे से केस में अश्विनी ख़ुद तिहाड़ जेल गए और जमानत लेने से इंकार किया. उनकी वजह से इमरजेंसी के दौरान 'Family Planning' के नाम पर आम जनता पर हो रहे अत्याचारों का पता चला.
6) नीरा राडिया टेप्स- Open Magazine
Source: Scoop Whoop
2010 में Open Magazine ने नीरा राडिया, कई नेता, मशहूर Industrialists, बड़े-बड़े पत्रकारों के बीच हुई बात-चीत का पर्दाफ़ाश किया. इन टेप्स से ये पता चला कि बड़े लेवल पर किस हद तक पब्लिक ओपिनियन पर प्रभाव डाला जा सकता है, बड़े Industrialists के हक़ में फ़ैसले लिए जाते हैं.
दुनियाभर में ऐसे कई उदाहरण हैं, जब पत्रकारों ने अपनी परवाह किये बगैर, सच को बेपर्दा किया है. भले कितने ही पैसे लेकर लेख और टीवी प्रोग्राम्स चलाने वाले पत्रकार खड़े हो जाएं, पर आज भी निर्भीक और सच्ची पत्रकारिता की लौ जल रही है.linkScoopwhoop.com
0 Comments