नौकरशाही के खून में सांप्रदायिकता किस हद तक घुस गयी है यह उसका भी जीता जागता उदाहरण है। 

तिहाड़ में अफसर का बर्बर चेहरा आया सामने, जेल सुपरिंटेडेंट ने मुस्लिम अंडरट्रायल कैदी की पीठ पर दगवाए ओम के निशान
Photo :थर्ड पार्टी 
नई दिल्ली। दिल्ली के तिहाड़ जेल से जुड़ा एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। इसने न केवल सत्ता के बर्बर और निरंकुश चेहरे को उजागर किया है बल्कि नौकरशाही के खून में सांप्रदायिकता किस हद तक घुस गयी है यह उसका भी जीता जागता उदाहरण है। मामला एक मुस्लिम अंडरट्रायल के साथ घटी घटना से जुड़ा है। नबीर नाम के इस अंडर ट्रायल के साथ जो हुआ है वह देश में कभी नहीं हुआ। “दि वायर” की एक रिपोर्ट के मुताबिक उसकी पीठ को दाग कर उस पर ओम लिख दिया गया है। घटना 12 अप्रैल के आस-पास की बतायी जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक इस काम को जेल सुपरिंटेडेंट राजेश चौहान ने अंजाम दिया है।
परिवार को जब इस घटना के बारे में पता चला तो उसने सबसे पहले अपने वकील से संपर्क किया और फिर वकील ने पीड़ित की फोटो के साथ कोर्ट में आवेदन दिया। सुनवाई करने के बाद दिल्ली की स्थानीय अदालत ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।
कोर्ट ने बाकायदा नबीर की पीठ पर जले हुए हिस्से को देखा साथ ही उसने फोटोग्राफ भी जमा कर लिए। जांच का आदेश देते हुए कोर्ट ने कहा कि “आरोपी द्वारा लगाए गए आरोप गंभीर प्रकृति के हैं और तत्काल दखल की मांग करते हैं.....नई दिल्ली स्थित जेल के डीजीपी को एक नोटिस जारी की जा रही है और जेल नंबर चार के हेडक्वार्टर को आरोपी नबीर का तत्काल परीक्षण करने का निर्देश दिया जा रहा है। इसके अलावा आरोपी शख्स की पीठ पर ओम के चिन्ह के जले के निशान संबंधी जांच का भी निर्देश दिया जा रहा है।”
आदेश में कहा गया है कि दूसरे कैदियों से पूछताछ के अलावा जरूरी सीसीटीवी फूटेज भी एकत्रित किए जाने चाहिए। आदेश में कहा गया है कि “आगे यह निर्देश दिया जा रहा है कि जेल में आरोपी की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी व्यवस्था की जानी चाहिए और उसे तत्काल राजेश चौहान की प्रत्यक्ष या फिर परोक्ष निगरानी से दूर कर दिया जाना चाहिए।”
बुधवार को जारी इस आदेश की रिपोर्ट को गुरुवार तक जमा करने की बात कही गयी है। अभी तक ये बात साफ नहीं हो पायी है कि रिपोर्ट पेश की गयी है या नहीं।
बहुत सारे अंडर ट्रायल कैदियों को जेलों में प्रताड़ित करने के मामले हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक सिमी से जुड़े तकरीबन 21 अंडरट्रायल कैदी ऐसे थे जिन्हें अपने धर्म के चलते प्रताड़ित और परेशान किया गया और जब उन्हें जरूरत पड़ी तो उन्हें जरूरी इलाज भी मुहैया नहीं कराया गया। साभार

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