हिंदू धर्म में पूरे विश्व को एक परिवार की संख्या दी गई है तथा इसके साथ माता पिता को भगवान का स्थान दिया गया है : स्वामी शांतात्मा नंदाजी

अलीगढ़ /मुस्लिम विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर इटरफेथ अंडरस्टैंडिंग के तत्वाधान में “विभिन्न धर्मो में परिवार व्यवस्था“ विषय पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि ईरान के राजनायिक डा0 अली चेगनी ने कहा कि सामाजिक व्यवस्था में परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका खत्म होती है तथा पारिवारिक व्यवस्था का ह्रास मानव जीवन के लिए खतरनाक है। उन्होंने कहा कि इस्लाम धर्म में माता पिता के आदर के बारे में कुरान ने मुखर रूप से आदेश दिये हैं तथा बच्चों के अच्छे पालन पोषण में महत्वपूर्ण बात उनका आज्ञाकारी होना है और यह कार्य परिवार में रहकर ही संभव होता है।राम कृष्ण मिशन दिल्ली के अध्यक्ष स्वांमी शांतात्मा नंदाजी महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि हिन्दू धर्म में पूरे विश्व को एक परिवार की संज्ञा दी गई है तथा इसके अंतर्गत माता पिता को भगवान का स्थान दिया गया है। उन्होंने वर्णाश्रम के संदर्भ में कहा कि संयुक्त परिवार की परम्परा भारतीय सामाजिक व्यवस्था की आधारभूत परम्परा है तथा इसको प्रयोग में लाना चाहिये।हेनरी मार्टिन इंस्टीटयूट हैदराबाद के निदेशक डा0 पैकियम सैमुअल ने कहा कि स्त्रीवाद के दृष्टिकोंण ने परिवार व्यवस्था को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। क्यों कि इस दृष्टिकोंण के अनुसार परिवार व्यवस्था पैत्रिक पद्धति को बढ़ावा देता है।
उन्होंने कहा कि परिवार व्यवस्था के संरक्षण के लिए आवश्यक है कि विभिन्न संबंधों के आदर, सम्मान, आपसी भाईचारा एवं सहिष्णुता की भावना को बढ़ावा दिया जाये।अल मुस्तफा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ईरान की भारतीय शाखा के प्रतिनिधि डा0 मुहम्मद रज़ा स्वालेह ने कहा कि परिवार व्यवस्था मानव जीवन का आधार है तथा इसी के अंतर्गत व्यक्ति जीवन के मूल्यों से परिचित होता है। उन्होंने कहा कि इस्लाम धर्म में पति-पत्नी के संबंधों के साथ ही बच्चों के पालन पोषण के नियम स्पष्ट रूप से बताये गये है।मौलाना आजाद विश्वविद्यालय जोधपुर के अध्यक्ष प्रोफेसर अख्तरूल वासे ने बीज भाषण प्रस्तुत करते हुए कहा कि सेमिनार में उपस्थित विभिन्न धर्मो के प्रतिनिधि हमारे लिए कौमन वेल्थ की तरह हैं। उन्होंने कहा कि दुनियां में सभी इंसान एक हैं, तथा विभिन्न सामाजिक व्यवस्थाओं में संबंधों के सम्मान का स्तर ही उनके सभ्य होने के स्तर का परिचायक होता है। उन्होंने कहा कि इस्लाम धर्म भी संयुक्त परिवार का धोतक है तथा इस व्यवस्था को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।बौद्ध विचारक एवं धर्म गुरू भीकू डाक्टर करूणाशील राहुल ने कहा कि शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं आर्थिक बदलावों के कारण हमारी परिवार व्यवस्था में बदलाव आये हैं। जिसके कारण पृथक परिवार व्यवस्था पर लोगों का जोर बढ़ा है। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म जीवन में संतुलन, मृदुल वाणी तथा विवेक के आधार पर आपस में संबंध स्थापित करने पर जोर देता है।इस्कॉन कम्यूनिकेशन इंडिया के राष्ट्रीय निदेशक श्री ब्रिजेन्द्र नन्दन दास ने कहा कि गीता में कहा गया है कि ईश्वर से दूर होकर मनुष्य अपने नैतिक एवं सामाजिक मूल्यों से दूर हट जाता है जिसका स्पष्ट प्रभाव परिवार पर पड़ता है।जामियातुज़ ज़ेहरा, कुम, ईरान के कुलपति सैयद महमूद मदनी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि आज पारिवारिक आधार छिन्न-भिन्न हो रहा है तथा नैतिक मूल्यों का बड़े स्तर पर ह्रास हो रहा है। तथा समाज में तलाक की घटनायें बढ़ रहीं हैं। उन्होंने कहा कि सामाजिक एवं आर्थिक विकास का वर्तमान दृष्टिकोंण मनुष्य को शांति एवं सुरक्षा के बजाय असुरक्षा एवं अवसाद का शिकार बना रहा है।कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए सेंटर फॉर इंडरफैथ अंडरस्टैंडिंग के निदेशक प्रोफेसर अली मुहम्मद नकवी ने कहा कि आधुनिक युग में कई कारणों से संयुक्त परिवार व्यवस्था का पतन हुआ है। इन कारणों में सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक मूल्यों से दूरी है। उन्होंने कहा कि इस सेमिनार का उद्देश्य परिवार व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए धार्मिक मूल्यों के चिन्हांकन का प्रयास है।कार्यक्रम के अंत में अल मुस्तफा इस्लामिक रिसर्च सोसायटी नई दिल्ली के अध्यक्ष डा0 सैयद फय्याज हुसैन रिज़वी ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया जब कि कार्यक्रम का संचालन डाक्टर शारिक अकील ने किया।  

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