बिहार मे फिर ताल ठोंक सकती है, एआईएमआईएम

PATNA :  ऑल इण्डिया मजलिस-ए -इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार से ताल ठोक सकती है। पार्टी के सूत्रों के अनुसार अब तक हैदराबाद में चुनाव लड़ने वाली (एआईएमआईएम) इस बार बिहार के किशनगंज सीट के साथ महाराष्ट्र के औरंगाबाद सीट पर भी अपने उम्मीदवार उतारने की सोच रही है। महाराष्ट्र में पार्टी का प्रकाश आंबेडकर की पार्टी भारीपा बहुजन महासंघ के साथ गठबंधन है लेकिन बिहार में उसका कोई गठबंधन नहीं है।
किशनगंज लोकसभा सीट एक मुस्लिम बहुल सीट है जहाँ से 2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार मोहम्मद असरुल हक चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे थे। भाजपा इस सीट को सिर्फ एक बार 1999 में जीत सकी है। 1999 में शाहनवाज हुसैन इस  सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत करलोकसभापहुंचे थे
2014 के लोकसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने कुल5 सीटों  जिसमे एक सीट आंध्र प्रदेश में और चार सीट तेलंगाना की शामिल थी। इसमें से सिर्फ एक सीट हैदराबाद की पार्टी जितने में सफल हो पायी थी जहाँ से खुद असदुद्दीन ओवैसी जीत कर लोकसभा पहुंचे थे। एआईएमआईएम के एक नेता का कहना है कि बिहार के किशनगंज और महाराष्ट्र के औरंगाबाद में मुस्लिम मतदाता काफी संख्या में है। हमे लगता है कि वहां से हमारा उम्मीदवार जीत सकता है। एआईएमआईएम की बिहार में ये पहली दस्तक नहीं है। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में सीमांचल क्षेत्र के 6 सीटों पर चुनाव लड़ चुकी है हालाँकि उसे एक भी सीट पर सफलता नहीं मिल पायी थी।
राजनितिक विशेषज्ञों को लगता है कि हैदराबाद के बाहर और बहुत दूर बिहार में पांच फैलाने की ओवैसी कीकोशिश अनायास नहीं है। वो भाजपा विरोधी वोटों को बाँट कर कांग्रेस को नुक्सान पहुंचन चाहते हैं। ओवैसी अब खुद को क्षेत्रीय नेता से इतर हट कर मुसलामानों के रहनुमा के तौर पर खुद को एक राष्ट्रीय नेता के रूप में स्थापित करना चाहते हैं और अगर ऐसी स्थिति में हैदराबाद से बाहर एक भी सीट जीतने में कामयाब रहे तो ये उनके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या को देखते हुए बिहार की किशनगंज सीट उनके लिए सबसे मुफीद है

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